नई दिल्ली : अमेजन-फ्यूचर रिटेल मामले (amazon future retail case) से उपजी याचिकाओं में पक्षकारों की ओर से भारी मात्रा में दस्तावेज दाखिल किेए जाने पर उच्चतम न्यायालय (supreme court) ने मंगलवार को नाखुशी प्रकट करते हुए कहा कि क्या उद्देश्य महज मामले को लंबे समय तक खींचना या न्यायाधीशों को प्रताड़ित करना है. साथ ही, न्यायालय ने दस्तावेजों का एक साझा व संक्षिप्त संकलन मांगा.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना (chief justice nv ramana) और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना (as bopanna) तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Hima kohli) की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से कम मात्रा में दस्तावेज दाखिल करने को कहा, ताकि विषय का निस्तारण हो सके तथा मामले की अगली सुनवाई आठ दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी.
प्रधान न्यायाधीश (chief jusitce) ने कहा, 'मुझे दुख के साथ आप सभी से कहना पड़ रहा है कि रिकार्ड के 22-23 खंड दाखिल करने में क्या आनंद मिलता है. दोनों पक्षों ने बार-बार कितनी संख्या में दस्तावेज दाखिल किये हैं और क्या यह मामले को महज लंबा खींचने या फिर न्यायाधीशों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से किया गया है.'
फ्यूचर समूह (future group) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (harish salve) ने कहा कि यह पूरी तरह से अनावश्यक है और सुझाव दिया कि दोनों पक्ष चर्चा कर सकते हैं तथा संक्षिप्त लिखित नोट के साथ एक साझा दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं.
पीठ ने कहा, 'दस्तावेजों के खंड ढूंढने में समस्या है. हमें कुछ समय दीजिए. एक काम करिये. क्या आप जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं उनका एक संक्षिप्त संकलन तैयार कर सकते हैं. भारी मात्रा में कल दस्तावेज दाखिल किये गये.'
इस बीच, पीठ ने आईडीबीआई ट्रस्टशिप को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और कहा कि वह अपनी याचिका के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय जा सकता है.
यह याचिका फ्यूचर रिटेट शेयर पर उच्च न्यायालय (high court) द्वारा लगाई गई रोक हटाने की मांग करते हुए दायर की गई थी.
शीर्ष न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय (delhi high court) के हालिया आदेश के खिलाफ फ्यूचर समूह की एक नई याचिका पर सुनवाई कर रहा है. उच्च न्यायालय ने फ्यूचर समूह (future group) की याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया था जिसके जरिये सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) के आपातकालीन फैसले में हस्तक्षेप करने से एक मध्यस्थता अधिकरण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी. एसआईएसी ने उसे रिलायंस रिटेल (reliance retail) के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय करार पर आगे बढ़ने से रोक दिया था.
पीठ अमेजन (amazon) की भी एक जवाबी याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें नियामकों को विलय करार को मंजूरी देने से रोकने का अनुरोध किया गया है.
(पीटीआई भाषा)