गुवाहाटी : आरटीआई कार्यकर्ता और शिवसागर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक बने अखिल गोगोई ने शुक्रवार को असम विधानसभा में पद की शपथ ली. गोगोई ने हाल ही में शिवसागर से चुनाव लड़ा था. उन्हें सुरक्षा के बीच असम विधानसभा ले जाया गया, जहां प्रोटेम स्पीकर फानी भूषण चौधरी ने उन्हें शपथ दिलाई.
गोगोई सदन के पहले सदस्य बने जिन्होंने न केवल जेल से चुनाव लड़ा बल्कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए पद की शपथ भी ली. अदालत ने गोगोई को शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने की अनुमति दी थी.
शुक्रवार को शपथ ग्रहण समारोह के साथ, गोगोई ने सदन के भीतर से और अधिक लोकतांत्रिक रूप से असम के दलित लोगों के लिए अपना संघर्ष जारी रखने की उम्मीद है.
हालांकि, असम के कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि गोगोई ने रिकॉर्ड अंतर से चुनाव जीता है, लेकिन जेल से उनकी आजादी के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है.
गोगोई के वकील शांतनु बरठाकुर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि असम विधानसभा की चुनाव से लंबित कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने की संभावना नहीं है.
बोरठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के तहत उनके खिलाफ दो मामले लंबित हैं. गोगोई को दो मामलों में से एक के खिलाफ पिछले अक्टूबर में जमानत दी गई थी, जबकि अन्य मामले में कानूनी प्रक्रिया अभी भी लंबित है.
बता दें कि गोगोई को सीएए आंदोलन में शामिल होने के आरोप में दिसंबर 2019 में असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. सरकार ने बाद में मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी. एनआईए गोगोई के माओवादियों के साथ कथित संबंधों की भी जांच कर रही है.
बोरठाकुर ने कहा कि दूसरे मामले की सुनवाई में कुछ और समय लग सकता है, जिससे गोगोई की रिहाई की प्रक्रिया में देरी होने की संभावना है.
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अखिल गोगोई ने शुक्रवार को असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी से भी अपील की थी कि उन्हें विधानसभा में चल रहे तीन दिवसीय सत्र में शामिल होने की अनुमति दी जाए.
उनके खिलाफ लंबित मामले को देखते हुए ऐसा लगता है कि अखिल गोगोई को अपने अन्य साथियों की तरह सदन में बैठने के बजाय जेल के भीतर से अपना संघर्ष जारी रखना होगा.