ग्वालियर: दीपावली के बाद ग्वालियर शहर की आबोहवा जहरीली हो चुकी है. शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के ऊपर पहुंच गया है, जो बहुत खतरनाक है. यह जहरीली हवा बच्चे और बुजुर्गों के साथ साथ मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है. ( aqi increased 4 times) डॉक्टरों ने ऐसे लोगों को घर में रहने के लिए हिदायत दी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दिनों तापमान में काफी बदलाव हो रहा है, यही वजह है कि ऐसे समय में वायु प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है.
Gwalior air pollution alert: 4 गुना जहरीली हुई ग्वालियर की हवा
दीपावली के बाद सड़कों पर धूल और लगातार तापमान में गिरावट होने के कारण शहर का प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स सामान्य से 4 गुना हो गया है. मतलब इस समय शहर का AQI 400 से ऊपर है. ( aqi increased 4 times) शहर की आबोहवा जहरीली होने का सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है, कि शहर में कई सड़कें निर्माणाधीन है. इस कारण प्रदूषण का स्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है. इसके साथ ही शहर के आसपास फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण है. क्योंकि ऐसे समय में तापमान कम होने के कारण हवा की रफ्तार काफी धीमी हो जाती है.
Gwalior air pollution alert: कई इलाकों में AQI 400 के पार पहुंचा
शहर में कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के ऊपर है. एनवायरनमेंट अलर्ट के पोर्टल पर कई बार सिटी सेंटर क्षेत्र का प्रदूषण का एयर क्वालिटी इंडेक्स 499 और फूलबाग क्षेत्र का एयर क्वालिटी इंडेक्स 404 दर्ज किया जा चुका है. ( aqi increased 4 times) जो खतरनाक स्तर माना जाता है. तापमान में लगातार गिरावट भी इसका जिम्मेदार है.
Gwalior air pollution alert: जहरीली हवा बुजुर्गों और बच्चों पर भारी
जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभागाध्यक्ष डॉ एचएस शर्मा का कहना है कि, हर साल जब गर्मी से सर्दी की तरफ बढ़ते हैं तो मौसम में काफी बदलाव होता है. इसका यही कारण है लगातार तापमान कम होने के कारण प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ जाता है. ऐसे समय में बुजुर्गों, बच्चों और दमा के मरीजों को खास तौर पर ध्यान रखने की जरूरत है. घर से बाहर निकल रहे हैं तो आंखों पर चश्मा और मुंह पर मास्क लगाना बेहद जरूरी है. ( aqi increased 4 times) जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ आर.के.एस धाकड़ का कहना है कि लगातार शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. आंखों में समस्या और दमा के मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.
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क्या होता है पीएम 10 और पीएम 2.5 ?
पीएम 10 लेवल यानी पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) (PM) होते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास का होता है. इसमें धूल गर्दा और धातु के कण शामिल होते हैं.
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है. विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है.
कितना होना चाहिए पीएम 10 या 2.5
- पीएम 10 का सामान्य लेवर 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए.
- पीएम 2.5 का नार्मल लेवल 60 एमजीसीएम यानी माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए. इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है.
कितने AQI पर खराब होती है हवा?
AQI | स्वास्थ्य प्रभाव |
0 से 50 | गुड |
1 से 100 | सेटिसफेक्ट्री |
101 से 200 | मॉडरेट |
201 से 300 | पुअर |
301 से 400 | वेरी पुअर |
401 से 500 | सीवियर |