कोलकाता : नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने भारत में मौजूदा हालात पर चिंता जताई और कहा कि लोगों को एकता बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक आधार पर विभाजन नहीं किया जाना चाहिए. प्रख्यात अर्थशास्त्री ने गुरुवार को सॉल्ट लेक इलाके में अमर्त्य अनुसंधान केंद्र के उद्घाटन पर उन्होंने अन्नादशंकर रॉय की कविता का जिक्र करते हुए कहा, 'मुझे लगता है कि अगर कोई मुझसे पूछता है कि मैं किसी चीज से भयभीत हूं तो मैं कहूंगा 'हां'. अब भयभीत होने की वजह है. देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं.'
उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि देश एकजुट रहे. मैं ऐसे देश में विभाजन नहीं चाहता, जो ऐतिहासिक रूप से उदार था. हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा.' उन्होंने कहा कि 'रवींद्रनाथ टैगोर, नजरुल इस्लाम, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हमें एक और सबक सिखाया है. और यहीं भारत ऐतिहासिक रूप से सहिष्णु है.' उन्होंने कहा कि भारत केवल हिंदुओं या मुसलमानों का नहीं हो सकता. उन्होंने देश की परंपराओं के आधार पर एकजुट रहने की आवश्यकता पर जोर दिया. सेन ने कहा, 'भारत केवल हिंदुओं का देश नहीं हो सकता. साथ ही अकेले मुसलमान भारत का निर्माण नहीं कर सकते. हर किसी को एक साथ मिलकर काम करना होगा.'
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने कहा, 'हिंदू संस्कृति देश नहीं है, मुसलमान भारत का हिस्सा हैं. इसका प्रमाण ताजमहल है. मुझे नहीं लगता कि हिंदू अकेले ताजमहल के निर्माण का श्रेय ले सकते हैं. शंकर अली अकबर खान (Shankar Ali Akbar Khan) सच्चे भक्ति का उदाहरण हैं. आप बंटवारे को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. नोबेल पुरस्कार विजेता बंगाली अर्थशास्त्री का मानना है कि इस संकट में देश की न्यायपालिका एक बड़ा सहारा है. उन्होंने कहा कि 'हमें न्यायपालिका और नौकरशाही के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. यदि मुख्य न्यायाधीश फैसला देने के लिए प्रभावित होते हैं, तो यह चिंता का विषय है. अन्नादशंकर रॉय की कविता भारत-पाकिस्तान विभाजन के लिए प्रासंगिक नहीं है, लेकिन देश की वर्तमान स्थिति के लिए प्रासंगिक है.'
उन्होंने कहा कि 'जाति व्यवस्था के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है, जिसका असर होने वाला है, जो चिंता का विषय है. इसके अलावा, यह बहुत चिंता का विषय है कि औपनिवेशिक कानून की आड़ में कई लोगों को कैद किया गया है.'
पढ़ें- मोदी सरकार पर अमर्त्य सेन की टिप्पणी पूरी तरह से राजनीतिक: भाजपा