नई दिल्ली : लोकसभा ने बुधवार को शोर- शराबे के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी. इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं को लेकर बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग गठित करने और उससे संबद्ध विषयों का उपबंध किया गया है.
वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारणों में यातायात, औद्योगिक प्रदूषण और जैविक कचरे को जलाना आदि शामिल हैं.
यादव ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए एक समेकित संस्था जरूरी थी. इसी उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है.
उन्होंने कहा कि इसमें पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों के साथ ही एनसीआर के समीपवर्ती क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है.
पेगासस जासूसी मामले पर सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पर्यावरण मंत्री ने सदन से इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करने की अपील की.
सदन ने तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरसपी) के एन. के. प्रेमचंद्रन के कुछ संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग विधेयक, 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
यह विधेयक इससे संबंधित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश, 2021 का स्थान लेगा.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता चिंता का मुख्य कारण बनी हुई है. वायु प्रदूषण के कारणों की निगरानी करने, उनका समाधान, उन्मूलन तथा वायु प्रदूषण को कम करने संबंधी उपायों की पहचान करने के लिये समेकित दृष्टिकोण विकसित एवं कार्यान्वित करने की जरूरत है.
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इसमें खेत में फसल कट जाने के बाद ठूंठ या पराली जलाने, यातायात प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन, सड़क की धूल, जैव सामग्री जलाना जैसे विषय शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सहयोगी एवं भागीदारीपूर्ण स्थायी और समर्पित तंत्र की कमी है.
उच्चतम न्यायालय ने भी कई अवसरों पर वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए अभिनव उपायों एवं अनुसंधान पहलों में सुधार की बात कही है.
विधेयक में कहा गया है कि ऐसे में वायु प्रदूषण से निपटने एवं स्थायी समाधान के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग स्थापित करना जरूरी समझा गया.
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं था और ऐसे विधान की तत्काल जरूरत थी, ऐसे में 28 अक्तूबर 2020 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश लाया गया. लेकिन उक्त अध्यादेश को प्रतिस्थापित करने के लिये संसद में पेश नहीं किया जा सका. परिणामस्वरूप इसकी मियाद 12 मार्च 2021 को समाप्त हो गई.
इसके बाद भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 123 खंड 1 के तहत 13 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश को मंजूरी दी थी.