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भारत-चीन के बीच नौ दौर की सैन्य स्तरीय वार्ता मे बाद निकला सहमति का रास्ता

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Published : Feb 12, 2021, 5:08 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि नौ महीने के सीमा गतिरोध के बाद सफलता मिली है. रक्षामंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने कुछ नहीं खोया है. हालांकि इस मामले पर जमकर राजनीति की जा रही है और विपक्षी पार्टियां सरकार पर आरोप लगा रही हैं. जानें आखिरकार भारत-चीन सैन्य टकराव के बीच कब और क्या वार्ता हुई.

भारत-चीन
भारत-चीन

हैदराबाद : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि नौ महीने के सीमा गतिरोध के बाद सफलता मिली है. भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण बैंक पर जारी असहमति पर एक समझौता किया है. जो दोनों पक्षों को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापन योग्य तरीके से सैनिकों की तैनाती को रोकने के लिए बाध्य करता है

06.06.2020: 7 घंटे तक चली पहले दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारतीय पक्ष ने यह दावा करते हुए कि वह अपने क्षेत्र के भीतर बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रहा है, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को द्विपक्षीय समझौतों और सीमा प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. जिसमें 2013 के सीमा रक्षा सहयोग समझौते में विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं. सूत्रों ने कहा पीएलए को अपने सैनिकों को वापस लेना होगा जिन्होंने पैंगोंग त्सो, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र और गलवान वैली क्षेत्र में चार-पांच टकराव वाले स्थलों पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की.

परिणाम : विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का शांतिपूर्वक समाधान करने पर सहमत हुए.

22.06.2020 : 11 घंटे तक चला वार्ता का दूसरा दौर

भारत की मांग : भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र से चीनी सैनिकों की वापसी के लिए दबाव डाला. भारत ने अप्रैल के मध्य में यथास्थिति बहाल करने की अपनी मांग को जोरदार ढंग से दोहराया. पंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर 4 से 8 (8 किमी की दूरी से अलग हुआ पहाड़ी क्षेत्र) जिसमें गालवान घाटी, गोगरा के क्षेत्रों में अपने सैन्य निर्माण को सेना पूर्वी लद्दाख में हॉटस्प्रे, डेपसांग और चुशुल में शामिल करेगी.

परिणाम : भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में अपने 50 सदस्यीय सैन्य टुकड़ी को क्रमिक और सत्यापन योग्य सहमति पर राजी हुए. जो अंततः दोनों पक्षों को आगे बढ़ाएगा और 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण लाइन के साथ अपने विशाल सैन्य निर्माण को सीमित करेगा.

भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवान
भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवान

30.06.2020: 12 घंटे चली तीसरे दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारत ने चीन से 22 जून को पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थलों से क्रमिक, सत्यापन योग्य और पारस्परिक टुकड़ी वापसी के साथ लाइन के उग्र सैन्य बिल्ड-अप में कमी करने को कहा. साथ ही सहमति बनी कि व्यापक डी-एस्केलेशन और विघटन योजना का पालन करने के लिए काम होगा. वास्तविक नियंत्रण रेखा की विशेष रूप से पीएलए ने फिंगर 4 से 8 के खिंचाव (पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर 8 किलोमीटर की दूरी पर अलग-अलग पहाड़ी पर्वत), गालवान में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पीपी से वापस पीछे खींचने के लिए कहा गया.

परिणाम: भारत व चीन गलवान, हॉट स्प्रिंग्स पुलबैक को फिर से शुरू करने के लिए सहमत हुए. लेकिन पैंगोंग त्सो में फेस-ऑफ को हल करने में विफल रहे.

14.07.2020: चौथे दौर की वार्ता 14 घंटे तक चली

भारत मांग करता है : भारत यथास्थिति की बहाली के लिए दबाव डालता है क्योंकि यहां मई 2020 की शुरुआत में सुव्यवस्थित संचालन हो रहा था. पूर्वी लद्दाख के कई स्थानों में घुसपैठ से पहले पीएलए सैनिकों का अस्तित्व यहां नहीं था. भारत ने पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर की सीमा के साथ 'गहराई वाले क्षेत्रों' में तोपों, टैंकों और अन्य भारी हथियारों के साथ उपस्थिति बढ़ाई. तब दोनों पक्षों द्वारा तय हुआ कि लगभग 30,000 सैनिकों को हटाने के लिए एक समयबद्ध रोड मैप बनाया जाए.

परिणाम : दोनों पक्षों ने अपने राजनैतिक-सैन्य अधिकारियों को एक-दूसरे के प्रस्तावों को बताया. ठोस समीक्षा के बाद फेस-ऑफ साइटों पर पहली बार प्रस्तावित डी-एस्केलेशन योजना को हासिल करने की राह में आगे बढ़ा गया. द्वितीय चरण के लिए रोड मैप को अंतिम रूप देने के लिए एक प्राधिकरण बना.

02.08.2020: 5 वें दौर की वार्ता 11 घंटे चली

भारत मांग करता है : भारतीय सेना ने चीन के पीएलए को सैन्य वार्ता के पांचवें दौर में स्पष्ट रूप से अवगत कराया है कि भारत क्षेत्रीय अखंडता पर समझौता नहीं करेगा. स्पष्ट रूप से कहा कि पैंगोंग त्सो और पूर्वी लद्दाख में कुछ अन्य संघर्ष बिंदुओं से सैनिकों का विघटन किया जाना चाहिए.

21.09.2020: 6 वां दौर 14 घंटे चला

भारत ने चीन से पंगोंग त्सो, चुशूल और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में संघर्ष वाले बिंदुओं से ठोस और पूर्ण सैन्य टुकड़ी की बात की. साथ ही पूर्वी लद्दाख में पूरे सीमा रेखा के साथ विघटन रोडमैप को अंतिम रूप दिया.

परिणाम : भारत और चीन सीमा की स्थिति को आगे बढ़ाने, उपायों की एक श्रृंखला के माध्यम से आगे बढ़ने पर सहमत हुए. जिसमें महत्वपूर्ण रूप से आगे के क्षेत्रों में अधिक सैनिक नहीं भेजना शामिल रहा. लेकिन डी-एस्केलेशन पर एक ठोस सफलता के बिना सैन्य कमांडर-स्तरीय मैराथन वार्ता को समाप्त कर दिया.

12.10.2020: 7 वें दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारत ने अपने सभी या कोई भी दृष्टिकोण के साथ वार्ता जारी रखा. चीन ने शीर्ष स्तर की सैन्य वार्ता के सातवें दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में पूरे क्षेत्र के साथ-साथ सैन्य टुकड़ी स्थलों पर पूर्ण डी-एस्केलेशन के लिए कहा. PLA ने जोर देकर कहा कि भारतीय सैनिकों को पहले सामरिक रूप से ऊंचाइयों को खाली करना होगा. जो कि वे पंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर गुरुंग हिल, स्पैंग्गुर गैप, मगर हिल, मुखपारी, रेजांग ला और रेकिन ला (रेकिन पर्वत दर्रे) के दक्षिण तट पर ठाकुंग से फैली हुई रिज लाइन पर कब्जा कर बैठे हैं.

परिणाम : संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा विवादों में मतभेदों को नहीं बढ़ाने और सीमा क्षेत्रों में शांति की संयुक्त रूप से रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण समझ को लागू करने पर जोर दिया.

06.11.2020: वार्ता का 8 वां दौर

भारत-चीन सीमा पर चौकसी
भारत-चीन सीमा पर चौकसी

परिणाम : संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा की गई महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू करने के लिए सहमत हुए. अपने सीमावर्ती सैनिकों को संयम बरतने और गलतफहमी से बचने के लिए सुनिश्चित कहा गया.

24.01.2021: 9 वें दौर की वार्ता 10 घंटे चली

भारत मांग करता है : भारत ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावित विघटन को एक साथ सभी फेसऑफ साइटों पर होना है. जिसमें पैंगोंग त्सो का उत्तरी तट भी शामिल है जहां पीएलए ने फिंगर 4 से 8 (पर्वतीय स्पर्स) के बीच 8 किलोमीटर के हिस्से पर मई के बाद से कब्जा कर लिया है.

परिणाम : संयुक्त वक्तव्य में दोनों अपने देश के नेताओं की महत्वपूर्ण आम सहमति का पालन करने, बातचीत की अच्छी गति बनाए रखने पर सहमत हुए. साथ ही 10 वें दौर की वार्ता प्रारंभिक तिथि पर आयोजित करने के लिए सहमत हुए. दोनों पक्ष अपने सीमावर्ती सैनिकों को संयम बरतने, स्थिर करने और पूर्वी लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ स्थिति को नियंत्रित करने पर सहमत. शांति बनाए रखने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने पर सहमत हुए.

यह भी पढ़ें-पीएम पर राहुल का हमला, कहा- डरपोक हैं मोदी, सैनिकों के बलिदान को दे रहे धोखा

10.02.21: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो क्षेत्र में आरंभिक विघटन को शुरू किया. नौ महीनों से चल रहे सैन्य टकराव के बाद पहली बार कुछ टैंक, हॉवित्जर और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जाया गया. 11-02-2021 : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से दोनों देशों की सैनिकों की वापसी के बारे में संसद में बयान दिया.

हैदराबाद : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि नौ महीने के सीमा गतिरोध के बाद सफलता मिली है. भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण बैंक पर जारी असहमति पर एक समझौता किया है. जो दोनों पक्षों को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापन योग्य तरीके से सैनिकों की तैनाती को रोकने के लिए बाध्य करता है

06.06.2020: 7 घंटे तक चली पहले दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारतीय पक्ष ने यह दावा करते हुए कि वह अपने क्षेत्र के भीतर बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रहा है, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को द्विपक्षीय समझौतों और सीमा प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. जिसमें 2013 के सीमा रक्षा सहयोग समझौते में विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं. सूत्रों ने कहा पीएलए को अपने सैनिकों को वापस लेना होगा जिन्होंने पैंगोंग त्सो, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र और गलवान वैली क्षेत्र में चार-पांच टकराव वाले स्थलों पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की.

परिणाम : विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का शांतिपूर्वक समाधान करने पर सहमत हुए.

22.06.2020 : 11 घंटे तक चला वार्ता का दूसरा दौर

भारत की मांग : भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र से चीनी सैनिकों की वापसी के लिए दबाव डाला. भारत ने अप्रैल के मध्य में यथास्थिति बहाल करने की अपनी मांग को जोरदार ढंग से दोहराया. पंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर 4 से 8 (8 किमी की दूरी से अलग हुआ पहाड़ी क्षेत्र) जिसमें गालवान घाटी, गोगरा के क्षेत्रों में अपने सैन्य निर्माण को सेना पूर्वी लद्दाख में हॉटस्प्रे, डेपसांग और चुशुल में शामिल करेगी.

परिणाम : भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में अपने 50 सदस्यीय सैन्य टुकड़ी को क्रमिक और सत्यापन योग्य सहमति पर राजी हुए. जो अंततः दोनों पक्षों को आगे बढ़ाएगा और 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण लाइन के साथ अपने विशाल सैन्य निर्माण को सीमित करेगा.

भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवान
भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवान

30.06.2020: 12 घंटे चली तीसरे दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारत ने चीन से 22 जून को पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थलों से क्रमिक, सत्यापन योग्य और पारस्परिक टुकड़ी वापसी के साथ लाइन के उग्र सैन्य बिल्ड-अप में कमी करने को कहा. साथ ही सहमति बनी कि व्यापक डी-एस्केलेशन और विघटन योजना का पालन करने के लिए काम होगा. वास्तविक नियंत्रण रेखा की विशेष रूप से पीएलए ने फिंगर 4 से 8 के खिंचाव (पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर 8 किलोमीटर की दूरी पर अलग-अलग पहाड़ी पर्वत), गालवान में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पीपी से वापस पीछे खींचने के लिए कहा गया.

परिणाम: भारत व चीन गलवान, हॉट स्प्रिंग्स पुलबैक को फिर से शुरू करने के लिए सहमत हुए. लेकिन पैंगोंग त्सो में फेस-ऑफ को हल करने में विफल रहे.

14.07.2020: चौथे दौर की वार्ता 14 घंटे तक चली

भारत मांग करता है : भारत यथास्थिति की बहाली के लिए दबाव डालता है क्योंकि यहां मई 2020 की शुरुआत में सुव्यवस्थित संचालन हो रहा था. पूर्वी लद्दाख के कई स्थानों में घुसपैठ से पहले पीएलए सैनिकों का अस्तित्व यहां नहीं था. भारत ने पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर की सीमा के साथ 'गहराई वाले क्षेत्रों' में तोपों, टैंकों और अन्य भारी हथियारों के साथ उपस्थिति बढ़ाई. तब दोनों पक्षों द्वारा तय हुआ कि लगभग 30,000 सैनिकों को हटाने के लिए एक समयबद्ध रोड मैप बनाया जाए.

परिणाम : दोनों पक्षों ने अपने राजनैतिक-सैन्य अधिकारियों को एक-दूसरे के प्रस्तावों को बताया. ठोस समीक्षा के बाद फेस-ऑफ साइटों पर पहली बार प्रस्तावित डी-एस्केलेशन योजना को हासिल करने की राह में आगे बढ़ा गया. द्वितीय चरण के लिए रोड मैप को अंतिम रूप देने के लिए एक प्राधिकरण बना.

02.08.2020: 5 वें दौर की वार्ता 11 घंटे चली

भारत मांग करता है : भारतीय सेना ने चीन के पीएलए को सैन्य वार्ता के पांचवें दौर में स्पष्ट रूप से अवगत कराया है कि भारत क्षेत्रीय अखंडता पर समझौता नहीं करेगा. स्पष्ट रूप से कहा कि पैंगोंग त्सो और पूर्वी लद्दाख में कुछ अन्य संघर्ष बिंदुओं से सैनिकों का विघटन किया जाना चाहिए.

21.09.2020: 6 वां दौर 14 घंटे चला

भारत ने चीन से पंगोंग त्सो, चुशूल और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में संघर्ष वाले बिंदुओं से ठोस और पूर्ण सैन्य टुकड़ी की बात की. साथ ही पूर्वी लद्दाख में पूरे सीमा रेखा के साथ विघटन रोडमैप को अंतिम रूप दिया.

परिणाम : भारत और चीन सीमा की स्थिति को आगे बढ़ाने, उपायों की एक श्रृंखला के माध्यम से आगे बढ़ने पर सहमत हुए. जिसमें महत्वपूर्ण रूप से आगे के क्षेत्रों में अधिक सैनिक नहीं भेजना शामिल रहा. लेकिन डी-एस्केलेशन पर एक ठोस सफलता के बिना सैन्य कमांडर-स्तरीय मैराथन वार्ता को समाप्त कर दिया.

12.10.2020: 7 वें दौर की वार्ता

भारत मांग करता है : भारत ने अपने सभी या कोई भी दृष्टिकोण के साथ वार्ता जारी रखा. चीन ने शीर्ष स्तर की सैन्य वार्ता के सातवें दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में पूरे क्षेत्र के साथ-साथ सैन्य टुकड़ी स्थलों पर पूर्ण डी-एस्केलेशन के लिए कहा. PLA ने जोर देकर कहा कि भारतीय सैनिकों को पहले सामरिक रूप से ऊंचाइयों को खाली करना होगा. जो कि वे पंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर गुरुंग हिल, स्पैंग्गुर गैप, मगर हिल, मुखपारी, रेजांग ला और रेकिन ला (रेकिन पर्वत दर्रे) के दक्षिण तट पर ठाकुंग से फैली हुई रिज लाइन पर कब्जा कर बैठे हैं.

परिणाम : संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा विवादों में मतभेदों को नहीं बढ़ाने और सीमा क्षेत्रों में शांति की संयुक्त रूप से रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण समझ को लागू करने पर जोर दिया.

06.11.2020: वार्ता का 8 वां दौर

भारत-चीन सीमा पर चौकसी
भारत-चीन सीमा पर चौकसी

परिणाम : संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा की गई महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू करने के लिए सहमत हुए. अपने सीमावर्ती सैनिकों को संयम बरतने और गलतफहमी से बचने के लिए सुनिश्चित कहा गया.

24.01.2021: 9 वें दौर की वार्ता 10 घंटे चली

भारत मांग करता है : भारत ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावित विघटन को एक साथ सभी फेसऑफ साइटों पर होना है. जिसमें पैंगोंग त्सो का उत्तरी तट भी शामिल है जहां पीएलए ने फिंगर 4 से 8 (पर्वतीय स्पर्स) के बीच 8 किलोमीटर के हिस्से पर मई के बाद से कब्जा कर लिया है.

परिणाम : संयुक्त वक्तव्य में दोनों अपने देश के नेताओं की महत्वपूर्ण आम सहमति का पालन करने, बातचीत की अच्छी गति बनाए रखने पर सहमत हुए. साथ ही 10 वें दौर की वार्ता प्रारंभिक तिथि पर आयोजित करने के लिए सहमत हुए. दोनों पक्ष अपने सीमावर्ती सैनिकों को संयम बरतने, स्थिर करने और पूर्वी लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ स्थिति को नियंत्रित करने पर सहमत. शांति बनाए रखने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने पर सहमत हुए.

यह भी पढ़ें-पीएम पर राहुल का हमला, कहा- डरपोक हैं मोदी, सैनिकों के बलिदान को दे रहे धोखा

10.02.21: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो क्षेत्र में आरंभिक विघटन को शुरू किया. नौ महीनों से चल रहे सैन्य टकराव के बाद पहली बार कुछ टैंक, हॉवित्जर और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जाया गया. 11-02-2021 : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से दोनों देशों की सैनिकों की वापसी के बारे में संसद में बयान दिया.

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