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तुर्की-सीरिया से भी कम तीव्रता का भूकंप आया था इस देश में, लेकिन गई थी 2.20 लाख लोगों की जान - कम तीव्रता का भूकंप

तुर्की-सीरिया में पिछले 24 घंटों से भी कम समय में तीन बार भूकंप के झटकों ने पूरे तुर्की-सीरिया को तबाह कर दिया है. इस भूकंप ने अब तक 2,300 लोगों की जान ले ली है, जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं 21वीं शताब्दी में आए दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों के बारे में...

Turkey-Syria earthquake
तुर्की-सीरिया में भूकंप
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Published : Feb 6, 2023, 11:00 PM IST

नई दिल्ली: तुर्की-सीरिया सोमवार को भूकंप के तेज झटकों से पूरी तरह हिल गया. तुर्की में पिछले 24 घंटों से भी कम समय में तीन बार भूकंप के तेज झटके आए हैं. इनमें से पहला भूकंप रिक्टर स्केल पर 7.8 तीव्रता का था. इसके कुछ ही घंटों बाद रिक्टर स्केल पर 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया और जब लोग इन दो झटकों से आए विनाश को संभालने और लोगों को बचाने में लगे हुए थे, तभी धरती एक बार फिर 6.0 तीव्रता के साथ डोलने लगी. अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार कुदरती तबाही में 2,300 से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

वहीं हजारों लोग घायल हुए हैं और माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या 7.8 तीव्रता का यह भूकंप 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप है. क्या इससे पहले भी इस तरह का भूकंप आया है या इससे तीव्रता का भूकंप आया है. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 21वीं शताब्दी में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप, जिससे सूनामी पैदा नहीं हुई थी, वह इंडोनेशिया में आया था. यह भूकंप 28 मार्च 2005 को आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.6 की थी और इसका केंद्र नियास-सिमुलुए में था.

जहां एक ओर इस भूकंप की तीव्रता बहुत तेज थी, लेकिन इससे जान की हानि कम हुई थी. इस कुदरती कहर में 1,300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी थी. इसके बाद रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का भूकंप चीन के सिचुआन में 12 मई 2008 में आया था. इस भूकंप से हिमालय में बसे इस इलाके को तबाह कर दिया था और कुदरती कहर ने 87 हजार से ज्यादा लोगों को काल के गाल में भेज दिया था. इसके बाद 25 अप्रैल 2015 में नेपाल की जमीन हिली और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 दर्ज की गई. इस प्राकृतिक त्रासदी ने 8,900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, जो कि एक आधिकारिक आंकड़ा था.

भारत में भी 26 जनवरी 2001 को धरती ने अपना प्रकोप दिखाया था और गुजरात के भुज-कच्छ में 7.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इस त्रासदी में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी अक्टूबर 2005 में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. यहां भी भूकंप ने अपनी चपेट में 87 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. सितंबर 2009 में इंडोनेशिया के सुमात्रा में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसने एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.

बीते साल याली 2021 के अगस्त माह में हैती (कैरेबियन में देश) 7.2 तीव्रता के भूकंप के साथ हिल गया और इसकी चपेट में 22 से ज्यादा लोग आए थे. जहां इस भूकंप की तीव्रता ज्यादा थी, लेकिन फिर भी इसमें जान की हानि कम हुई थी. लेकिन जनवरी 2010 में हैती में ही 7.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने यहां सबसे ज्यादा तबाही मचाई और 2.20 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली. चीन का यूशु अप्रैल 2010 में हिला, जब यहां 6.9 तीव्रता का भूकंप आया. इस भूकंप ने यहां के तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.

मई 2003 में अल्जीरिया के बॉमरडेस की जमीन 6.8 तीव्रता के भूकंप के साथ हिलने लगी थी और इस भूकंप ने यहां 2,200 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. दिसंबर 2003 में ईरान की धरती हिली और 6.6 तीव्रता वाले इस भूकंप ने यहां 26 हजार से ज्यादा लोगों को काल के गाल में समा दिया. इंडोनेशिया के योग्याकार्ता में मई 2006 में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था और इस भूकंप में 5,800 लोग मारे गए थे.

पढ़ें: earthquake : चंद सेकेंड में जमींदोज हो गईं आलीशान इमारतें, देखें खौफनाक मंजर

इससे पहले मार्च 2002 में अफगानिस्तान का हिंदुकुश हिमालय रीजन 6.1 तीव्रता के भूकंप के साथ हिला था, जिसमें 2 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी. इसके अलावा जून 2022 में अफगानिस्तान की जमीन एक बार फिर हिली और इस बार यहां 6.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इस बार यहां इसकी चपेट में 1,100 से ज्यादा लोग आए, जिन्होंने अपनी जान गवां दी.

नई दिल्ली: तुर्की-सीरिया सोमवार को भूकंप के तेज झटकों से पूरी तरह हिल गया. तुर्की में पिछले 24 घंटों से भी कम समय में तीन बार भूकंप के तेज झटके आए हैं. इनमें से पहला भूकंप रिक्टर स्केल पर 7.8 तीव्रता का था. इसके कुछ ही घंटों बाद रिक्टर स्केल पर 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया और जब लोग इन दो झटकों से आए विनाश को संभालने और लोगों को बचाने में लगे हुए थे, तभी धरती एक बार फिर 6.0 तीव्रता के साथ डोलने लगी. अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार कुदरती तबाही में 2,300 से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

वहीं हजारों लोग घायल हुए हैं और माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या 7.8 तीव्रता का यह भूकंप 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप है. क्या इससे पहले भी इस तरह का भूकंप आया है या इससे तीव्रता का भूकंप आया है. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 21वीं शताब्दी में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप, जिससे सूनामी पैदा नहीं हुई थी, वह इंडोनेशिया में आया था. यह भूकंप 28 मार्च 2005 को आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.6 की थी और इसका केंद्र नियास-सिमुलुए में था.

जहां एक ओर इस भूकंप की तीव्रता बहुत तेज थी, लेकिन इससे जान की हानि कम हुई थी. इस कुदरती कहर में 1,300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी थी. इसके बाद रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का भूकंप चीन के सिचुआन में 12 मई 2008 में आया था. इस भूकंप से हिमालय में बसे इस इलाके को तबाह कर दिया था और कुदरती कहर ने 87 हजार से ज्यादा लोगों को काल के गाल में भेज दिया था. इसके बाद 25 अप्रैल 2015 में नेपाल की जमीन हिली और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 दर्ज की गई. इस प्राकृतिक त्रासदी ने 8,900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, जो कि एक आधिकारिक आंकड़ा था.

भारत में भी 26 जनवरी 2001 को धरती ने अपना प्रकोप दिखाया था और गुजरात के भुज-कच्छ में 7.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इस त्रासदी में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी अक्टूबर 2005 में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. यहां भी भूकंप ने अपनी चपेट में 87 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. सितंबर 2009 में इंडोनेशिया के सुमात्रा में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसने एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.

बीते साल याली 2021 के अगस्त माह में हैती (कैरेबियन में देश) 7.2 तीव्रता के भूकंप के साथ हिल गया और इसकी चपेट में 22 से ज्यादा लोग आए थे. जहां इस भूकंप की तीव्रता ज्यादा थी, लेकिन फिर भी इसमें जान की हानि कम हुई थी. लेकिन जनवरी 2010 में हैती में ही 7.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने यहां सबसे ज्यादा तबाही मचाई और 2.20 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली. चीन का यूशु अप्रैल 2010 में हिला, जब यहां 6.9 तीव्रता का भूकंप आया. इस भूकंप ने यहां के तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.

मई 2003 में अल्जीरिया के बॉमरडेस की जमीन 6.8 तीव्रता के भूकंप के साथ हिलने लगी थी और इस भूकंप ने यहां 2,200 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. दिसंबर 2003 में ईरान की धरती हिली और 6.6 तीव्रता वाले इस भूकंप ने यहां 26 हजार से ज्यादा लोगों को काल के गाल में समा दिया. इंडोनेशिया के योग्याकार्ता में मई 2006 में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था और इस भूकंप में 5,800 लोग मारे गए थे.

पढ़ें: earthquake : चंद सेकेंड में जमींदोज हो गईं आलीशान इमारतें, देखें खौफनाक मंजर

इससे पहले मार्च 2002 में अफगानिस्तान का हिंदुकुश हिमालय रीजन 6.1 तीव्रता के भूकंप के साथ हिला था, जिसमें 2 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी. इसके अलावा जून 2022 में अफगानिस्तान की जमीन एक बार फिर हिली और इस बार यहां 6.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इस बार यहां इसकी चपेट में 1,100 से ज्यादा लोग आए, जिन्होंने अपनी जान गवां दी.

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