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उत्तर प्रदेश : नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 10 नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसदों के खिलाफ नोटिस जारी किया है. वाराणसी के प्रकाश बजाज ने याचिका में 10 राज्यसभा सदस्यों के निर्वाचन को चुनौती दी थी.

हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
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Published : Dec 18, 2020, 10:30 PM IST

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश से नवनिर्वाचित 10 राज्यसभा सांसदों को नोटिस जारी किया है. यह आदेश न्यायाधीश जसप्रीत सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने वाराणसी के प्रकाश बजाज की ओर से दाखिल निर्वाचन याचिका पर पहली सुनवाई के बाद पारित किया.

याचिका में दो नवंबर को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए 10 राज्यसभा सदस्यों के निर्वाचन को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने स्वयं इन चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया था, लेकिन उनके नामांकन पत्र को निर्वाचन अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया था. नामांकन पत्र निरस्त करने का कारण शपथ पत्र व फॉर्म में त्रुटि बताई गई थी.

पढ़ें- जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने कहा, नजरबंदी स्थायी नहीं

याची का कहना है कि उनका नामांकन गलत आधार पर मनमाने तरीके से निरस्त किया गया है. यह भी कहा गया कि अन्य सभी के फॉर्म में समान त्रुटियां थीं, लेकिन भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए चुनाव अधिकारी ने मनमाने तरीके से सिर्फ उनके नामांकन पत्र को खारिज किया.

उक्त याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100(1)(सी) व धारा 100 (डी)(1) में उल्लेखित आधारों को दृष्टिगत रखते हुए दाखिल की गई है. मामले की सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने प्रतिवादी बनाए गए राज्यसभा सदस्यों को नोटिस जारी किया है.

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश से नवनिर्वाचित 10 राज्यसभा सांसदों को नोटिस जारी किया है. यह आदेश न्यायाधीश जसप्रीत सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने वाराणसी के प्रकाश बजाज की ओर से दाखिल निर्वाचन याचिका पर पहली सुनवाई के बाद पारित किया.

याचिका में दो नवंबर को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए 10 राज्यसभा सदस्यों के निर्वाचन को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने स्वयं इन चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया था, लेकिन उनके नामांकन पत्र को निर्वाचन अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया था. नामांकन पत्र निरस्त करने का कारण शपथ पत्र व फॉर्म में त्रुटि बताई गई थी.

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याची का कहना है कि उनका नामांकन गलत आधार पर मनमाने तरीके से निरस्त किया गया है. यह भी कहा गया कि अन्य सभी के फॉर्म में समान त्रुटियां थीं, लेकिन भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए चुनाव अधिकारी ने मनमाने तरीके से सिर्फ उनके नामांकन पत्र को खारिज किया.

उक्त याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100(1)(सी) व धारा 100 (डी)(1) में उल्लेखित आधारों को दृष्टिगत रखते हुए दाखिल की गई है. मामले की सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने प्रतिवादी बनाए गए राज्यसभा सदस्यों को नोटिस जारी किया है.

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