नई दिल्ली : एअर इंडिया विनिवेश में टाटा सन्स (Air India Tata Sons) को जीत मिली है. टाटा सन्स की इकाई टेलेस प्राइवेट लिमिटेड (Talace Pvt Ltd) को एअर इंडिया की कमान मिल गई है. दीपम सचिव तुहिन कांत पांडे (DIPAM Secretary Tuhin Kant Pandey) ने बताया कि टेलेस ने 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.
टाटा सन्स को एअर इंडिया (Tata Sons Air India) सौंपे जाने को लेकर तुहिन कांत पांडे (Tuhin Kant Pandey) ने बताया कि दिसंबर, 2021 के अंत तक लेन-देन पूरा होने की संभावना है. दीपम सचिव पांडे ने बताया कि मंत्रियों की समिति ने एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी है. उन्होंने बताया कि दो बोलीदाताओं ने वित्तीय बोलियां दी थीं, जिसमें टाटा सन्स की इकाई को सफलता मिली.
उन्होंने बताया कि दोनों बोलीदाताओं ने आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगायी थी और इस सौदे को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है.पांडे ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मंत्रियों के एक समूह ने चार अक्टूबर को एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी.
एअर इंडिया के लिए सफल बोली लगाने वाले टाटा संस को एयरलाइन के सभी कर्मचारियों को एक साल तक बनाए रखना होगा. इस अवधि के बाद कर्मचारियों की छंटनी के लिए कंपनी को उन्हें वीआरएस (Voluntary Retirement Scheme) की पेशकश करनी होगी.
एअर इंडिया ब्रांड के आठ लोगो हैं. टाटा सन्स इन लोगो को कम से कम पांच साल तक स्थानांतरित नहीं कर सकता है. पांच साल बाद लोगो को स्थानांतरित कर सकते हैं लेकिन केवल एक भारतीय इकाई को. सरकार ने निर्दिष्ट किया है कि एअर इंडिया ब्रांड का लोगो कभी भी किसी विदेशी संस्था के पास नहीं जा सकता.
उन्होंने बताया कि सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा से 2,700 करोड़ रुपये नकद मिलेंगे. निवेश एवं लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव ने बताया कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है.
वेलकम बैक, एअर इंडिया : रतन टाटा
एयर इंडिया की कमान मिलने के साथ ही (Chairman Emeritus) रतन टाटा (Ratan Tata Air India) ने ट्वीट करते हुए अपनी खुशी जाहिर की. उन्होंने ट्वीट के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, 'वेलकम बैक, एअर इंडिया'. टाटा ने एक बयान में कहा कि टाटा समूह का एयर इंडिया के लिये बोली जीतना बड़ी खबर है. उन्होंने यह स्वीकार किया कि कर्ज में डूबी एअर इंडिया को पटरी पर लाने के लिये काफी प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन यह जरूर है कि टाटा समूह के विमानन उद्योग में मौजूदगी को यह मजबूत बाजार अवसर उपलब्ध कराएगी.
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टाटा ने कहा कि एक समय जे आर डी टाटा के नेतृत्व में एअर इंडिया ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइनों में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी. उन्होंने कहा कि टाटा को उस छवि और प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने का अवसर मिलेगा जो उसने पूर्व में हासिल की थी. टाटा ने कहा कि जे आर डी टाटा अगर आज हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते. उन्होंने निजी क्षेत्र के लिए चुनिंदा उद्योगों को खोलने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया.
गौरतलब है कि 1932 में जेआरडी टाटा ने एअर इंडिया की शुरुआत की थी. मगर तब इसका नाम टाटा एयरलाइन था. 15 अक्टूबर 1932 को खुद जेआरडी टाटा इसकी पहली फ्लाइट लेकर कराची से मुंबई गए थे. 1933 में एयरलाइन ने कमर्शियल सर्विस शुरू की. पहले साल में कंपनी ने 1,60,000 मील की यात्रा की, 155 यात्रियों के साथ 9.72 टन सामान ढोया और कुल 60 हजार रुपये की कमाई की थी.
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दूसरे विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइन का नाम एअर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया. साल 1947 में भारत सरकार ने एअर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागीदारी ले ली. यहां से एयर इंडिया में सरकारी दखल शुरू हुआ. 1948 में एयर इंडिया ने मुंबई से लंदन के बीच इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू की. 1953 में एयर कॉरपोरेशन एक्ट (Air Corporations Act ) के तहत इसका राष्ट्रीयकरण किया गया, लेकिन जेआरडी टाटा 1977 तक इसके अध्यक्ष बने रहे.