इस्लामाबाद : पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय में नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और संसद को भंग करने मामले में आज एक बार फिर सुनवाई टल गई है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को इस ‘हाई-प्रोफाइल’ मामले में ‘उचित आदेश’ देने का वादा करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी. न्यायालय ने देश में राजनीतिक स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है.
इससे कुछ ही देर पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. खान ने संसद के निचले सदन, 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में प्रभावी तौर पर बहुमत खो दिया था. प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदमों पर गौर करते हुए अदालत फैसला सुनाएगी.
रविवार को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री खान को हटाने की विपक्ष की कोशिश को उपाध्यक्ष सूरी द्वारा खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप किया. विपक्ष ने उपाध्यक्ष के फैसले को संविधान का उल्लंघन करार दिया और कहा कि इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. अदालत का निर्णय नेशनल असेंबली को भंग करने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश की वैधता को भी तय करेगा. अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद, प्रधानमंत्री खान ने राष्ट्रपति को संसद को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह दी थी. अगर खान के अनुकूल फैसला आता है, तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे. विशेषज्ञों ने कहा कि अगर अदालत उपाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाती है, तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जायेगा और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जायेगा.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता शहबाज शरीफ ने संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री खान पर संविधान का उल्लंघन करने और देश में मार्शल कानून लागू करने का आरोप लगाया. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने प्रधान न्यायाधीश से फैसला करने के लिए एक पूर्ण अदालत की पीठ गठित करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, अविश्वास प्रस्ताव प्रधानमंत्री को हटाने का एक लोकतांत्रिक तरीका है और हम संविधान की रक्षा करना जारी रखेंगे.
बता दें कि, उच्चतम न्यायालय की एक वृहद पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है और इसमें प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं. नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
मामले में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सभी राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाया गया है. उपाध्यक्ष के फैसले को लेकर सरकार और विपक्ष के वकीलों ने अपनी दलीलों को पेश किया. सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अदालत सुनवाई पूरी करने से पहले सभी पक्षों के प्रतिनिधियों को सुनेगी. इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई मंगलवार की दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी. दलीलों के दौरान प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि अगर नेशनल असेंबली के अध्यक्ष संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हैं, तो भी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता है.न्यायमूर्ति बंदियाल ने इससे पहले दिन में कहा था कि अदालत इस मुद्दे पर आज उचित आदेश जारी करेगी.
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समाचार पत्र डॉन की खबर के अनुसार सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अहसन ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही में उल्लंघन हुआ है. न्यायमूर्ति बंदियाल ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले बहस का कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति अख्तर ने इस तरह के फैसले को पारित करने के लिए नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष के संवैधानिक अधिकार पर संदेह व्यक्त किया. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राय में केवल अध्यक्ष को इस तरह का आदेश पारित करने का अधिकार था. अध्यक्ष की अनुपलब्धता पर उपाध्यक्ष सत्र की अध्यक्षता करते हैं. संयुक्त विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे फारूक एच. नाइक ने मामले पर फैसला सुनाने के लिए अदालत से अनुरोध किया. लेकिन न्यायमूर्ति अहसन ने कहा कि आज (सोमवार) फैसला सुनाना असंभव है. न्यायमूर्ति बंदियाल ने मंगलवार की दोपहर 12 बजे तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दिया.