विल्लुपुरम (तमिलनाडु): मदर टेरेसा (Mother Teresa) के आदर्श वाक्य के अनुसार, 'हम सभी महान काम नहीं कर सकते. लेकिन हम छोटे काम बड़े प्यार से कर सकते हैं', इस उद्धरण को वास्तविक रूप से लागू करते हुए विल्लुपुरम अंबु ज्योति आश्रम के प्रशासक 17 सालों से 300 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. जुविन और मारिया विल्लुपुरम जिले के गुंडालपुलियूर गांव के रहने वाले हैं. साल 2004 से, दंपति ने उचित प्रक्रिया के साथ 300 से अधिक अनाथ शवों का ठीक से अंतिम संस्कार (Funeral Of Orphans Body)किया है.
ये दोनों मिलकर 'अंबु ज्योति' नाम से एक आश्रम चला रहे हैं. इस आश्रम में अनाथ, लावारिस, मानसिक/शारीरिक रूप से विकलांग, व्यथित, बीमार, निराश्रित विधवाओं और वृद्धों की निरंतर देखभाल और पुनर्वास किया जाता है. इसके अलावा, वे मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं जो तमिलनाडु और पुडुचेरी में कई सार्वजनिक स्थानों पर असहाय घूम रहे हैं.
वे उन्हें बचा रहे हैं और सरकारी अस्पतालों में उचित उपचार प्रदान करा रहे हैं और आश्रम में उनकी देखभाल कर रहे हैं. वे उन्हें उपयुक्त रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं और उनका पुनर्वास कर रहे हैं. यह दंपत्ति असहाय लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान कर सेवा की भावना से इस प्रकार के भरण-पोषण का कार्य कर रहा है. विल्लुपुरम जिले के लोग उनके काम की काफी सराहना कर रहे हैं.
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अब जुविन और मारिया सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं. चूंकि अनाथों शवों को दफनाने के लिए जगह की कमी है, जुविन और मारिया ने सरकार से अनाथों के शवों को दफनाने के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है.