नई दिल्ली : भारत उन 26 देशों के समूह का हिस्सा होगा, जिनकी नौसेनाएं और जमीनी सेना 29 जून से 4 अगस्त 2022 तक कैलिफोर्निया समुद्र तट से हवाई के उष्णकटिबंधीय द्वीप तक फैले प्रशांत महासागर में दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यासों में से एक में शामिल होंगी. दरअसल अमेरिका क्वाड देशों और अन्य राष्ट्रों के साथ 'रिम ऑफ द पैसिफिक' (RIMPAC 2022) अभ्यास करने जा रहा है. भारत भी क्वाड देशों का हिस्सा है. भारत का मई 2020 से चीन के साथ लद्दाख सीमा पर तनाव चल रहा है. ऐसे में महीनेभर से ज्यादा चलने वाले इस अभ्यास के जरिए भारत स्पष्ट रूप से चीन को संदेश देने जा रहा है.
RIMPAC 2022 की घोषणा करते हुए अमेरिकी नौसेना के तीसरे बेड़े ने एक विज्ञप्ति में कहा, 'छब्बीस राष्ट्र, 38 जहाज, चार पनडुब्बी, नौ देशों की जमीनी सेना, 170 से अधिक विमान और लगभग 25,000 कर्मी जून में निर्धारित द्विवार्षिक RIMPAC अभ्यास में भाग लेंगे. ये अभ्यास 29 से 4 अगस्त तक हवाई द्वीप और दक्षिणी कैलिफोर्निया में और उसके आसपास होगा.'
ये देश होंगे शामिल : मेजबान अमेरिका के अलावा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इज़राइल, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पेरू, कोरिया, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, टोंगा और यूके इसमें शामिल होंगे. देखा जाए तो भारत के अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक के साथ संबंध जटिल हैं. भारत जहां 'रणनीतिक स्वायत्तता' की अपनी घोषित नीति का अनुसरण करते हुए चीन के मामले में पश्चिम के साथ है वहीं यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की निंदा के मामले में तटस्थ है. इन सबके बीच बड़ी विडंबना ये है कि इस युद्ध के मामले भारत और चीन एकराय रखते हैं. दोनों ही देशों ने रूस की निंदा करने से इनकार किया है.
अमेरिका-चीन के संबंध किस तरह के हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि उनका देश ताइवान की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है. 23 मई को बाइडेन ने 'चीन ने ताइवान पर हमला किया तो क्या अमेरिका ताइवान की सैन्य रूप से रक्षा करेगा?' सवाल के जवाब में कहा था 'हां'. उन्होंने कहा था कि '...यह उचित होगा. यह पूरे क्षेत्र को अस्त-व्यस्त कर देगा और यूक्रेन में जो हुआ उसके समान एक और कार्रवाई होगी.'
भारत के प्रति निष्पक्ष होने के लिए अमेरिका ने चीनी हमले के मामले में भारत के प्रति भले ही समान रवैया नहीं अपनाया है, लेकिन वह रूस-चीन के मजबूत होते संबंधों के बीच उसे लुभाने की कोशिश कर रहा है. वह चाहता है कि रूस-चीन की करीबी के खिलाफ भारत उसके साथ एकजुट हो. वहीं दूसरी ओर रूस के भारत से पुराने प्रगाढ़ संबंध रहे हैं. ऐसे समय में जब पश्चिमी देश यूक्रेन में कार्रवाई को लेकर उस पर सवाल उठा रहे हैं, वह भी भारत को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. भारत बढ़ते बाजार के साथ दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. सैन्य शक्ति के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था 22 वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत ने 2021-22 में 8.7% सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर्ज की है. आईएमएफ ने भी यह अनुमान लगाया है कि भारत 2022 में 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन सकता है.
अमेरिकी नौसेना के बयान में कहा गया है, 'RIMPAC में शामिल होने वाले सहयोगी देश व्यापक रूप से अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे. RIMPAC 2022 सभी क्षेत्रों और संघर्ष के स्तरों पर प्रमुख शक्तियों द्वारा आक्रामकता को रोकने का प्रयास है.' जहां डेनमार्क और इक्वाडोर 1971 में शुरू हुए अभ्यास के 28वें संस्करण में शामिल हुए हैं, वहीं वियतनाम 2018 संस्करण से बाहर हो गया है. कोविड के कारण RIMPAC 2020 बड़े पैमाने पर आयोजित नहीं हुआ था. 17 से 31 अगस्त 2020 तक आयोजित हुए इस अभ्यास में 10 देशों के 22 जहाज, एक पनडुब्बी और लगभग 5,300 कर्मी शामिल हुए थे. भारत ने पहली बार 2014 में RIMPAC में भाग लिया था. तब उसने INS सह्याद्री को स्वदेशी रूप से निर्मित शिवालिक क्लास स्टील्थ मल्टीरोल फ्रिगेट के साथ भेजा था. 2016 में भारत ने INS सतपुड़ा जबकि 2018 में फिर से आईएनएस सह्याद्री को इसमें शामिल होने भेजा था.
इस अभ्यास से 2018 से बाहर है चीन : 2014 से पहले भारतीय नौसेना अभ्यास के 2006, 2010 और 2012 संस्करणों के लिए सिर्फ एक पर्यवेक्षक थी. RIMPAC पहली बार 1971 में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा द्वारा वार्षिक अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था. 1974 से यह द्विवार्षिक कार्यक्रम बन गया. दिलचस्प बात यह है कि चीन RIMPAC के 2014 और 2016 के संस्करणों का हिस्सा था. दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों के कारण 2018 में उसे इसके लिए आमंत्रित नहीं किया गया.
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