कोलकाता : पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार के नए नोटिस से राज्य की भाजपा विरोधी सभी पार्टियां एक साथ आ गई हैं. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस और वाम दल भी इसे 'बदले की भावना' से प्रेरित बताया है.
गैर-भाजपा नेताओं और पूर्व नौकरशाहों का मानना है कि केंद्र सरकार का यह कदम अनुचित है और यह एक निरर्थक कदम साबित होगा.
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय, सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती और कांग्रेस नेता सुभनकर सरकार इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि यह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार के बाद भाजपा की प्रतिशोध की भावना को दर्शाता है.
रॉय का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले को बेवजह मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है और पूर्व मुख्य सचिव इसका मुख्य शिकार बन गए हैं.
केंद्र सरकार ने बंदोपाध्याय को एक नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि एक जांच समिति का गठन किया जा सकता है, जो यह तय करेगी कि उन्होंने सेवा नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं.
ताजा नोटिस में कहा गया है कि बंदोपाध्याय को एक महीने के भीतर अपनी बात और तर्क पेश करने का मौका दिया जाएगा और अगर वह उस अवधि के भीतर ऐसा करने में विफल रहते हैं तो केंद्र सरकार उन्हें सुनवाई का कोई मौका दिए बिना सर्वसम्मति से निर्णय लेगी.
'बेकार साबित होगी केंद्र की सारी कवायद'
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और आईएएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील मित्रा ने कहा कि उनकी राय में बंदोपाध्याय के खिलाफ यह सारी कवायद आखिरकार बेकार साबित होगी.
मित्रा ने कहा, 'अब जो कुछ हो रहा है, वह केंद्र और राज्य सरकार के बीच रस्साकशी है. लेकिन अंतत: एक सेवानिवृत्त नौकरशाह के खिलाफ इस तरह की कवायद बेकार साबित होगी. बेशक, बंदोपाध्याय को कुछ शुरुआती उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन मुझे लगता है कि खेल अभी शुरू हुआ है और अंतत: केंद्र सरकार को इस कवायद के लिए पछताना पड़ेगा.'
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मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय और सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि बंदोपाध्याय केंद्र सरकार की बदले की राजनीति का शिकार हो गए हैं.
'केंद्र की कार्रवाई संघीय ढांचे के खिलाफ'
सौगत रॉय ने कहा, 'केंद्र सरकार उन्हें बेवजह परेशान करने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में अनुपस्थित रहने पर उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की धमकी दी जाती है. मुख्यमंत्री राज्य में आपदा प्रबंधन विभाग का प्रमुख होता है. ऐसे में केंद्र सरकार की हरकत अजीब है. केंद्र सरकार ऐसे किसी नौकरशाह को वापस नहीं बुला सकती. इसके लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य के नौकरशाहों को खतरा महसूस हो. केंद्र सरकार की यह कार्रवाई देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है.'
इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में वाम विधायक दल के पूर्व नेता डॉ सुजान चक्रवर्ती तृणमूल नेतृत्व से पूरी तरह सहमत हैं. उन्होंने कहा कि हम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार की शैली और कामकाज के खिलाफ हैं. हालांकि, जिस तरह से केंद्र सरकार एक पूर्व नौकरशाह के साथ व्यवहार कर रही है, वह अक्षम्य है. स्वाभाविक है कि मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करेंगे. इस मामले में केंद्र सरकार जो कर रही है वह बदले की राजनीति को दर्शाता है.
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इसी तरह, कांग्रेस नेता सुभनकर सरकार को लगता है कि अलपन बंदोपाध्याय को कठपुतली के रूप में इस्तेमाल करके केंद्र सरकार वास्तव में राज्य के नौकरशाहों का अपमान करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक पूर्व नौकरशाह को परेशान किया जा रहा है, वह अभूतपूर्व है.