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नविवाहिता जोड़े को मिलाने के बाद अदालत ने कहा,  अंत भला तो सब भला - एटा

दिल्ली हाईकोर्ट ने परिवार द्वारा महिला को अलग किए जाने पर नवविवाहिता को ससुराल जाने की अनुमित दी और कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस से कहा महिला को सुरक्षति उसके घर तक पहुंचाया जाए.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Aug 4, 2021, 4:49 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 5:11 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला के परिवार द्वारा अलग किए गए नवविवाहित जोड़े को उसके आदेश पर मिलाने और दोनों को राजधानी में खुशी-खुशी रहने पर टिप्पणी की और कहा कि अंत भला तो सब भला.

अदालत ने इस मामले में पुलिस की ‘प्रभावी और तत्काल’ कार्रवाई की भी प्रशंसा की. जानकारी के मुताबिक महिला को उसकी इच्छा के विपरीत उत्तर-प्रदेश के पैतृक निवास में रखा गया था और उच्च न्यायालय के निर्देश पर उसे दिल्ली स्थित ससुराल लाया गया.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनुप जयराम भामभानी की पीठ को सूचित किया गया कि जब महिला उत्तर-प्रदेश स्थित एटा जिले के मिरहेची स्थित अपने पैतृक घर से दिल्ली आ रही थी तब करीबी परिजनों ने उसे जाने से रोका और धमकी दी. इस पर पीठ ने दिल्ली स्थित आनंद पर्वत पुलिस थाने के प्रभारी को दंपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

अदालत को पति के वकील ने बताया कि अब जोड़ा मिल गया है. इस पर अदालत ने कहा,अंत भला तो सब भला, पहले के हालात को देखते हुए, मौजूदा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में राहत संतुष्ट करने योग्य है.

इसे भी पढ़े-मजबूरी या दबाव : 19 साल की लड़की ने 67 साल के बुजुर्ग से क्यों की शादी ?

अदालत पति द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें अनुरोध किया गया था कि उसकी पत्नी को उसके परिवार वाले दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं, अंत उसे अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया जाए.

उच्च न्यायालय ने दो अगस्त को निर्देश दिया था कि दिल्ली और उत्तर-प्रदेश की पुलिस अपनी सुरक्षा में महिला को उसके पैतृक घर से ससुराल पहुंचाए. इससे पहले वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल हुई महिला ने ससुराल जाने की इच्छा जताई थी.

गौरतलब है कि जोड़े ने इस साल जून में दिल्ली के रोहिणी स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी की थी और आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उन्हें अलग कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला के परिवार द्वारा अलग किए गए नवविवाहित जोड़े को उसके आदेश पर मिलाने और दोनों को राजधानी में खुशी-खुशी रहने पर टिप्पणी की और कहा कि अंत भला तो सब भला.

अदालत ने इस मामले में पुलिस की ‘प्रभावी और तत्काल’ कार्रवाई की भी प्रशंसा की. जानकारी के मुताबिक महिला को उसकी इच्छा के विपरीत उत्तर-प्रदेश के पैतृक निवास में रखा गया था और उच्च न्यायालय के निर्देश पर उसे दिल्ली स्थित ससुराल लाया गया.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनुप जयराम भामभानी की पीठ को सूचित किया गया कि जब महिला उत्तर-प्रदेश स्थित एटा जिले के मिरहेची स्थित अपने पैतृक घर से दिल्ली आ रही थी तब करीबी परिजनों ने उसे जाने से रोका और धमकी दी. इस पर पीठ ने दिल्ली स्थित आनंद पर्वत पुलिस थाने के प्रभारी को दंपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

अदालत को पति के वकील ने बताया कि अब जोड़ा मिल गया है. इस पर अदालत ने कहा,अंत भला तो सब भला, पहले के हालात को देखते हुए, मौजूदा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में राहत संतुष्ट करने योग्य है.

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अदालत पति द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें अनुरोध किया गया था कि उसकी पत्नी को उसके परिवार वाले दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं, अंत उसे अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया जाए.

उच्च न्यायालय ने दो अगस्त को निर्देश दिया था कि दिल्ली और उत्तर-प्रदेश की पुलिस अपनी सुरक्षा में महिला को उसके पैतृक घर से ससुराल पहुंचाए. इससे पहले वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल हुई महिला ने ससुराल जाने की इच्छा जताई थी.

गौरतलब है कि जोड़े ने इस साल जून में दिल्ली के रोहिणी स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी की थी और आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उन्हें अलग कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 4, 2021, 5:11 PM IST
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