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विमानन कंपनियां दिव्यांग यात्री को बोर्डिंग से नहीं रोक पाएंगी

विमानन कंपनियां (Airlines) दिव्यांग यात्री को यात्रा करने से रोक नहीं पाएंगी. डीजीसीए ने दिव्यांग व्यक्तियों को ले जाने के अपने नियमों में संशोधन किया है. सरकार ने संसद में इस संबंध में जानकारी दी है.

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Published : Jul 25, 2022, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिव्यांग व्यक्तियों को ले जाने के अपने नियमों में संशोधन किया है. डीजीसीए ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विमानन कंपनियां दिव्यांगता के आधार पर किसी यात्री को बोर्डिंग से इनकार नहीं कर सकतीं.

संसद के ऊपरी सदन को एक लिखित जवाब में केंद्र ने सोमवार को कहा कि 'डीजीसीए ने अब सीएआर सेक्शन 3 - एयर ट्रांसपोर्ट, सीरीज़ एम पार्ट IV को संशोधित किया है. जिसका शीर्षक है 'कैरिज बाय एयर-पर्सन विद डिसेबिलिटी एंड/या पर्सन्स विद रिड्यूस्ड मोबिलिटी' है. दरअसल मई में रांची-हैदराबाद उड़ान में एक दिव्यांग को सवार नहीं होने दिया गया था. भविष्य में ऐसी अप्रिय घटना से बचने के लिए 22 जुलाई 2022 को डीजीसीए ने अपने नियमों में संशोधन किया है.

पांच लाख रुपये लगा था जुर्माना : केंद्र ने अपने जवाब में यह भी सूचित किया कि 'तथ्य खोज की रिपोर्ट के आधार पर' इस घटना की जांच के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा गठित समिति ने एयरलाइन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.' इस सवाल पर कि क्या सरकार ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए ग्राउंड स्टाफ और क्रू के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान शुरू करेगी. केंद्र ने जवाब दिया कि एयरलाइनों, हवाईअड्डा संचालक, सुरक्षा, सीमा शुल्क और आव्रजन के सभी कर्मियों के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का प्रावधान है.

नए संशोधित नियमों के अनुसार भारतीय वाहक अब विकलांगता के आधार पर कैरिज करने से मना नहीं कर सकते हैं. फिर भी यदि एयरलाइन स्टाफ को लगता है कि उड़ान के दौरान किसी यात्री का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, तो ऐसे यात्री की व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए. चिकित्सा पेशेवर तब अपनी राय में बताएगा कि यात्री उड़ान भरने के लिए फिट है या नहीं.

डीजीसीए ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर इसके बाद कोई विमानन कंपनी किसी दिव्यांग यात्री को यात्रा न करने देने का फैसला करती है तो तत्काल रूप से यात्री को लिखित में इसकी जानकारी दी जाए और उस पत्र में ऐसा करने के पीछे के कारण का उल्लेख भी हो.

कंपनी ने जताया था खेद : 'इंडिगो' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोनोजॉय दत्ता ने नौ मई को रांची हवाई अड्डे पर सात मई को हुई घटना को लेकर खेद व्यक्त किया था और दिव्यांग बच्चे के लिए एक 'इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर' खरीदने की पेशकश की थी. दत्ता ने कहा था कि विमानन कंपनी के कर्मचारियों ने मुश्किल परिस्थितियों में यह फैसला किया. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी नौ मई को ट्वीट किया था कि किसी व्यक्ति को ऐसी स्थिति से न गुजरना पड़े और वह खुद मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं.

पढ़ें- चेक-इन काउंटर पर बोर्डिंग पास जारी करने के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकेंगी एयरलाइंस : मंत्रालय

नई दिल्ली : नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिव्यांग व्यक्तियों को ले जाने के अपने नियमों में संशोधन किया है. डीजीसीए ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विमानन कंपनियां दिव्यांगता के आधार पर किसी यात्री को बोर्डिंग से इनकार नहीं कर सकतीं.

संसद के ऊपरी सदन को एक लिखित जवाब में केंद्र ने सोमवार को कहा कि 'डीजीसीए ने अब सीएआर सेक्शन 3 - एयर ट्रांसपोर्ट, सीरीज़ एम पार्ट IV को संशोधित किया है. जिसका शीर्षक है 'कैरिज बाय एयर-पर्सन विद डिसेबिलिटी एंड/या पर्सन्स विद रिड्यूस्ड मोबिलिटी' है. दरअसल मई में रांची-हैदराबाद उड़ान में एक दिव्यांग को सवार नहीं होने दिया गया था. भविष्य में ऐसी अप्रिय घटना से बचने के लिए 22 जुलाई 2022 को डीजीसीए ने अपने नियमों में संशोधन किया है.

पांच लाख रुपये लगा था जुर्माना : केंद्र ने अपने जवाब में यह भी सूचित किया कि 'तथ्य खोज की रिपोर्ट के आधार पर' इस घटना की जांच के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा गठित समिति ने एयरलाइन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.' इस सवाल पर कि क्या सरकार ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए ग्राउंड स्टाफ और क्रू के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान शुरू करेगी. केंद्र ने जवाब दिया कि एयरलाइनों, हवाईअड्डा संचालक, सुरक्षा, सीमा शुल्क और आव्रजन के सभी कर्मियों के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का प्रावधान है.

नए संशोधित नियमों के अनुसार भारतीय वाहक अब विकलांगता के आधार पर कैरिज करने से मना नहीं कर सकते हैं. फिर भी यदि एयरलाइन स्टाफ को लगता है कि उड़ान के दौरान किसी यात्री का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, तो ऐसे यात्री की व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए. चिकित्सा पेशेवर तब अपनी राय में बताएगा कि यात्री उड़ान भरने के लिए फिट है या नहीं.

डीजीसीए ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर इसके बाद कोई विमानन कंपनी किसी दिव्यांग यात्री को यात्रा न करने देने का फैसला करती है तो तत्काल रूप से यात्री को लिखित में इसकी जानकारी दी जाए और उस पत्र में ऐसा करने के पीछे के कारण का उल्लेख भी हो.

कंपनी ने जताया था खेद : 'इंडिगो' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोनोजॉय दत्ता ने नौ मई को रांची हवाई अड्डे पर सात मई को हुई घटना को लेकर खेद व्यक्त किया था और दिव्यांग बच्चे के लिए एक 'इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर' खरीदने की पेशकश की थी. दत्ता ने कहा था कि विमानन कंपनी के कर्मचारियों ने मुश्किल परिस्थितियों में यह फैसला किया. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी नौ मई को ट्वीट किया था कि किसी व्यक्ति को ऐसी स्थिति से न गुजरना पड़े और वह खुद मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं.

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