ETV Bharat / bharat

गैर स्थानीय मतदाता मामलाः जम्मू में पीएजीडी की बैठक, समिति गठित करने का फैसला - जम्मू कश्मीर

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की मतदाता सूची में प्रवासियों को शामिल करने के मुद्दे पर पीएजीडी द्वारा बुलाई गई बैठक में एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया. बैठक में पीएजीडी के सभी घटकों के अलावा डीएसएसपी और डोगरा सदर सभा ने भाग लिया.

All party meeting
सर्वदलीय बैठक
author img

By

Published : Sep 10, 2022, 4:46 PM IST

Updated : Sep 10, 2022, 10:40 PM IST

जम्मू : पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) की ओर से शनिवार को यहां बुलाई गई बैठक में जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में प्रवासियों को शामिल करने के मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तैयार करने को लेकर एक समिति गठित करने का फैसला किया गया. बैठक में पीएजीडी के सभी पांच घटक - नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा कांग्रेस ने भाग लिया, जिसका प्रतिनिधित्व क्रमश: पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, एमवाई तारिगामी, अश्विनी कपूर और मुजफ्फर शाह ने किया.

जानिए क्या कहा नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने

कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल वानी और कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, शिवसेना के मनीष साहनी, डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह, डोगरा सदर सभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गुलचैन सिंह चरक भी बैठक में शामिल हुए. मिशन स्टेटहुड जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष सुनील डिंपल और जम्मू के कई अन्य सामाजिक और धार्मिक समूह भी बैठक में मौजूद थे.

पीएजीडी के अध्यक्ष और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने यहां अपने आवास पर तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के बाद समिति के गठन पर निर्णय की घोषणा की गई. पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, 'मुख्य उद्देश्य जम्मू कश्मीर की मतदान सूची में प्रवासी लोगों को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा करना था. चरक साहब ने एक सुझाव दिया कि एक समिति बनाई जानी चाहिए.' उन्होंने कहा कि बाद में बैठक में सर्वसम्मति से समिति गठित करने का निर्णय लिया गया जो इस मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तैयार करेगी.

मताधिकार के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एक

मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिरदेश कुमार ने पांच सितंबर को मतदाता सूची के सारांश संशोधन पर चर्चा करने के लिए यहां एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिन्होंने बाद में दावा किया कि अध्यक्ष ने 'बाहरी' सहित 25 लाख मतदाता को शामिल करने के बारे में उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया. कुमार ने अगस्त में कहा था कि मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के बाद जम्मू कश्मीर को बाहरी लोगों सहित लगभग 25 लाख अतिरिक्त मतदाता मिलने की संभावना है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार केंद्र शासित प्रदेश चुनाव के लिए तैयार है.

देखें वीडियो

मतभेदों के बाद प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि मतदाता सूची के संशोधन में जम्मू कश्मीर के मौजूदा निवासियों को शामिल किया जाएगा और संख्या में वृद्धि उन मतदाताओं से होगी जो एक अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं. अब्दुल्ला ने कहा, 'हम सभी जम्मू कश्मीर में हो रहे हमले को रोकने के लिए एक साथ हैं. यह (बाहरी लोगों को मतदान का अधिकार देना) सबसे बड़ा मुद्दा है और यह हमें स्वीकार्य नहीं है.' पीएजीडी द्वारा बुलाई गई बैठक में जम्मू के नेताओं की भागीदारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'वे अलग-अलग विचारधारा से संबंधित हैं या अलग-अलग एजेंडा है लेकिन हम सभी इस मुद्दे पर यहां एक साथ हैं.'

नेकां नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए सभी वादे विफल हो गए हैं और जम्मू कश्मीर के लोगों पर 'हर दिन' नए कानून लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'उपराज्यपाल यहां बैठे हैं... प्रधानमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक (पिछले साल जून में) की अध्यक्षता की और एक निर्णय लिया गया कि 'दिल्ली की दूरी' के साथ-साथ 'दिल की दूरी' को पाटा जाएगा और सभी कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'मुझे किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएं जिसे रिहा किया गया हो और वे हर दिन नए कानूनों को लागू कर रहे हैं. इसलिए, हम सभी को यहां लगता है कि हमारे अधिकारों पर हमला हो रहा है और हम इस हमले का मुकाबला करने के लिए यहां हैं.'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संशोधन के बाद मतदाताओं की संख्या में वृद्धि पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों में विसंगतियां थीं. अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा का उद्देश्य किसी भी तरह से चुनाव जीतना है. उन्होंने कहा, 'वे (भाजपा) लोगों पर शासन करना चाहते हैं... वे वोट दें या नहीं. वे हर दिन चिल्लाते हैं कि वे अगली सरकार बनाने जा रहे हैं जैसे कि अन्य कोई भी नहीं हैं.' उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र लोगों के बारे में है न कि सत्ता के बारे में.'

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष वानी ने कहा कि कांग्रेस लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए सबसे आगे रहती है, चाहे वह पीएजीडी का हिस्सा हो या नहीं. वानी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि बाहरी के बजाय जम्मू कश्मीर के लोग अपने चुने हुए प्रतिनिधि का फैसला करें.' उन्होंने कहा कि वे बंद दरवाजों के बजाय निर्वाचन आयोग से सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण चाहते हैं. चौधरी लाल सिंह ने कहा कि उन्होंने 'लोगों के बड़े हित' को ध्यान में रखते हुए बैठक में भाग लेने के निमंत्रण को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, 'हम विधानसभा चुनाव में बाहरी लोगों को वोट देने के अधिकार के खिलाफ हैं. उनका इससे कोई वास्ता नहीं है.' उन्होंने कहा, 'चूंकि अनुच्छेद 370 पूर्वाग्रह से ग्रसित है, इसलिए हम स्थानीय लोगों की भूमि और नौकरियों की सुरक्षा के लिए जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 371 का विस्तार चाहते हैं.'

ये भी पढ़ें - जम्मू कश्मीर में क्रिकेट घोटाला मामले में पेश नहीं हो सके फारूक अब्दुल्ला

जम्मू : पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) की ओर से शनिवार को यहां बुलाई गई बैठक में जम्मू कश्मीर की मतदाता सूची में प्रवासियों को शामिल करने के मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तैयार करने को लेकर एक समिति गठित करने का फैसला किया गया. बैठक में पीएजीडी के सभी पांच घटक - नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा कांग्रेस ने भाग लिया, जिसका प्रतिनिधित्व क्रमश: पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, एमवाई तारिगामी, अश्विनी कपूर और मुजफ्फर शाह ने किया.

जानिए क्या कहा नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने

कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष विकार रसूल वानी और कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, शिवसेना के मनीष साहनी, डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह, डोगरा सदर सभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री गुलचैन सिंह चरक भी बैठक में शामिल हुए. मिशन स्टेटहुड जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष सुनील डिंपल और जम्मू के कई अन्य सामाजिक और धार्मिक समूह भी बैठक में मौजूद थे.

पीएजीडी के अध्यक्ष और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने यहां अपने आवास पर तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के बाद समिति के गठन पर निर्णय की घोषणा की गई. पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, 'मुख्य उद्देश्य जम्मू कश्मीर की मतदान सूची में प्रवासी लोगों को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा करना था. चरक साहब ने एक सुझाव दिया कि एक समिति बनाई जानी चाहिए.' उन्होंने कहा कि बाद में बैठक में सर्वसम्मति से समिति गठित करने का निर्णय लिया गया जो इस मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तैयार करेगी.

मताधिकार के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एक

मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिरदेश कुमार ने पांच सितंबर को मतदाता सूची के सारांश संशोधन पर चर्चा करने के लिए यहां एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिन्होंने बाद में दावा किया कि अध्यक्ष ने 'बाहरी' सहित 25 लाख मतदाता को शामिल करने के बारे में उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया. कुमार ने अगस्त में कहा था कि मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन के बाद जम्मू कश्मीर को बाहरी लोगों सहित लगभग 25 लाख अतिरिक्त मतदाता मिलने की संभावना है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार केंद्र शासित प्रदेश चुनाव के लिए तैयार है.

देखें वीडियो

मतभेदों के बाद प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि मतदाता सूची के संशोधन में जम्मू कश्मीर के मौजूदा निवासियों को शामिल किया जाएगा और संख्या में वृद्धि उन मतदाताओं से होगी जो एक अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं. अब्दुल्ला ने कहा, 'हम सभी जम्मू कश्मीर में हो रहे हमले को रोकने के लिए एक साथ हैं. यह (बाहरी लोगों को मतदान का अधिकार देना) सबसे बड़ा मुद्दा है और यह हमें स्वीकार्य नहीं है.' पीएजीडी द्वारा बुलाई गई बैठक में जम्मू के नेताओं की भागीदारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'वे अलग-अलग विचारधारा से संबंधित हैं या अलग-अलग एजेंडा है लेकिन हम सभी इस मुद्दे पर यहां एक साथ हैं.'

नेकां नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए सभी वादे विफल हो गए हैं और जम्मू कश्मीर के लोगों पर 'हर दिन' नए कानून लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'उपराज्यपाल यहां बैठे हैं... प्रधानमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक (पिछले साल जून में) की अध्यक्षता की और एक निर्णय लिया गया कि 'दिल्ली की दूरी' के साथ-साथ 'दिल की दूरी' को पाटा जाएगा और सभी कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'मुझे किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएं जिसे रिहा किया गया हो और वे हर दिन नए कानूनों को लागू कर रहे हैं. इसलिए, हम सभी को यहां लगता है कि हमारे अधिकारों पर हमला हो रहा है और हम इस हमले का मुकाबला करने के लिए यहां हैं.'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संशोधन के बाद मतदाताओं की संख्या में वृद्धि पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों में विसंगतियां थीं. अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा का उद्देश्य किसी भी तरह से चुनाव जीतना है. उन्होंने कहा, 'वे (भाजपा) लोगों पर शासन करना चाहते हैं... वे वोट दें या नहीं. वे हर दिन चिल्लाते हैं कि वे अगली सरकार बनाने जा रहे हैं जैसे कि अन्य कोई भी नहीं हैं.' उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र लोगों के बारे में है न कि सत्ता के बारे में.'

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष वानी ने कहा कि कांग्रेस लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए सबसे आगे रहती है, चाहे वह पीएजीडी का हिस्सा हो या नहीं. वानी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि बाहरी के बजाय जम्मू कश्मीर के लोग अपने चुने हुए प्रतिनिधि का फैसला करें.' उन्होंने कहा कि वे बंद दरवाजों के बजाय निर्वाचन आयोग से सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण चाहते हैं. चौधरी लाल सिंह ने कहा कि उन्होंने 'लोगों के बड़े हित' को ध्यान में रखते हुए बैठक में भाग लेने के निमंत्रण को स्वीकार किया. उन्होंने कहा, 'हम विधानसभा चुनाव में बाहरी लोगों को वोट देने के अधिकार के खिलाफ हैं. उनका इससे कोई वास्ता नहीं है.' उन्होंने कहा, 'चूंकि अनुच्छेद 370 पूर्वाग्रह से ग्रसित है, इसलिए हम स्थानीय लोगों की भूमि और नौकरियों की सुरक्षा के लिए जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 371 का विस्तार चाहते हैं.'

ये भी पढ़ें - जम्मू कश्मीर में क्रिकेट घोटाला मामले में पेश नहीं हो सके फारूक अब्दुल्ला

Last Updated : Sep 10, 2022, 10:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.