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Allahabad HC : दुष्कर्म और हत्या के आरोपी की फांसी की सजा रद्द, सभी आरोपों से बरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या के एक आरोपी (Rape Accused) की फांसी की सजा रद्द कर दी है. हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टि करने से इनकार करते हुए याची को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

Allahabad High Court
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : Dec 27, 2021, 7:39 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और हत्या के आरोपी (Rape and Murder Accused) नाजिल की फांसी की सजा रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है. बिना सबूतों की सत्यता की जांच किए आरोपियों को सजा सुना दी गयी. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए दिया.

मृतक नाबालिग के शरीर पर आरोपी के सिमेन की फॉरेंसिक या मेडिकल जांच नहीं करायी गयी, जिससे आरोप साबित किया जा सकता. शव से कई अंग नदारद थे. अभियुक्त के अपराध स्वीकार करने के अलावा ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे अपराध सिद्ध होता. विचारण न्यायालय भी अभियोजन पक्ष के सबूतों की विश्वसनीयता की परख करने में विफल रहा.

ये भी पढ़ें - OBC आरक्षण : केंद्र का MP मामले में पारित आदेश वापस लेने का SC से अनुरोध

दरअसल 7 मई 2019 को 6 वर्ष की बच्ची लापता हो गयी थी. 22 जून को निर्माणाधीन इमारत में लाश पायी गयी थी, जो कंकाल में तब्दील हो गयी थी. कपड़े गंदे हो गये थे. एनकाउंटर में अपीलार्थी को गिरफ्तार किया गया. उसे गोली लगी थी और अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

आखिरी बार मृतका के साथ देखे जाने का भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. 45 दिनों तक परिवार ने भी संदेह नहीं किया. सत्र अदालत ने दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनायी थी. हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टि करने से इनकार करते हुए अपीलार्थी को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और हत्या के आरोपी (Rape and Murder Accused) नाजिल की फांसी की सजा रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है. बिना सबूतों की सत्यता की जांच किए आरोपियों को सजा सुना दी गयी. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए दिया.

मृतक नाबालिग के शरीर पर आरोपी के सिमेन की फॉरेंसिक या मेडिकल जांच नहीं करायी गयी, जिससे आरोप साबित किया जा सकता. शव से कई अंग नदारद थे. अभियुक्त के अपराध स्वीकार करने के अलावा ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे अपराध सिद्ध होता. विचारण न्यायालय भी अभियोजन पक्ष के सबूतों की विश्वसनीयता की परख करने में विफल रहा.

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दरअसल 7 मई 2019 को 6 वर्ष की बच्ची लापता हो गयी थी. 22 जून को निर्माणाधीन इमारत में लाश पायी गयी थी, जो कंकाल में तब्दील हो गयी थी. कपड़े गंदे हो गये थे. एनकाउंटर में अपीलार्थी को गिरफ्तार किया गया. उसे गोली लगी थी और अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

आखिरी बार मृतका के साथ देखे जाने का भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. 45 दिनों तक परिवार ने भी संदेह नहीं किया. सत्र अदालत ने दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनायी थी. हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टि करने से इनकार करते हुए अपीलार्थी को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

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