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AMU के सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के चांसलर बने - जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चांसलर रहे सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन अब जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के चांसलर हो गए हैं. इनके् खानदान की तीन पीढ़ियों ने एएमयू में चांसलर के दायित्व को निभाया है.

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन
सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन
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Published : Mar 15, 2023, 8:20 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चांसलर रहे बोहरा समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन अब जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के चांसलर बन गए हैं. वहीं, अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में चांसलर, प्रो. चांसलर और मानद कोषाध्यक्ष पद रिक्त चल रहा है. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 11 अप्रैल 2015 को एएमयू के चांसलर बने थे. इनके दादा सैयदना ताहिर सैफुद्दीन एएमयू के चांसलर रहे थे. इनके खानदान की तीन पीढ़ियों ने एएमयू में चांसलर के दायित्व को निभाया है.

एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राहत अबरार ने बताया कि पिछले महीने तक चांसलर पद की जिम्मेदारी सैयदना खानदान की तीसरी पीढ़ी संभाल रही थी. उन्होंने बताया 12 अप्रैल 1953 को एएमयू के चांसलर सैयदना ताहिर सैफुद्दीन बने थे. इसके बाद उनके बेटे सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन 3 अक्टूबर 1999 को एएमयू के चांसलर बने थे. इसके बाद इनके बेटे सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 11 अप्रैल 2015 को एएमयू के चांसलर बने. राहत अबरार ने बताया कि बोहरा समुदाय इस्माइली शिया समुदाय का उप समुदाय है. दाऊदी बोहरा समुदाय की पहचान एक संभ्रांत, प्रोग्रेसिव और पढ़े-लिखे समुदाय की है. इस समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापारी हैं. जो मुख्यता गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में रहते हैं.

सैयदना खानदान का एएमयू के चांसलर बनने का रिकॉर्ड रहा है. सैयदना खानदान की तीसरी पीढ़ी चांसलर पद को संभाल रही थी. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली चांसलर बेगम सुल्तान जहां बनी थीं. उसके बाद बेगम सुल्तान जहां के बेटे नवाब हमीदुल्लाह खान चांसलर बने थे. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 2014 से दस लाख दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु हैं. जामिया मिलिया इस्लामिया में वह नजमा हेपतुल्ला की जगह लेंगे. नजमा हेपतुल्ला का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की सूची में शामिल हैं. सैफुद्दीन ने शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक पहलुओं आदि पर विशेष ध्यान देते हुए समाज की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया है.

यह भी पढ़ें: UP Board Exam की कॉपियों का मूल्यांकन 18 से होगा शुरू

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चांसलर रहे बोहरा समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन अब जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के चांसलर बन गए हैं. वहीं, अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में चांसलर, प्रो. चांसलर और मानद कोषाध्यक्ष पद रिक्त चल रहा है. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 11 अप्रैल 2015 को एएमयू के चांसलर बने थे. इनके दादा सैयदना ताहिर सैफुद्दीन एएमयू के चांसलर रहे थे. इनके खानदान की तीन पीढ़ियों ने एएमयू में चांसलर के दायित्व को निभाया है.

एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राहत अबरार ने बताया कि पिछले महीने तक चांसलर पद की जिम्मेदारी सैयदना खानदान की तीसरी पीढ़ी संभाल रही थी. उन्होंने बताया 12 अप्रैल 1953 को एएमयू के चांसलर सैयदना ताहिर सैफुद्दीन बने थे. इसके बाद उनके बेटे सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन 3 अक्टूबर 1999 को एएमयू के चांसलर बने थे. इसके बाद इनके बेटे सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 11 अप्रैल 2015 को एएमयू के चांसलर बने. राहत अबरार ने बताया कि बोहरा समुदाय इस्माइली शिया समुदाय का उप समुदाय है. दाऊदी बोहरा समुदाय की पहचान एक संभ्रांत, प्रोग्रेसिव और पढ़े-लिखे समुदाय की है. इस समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापारी हैं. जो मुख्यता गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में रहते हैं.

सैयदना खानदान का एएमयू के चांसलर बनने का रिकॉर्ड रहा है. सैयदना खानदान की तीसरी पीढ़ी चांसलर पद को संभाल रही थी. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली चांसलर बेगम सुल्तान जहां बनी थीं. उसके बाद बेगम सुल्तान जहां के बेटे नवाब हमीदुल्लाह खान चांसलर बने थे. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 2014 से दस लाख दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु हैं. जामिया मिलिया इस्लामिया में वह नजमा हेपतुल्ला की जगह लेंगे. नजमा हेपतुल्ला का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की सूची में शामिल हैं. सैफुद्दीन ने शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक पहलुओं आदि पर विशेष ध्यान देते हुए समाज की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया है.

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