ETV Bharat / bharat

Budget Expectations: कृषि क्षेत्र को बुनियादी ढांचे में वृद्धि की उम्मीद, किसानों की आय बढ़ाने की आशा

संसद का बजट सत्र सोमवार को शुरू हुआ. फिलहाल देश वार्षिक बजट 2022 का इंतजार (Country awaits annual budget 2022) कर रहा है, जिसे केंद्रीय वित्त मंत्री मंगलवार को पेश (Union Finance Minister will present on Tuesday) करेंगी. हर बजट की तरह यह वर्ष भी महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहे देश के लिए और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कोविड के प्रभाव के बीच भी उम्मीदें कायम रखने वाला हो सकता है.

agriculture
कृषि सेक्टर
author img

By

Published : Jan 31, 2022, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : देश के वार्षिक बजट में कृषि क्षेत्र को बुनियादी ढांचे में वृद्धि की उम्मीद (Agriculture sector expected to increase infrastructure) है. साथ ही किसानों की आय बढ़ाने की आशा भी की जा रही है. जब बजट की बात आती है तो कृषि प्रमुख क्षेत्रों में से एक है क्योंकि इससे 60% से अधिक भारतीय आबादी जुड़ी है. जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 18% योगदान देता है.

साल दर साल एनडीए सरकार में कृषि के लिए आवंटन बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2021-22 में कृषि बजट की राशि 123018 करोड़ थी जो 2020-21 से 14% अधिक थी. मोदी सरकार के पिछले सात वर्षों के रुझानों के अनुसार आवंटन में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन साथ ही विशेषज्ञों और किसान निकायों की अपनी-अपनी अपेक्षाएं और भविष्यवाणियां उन वर्गों पर हैं जिनमें बजटीय आवंटन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ और इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने जैविक खेती, कृषि स्टार्टअप, कृषि उद्यमिता और निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. सरकार जैविक और शून्य बजट खेती के बारे में बात करती है लेकिन उस पहलू पर काम करने की जरूरत है. किसानों के लिए रासायनिक उर्वरकों को सब्सिडी दी जाती है लेकिन जैविक इनपुट पर कोई सब्सिडी नहीं है.

साथ ही रासायनिक उर्वरकों पर जीएसटी 5% है जबकि जैव उर्वरकों पर यह 12% है. यदि आप शून्य बजट को बढ़ावा देना चाहते हैं या जैविक खेती को तो इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है. केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बजट पूर्व परामर्श बैठकों के दौरान ICFA के अध्यक्ष ने सरकार को पांच बिंदुओं को संबोधित करने का सुझाव दिया था. जिसमें संयुक्त रूप से ब्रांडेड किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ऊष्मायन केंद्रों की संख्या में वृद्धि, कृषि के लिए विशेष मिशन, स्टार्टअप, मत्स्य पालन/कुक्कुट/डेयरी को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और कृषि निर्यात बढ़ाने पर जोर देना शामिल है.

एक आम राय है कि इस साल कृषि के लिए बजट कुछ लोकलुभावन उपायों के साथ आएगा क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनमें पंजाब और उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण हैं जो ज्यादातर कृषि पर आश्रित हैं. मोदी सरकार ने हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर किसान संघों के एक साल के विरोध के बाद तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से देरी से प्रतिक्रिया के कारण किसान समुदाय गुस्से में है.

साथ ही किसानों की अनसुनी मांगों को लेकर भी विवाद है, जिस पर सरकार ने लिखित आश्वासन दिया जिसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन स्थगित किया गया. हालांकि विशेषज्ञ ने कहा कि भले ही सरकार किसान समुदाय को खुश करने के लिए कुछ लोकलुभावन घोषणाएं करे लेकिन उसका मतदाताओं पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. चुनाव एक ही महीने में निर्धारित हैं और इतनी कम अवधि में सरकार केवल एक ही सुखद काम कर सकती है, वह है नकद हस्तांतरण की घोषणा करना, जिसकी संभावना नहीं है.

एमजे खान ने कहा कि भले ही कुछ लोकलुभावन घोषणा की जाए लेकिन उसे वोट में बदलने में कुछ समय लगता है. इसलिए हम उम्मीद नहीं कर सकते कि यह बजट कृषि क्षेत्र और विशेष रूप से किसानों के लिए इतनी बड़ी लोकलुभावन घोषणा करेगा. कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना का सुझाव है कि कृषि क्षेत्र के लिए ग्रामीण रोजगार और निर्यात वृद्धि के लिए फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

दूसरी ओर आरएसएस से जुड़े किसान संघ भारतीय किसान संघ को उम्मीद है कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को दोगुना कर दे. वर्तमान में योजना के तहत पंजीकृत सभी किसानों को 6000 रुपये की तीन समान किस्तों में हस्तांतरित किया जाता है. बीकेएस ने इसे बढ़ाकर कम से कम 12000 रुपये करने की मांग की है. किसान संघ द्वारा उठाई गई अन्य मांगों में उर्वरक सब्सिडी को सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित करना शामिल है, न कि कंपनी के खाते में. कृषि उत्पादों पर जीएसटी में कटौती, 15 जैविक कृषि विश्वविद्यालयों के लिए बजटीय आवंटन, स्वदेशी नस्लों को बढ़ाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता की उम्मीद भी की जा रही है.

यह भी पढ़ें- budget session economic survey : अगले साल जीडीपी 8.5% रहने की उम्‍मीद

महामारी के दौरान कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने सकारात्मक विकास की प्रवृत्ति दिखाई है. विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2021-22 के लिए सेक्टर में अनुमानित वृद्धि 3.6% है. आने वाले वित्तीय वर्ष में यह लगभग 4% तक जाने का अनुमान है. यह प्रवृत्ति तीन कृषि सुधार कानूनों और महामारी के कार्यान्वयन को रोकने वाले किसानों के आंदोलन के बावजूद रही है. हालांकि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का सरकार का लक्ष्य अभी भी अधूरा है. अब कहा जा रहा है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को एक साल आगे बढ़ा सकती है और इस बजट में कुछ खास योजना ला सकती है ताकि इस लक्ष्य को बढ़ाई गई समय सीमा के भीतर हासिल किया जा सके.

नई दिल्ली : देश के वार्षिक बजट में कृषि क्षेत्र को बुनियादी ढांचे में वृद्धि की उम्मीद (Agriculture sector expected to increase infrastructure) है. साथ ही किसानों की आय बढ़ाने की आशा भी की जा रही है. जब बजट की बात आती है तो कृषि प्रमुख क्षेत्रों में से एक है क्योंकि इससे 60% से अधिक भारतीय आबादी जुड़ी है. जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 18% योगदान देता है.

साल दर साल एनडीए सरकार में कृषि के लिए आवंटन बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2021-22 में कृषि बजट की राशि 123018 करोड़ थी जो 2020-21 से 14% अधिक थी. मोदी सरकार के पिछले सात वर्षों के रुझानों के अनुसार आवंटन में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन साथ ही विशेषज्ञों और किसान निकायों की अपनी-अपनी अपेक्षाएं और भविष्यवाणियां उन वर्गों पर हैं जिनमें बजटीय आवंटन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ और इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने जैविक खेती, कृषि स्टार्टअप, कृषि उद्यमिता और निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. सरकार जैविक और शून्य बजट खेती के बारे में बात करती है लेकिन उस पहलू पर काम करने की जरूरत है. किसानों के लिए रासायनिक उर्वरकों को सब्सिडी दी जाती है लेकिन जैविक इनपुट पर कोई सब्सिडी नहीं है.

साथ ही रासायनिक उर्वरकों पर जीएसटी 5% है जबकि जैव उर्वरकों पर यह 12% है. यदि आप शून्य बजट को बढ़ावा देना चाहते हैं या जैविक खेती को तो इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है. केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बजट पूर्व परामर्श बैठकों के दौरान ICFA के अध्यक्ष ने सरकार को पांच बिंदुओं को संबोधित करने का सुझाव दिया था. जिसमें संयुक्त रूप से ब्रांडेड किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ऊष्मायन केंद्रों की संख्या में वृद्धि, कृषि के लिए विशेष मिशन, स्टार्टअप, मत्स्य पालन/कुक्कुट/डेयरी को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और कृषि निर्यात बढ़ाने पर जोर देना शामिल है.

एक आम राय है कि इस साल कृषि के लिए बजट कुछ लोकलुभावन उपायों के साथ आएगा क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनमें पंजाब और उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण हैं जो ज्यादातर कृषि पर आश्रित हैं. मोदी सरकार ने हाल ही में दिल्ली की सीमाओं पर किसान संघों के एक साल के विरोध के बाद तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से देरी से प्रतिक्रिया के कारण किसान समुदाय गुस्से में है.

साथ ही किसानों की अनसुनी मांगों को लेकर भी विवाद है, जिस पर सरकार ने लिखित आश्वासन दिया जिसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन स्थगित किया गया. हालांकि विशेषज्ञ ने कहा कि भले ही सरकार किसान समुदाय को खुश करने के लिए कुछ लोकलुभावन घोषणाएं करे लेकिन उसका मतदाताओं पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. चुनाव एक ही महीने में निर्धारित हैं और इतनी कम अवधि में सरकार केवल एक ही सुखद काम कर सकती है, वह है नकद हस्तांतरण की घोषणा करना, जिसकी संभावना नहीं है.

एमजे खान ने कहा कि भले ही कुछ लोकलुभावन घोषणा की जाए लेकिन उसे वोट में बदलने में कुछ समय लगता है. इसलिए हम उम्मीद नहीं कर सकते कि यह बजट कृषि क्षेत्र और विशेष रूप से किसानों के लिए इतनी बड़ी लोकलुभावन घोषणा करेगा. कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना का सुझाव है कि कृषि क्षेत्र के लिए ग्रामीण रोजगार और निर्यात वृद्धि के लिए फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

दूसरी ओर आरएसएस से जुड़े किसान संघ भारतीय किसान संघ को उम्मीद है कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को दोगुना कर दे. वर्तमान में योजना के तहत पंजीकृत सभी किसानों को 6000 रुपये की तीन समान किस्तों में हस्तांतरित किया जाता है. बीकेएस ने इसे बढ़ाकर कम से कम 12000 रुपये करने की मांग की है. किसान संघ द्वारा उठाई गई अन्य मांगों में उर्वरक सब्सिडी को सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित करना शामिल है, न कि कंपनी के खाते में. कृषि उत्पादों पर जीएसटी में कटौती, 15 जैविक कृषि विश्वविद्यालयों के लिए बजटीय आवंटन, स्वदेशी नस्लों को बढ़ाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता की उम्मीद भी की जा रही है.

यह भी पढ़ें- budget session economic survey : अगले साल जीडीपी 8.5% रहने की उम्‍मीद

महामारी के दौरान कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने सकारात्मक विकास की प्रवृत्ति दिखाई है. विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2021-22 के लिए सेक्टर में अनुमानित वृद्धि 3.6% है. आने वाले वित्तीय वर्ष में यह लगभग 4% तक जाने का अनुमान है. यह प्रवृत्ति तीन कृषि सुधार कानूनों और महामारी के कार्यान्वयन को रोकने वाले किसानों के आंदोलन के बावजूद रही है. हालांकि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का सरकार का लक्ष्य अभी भी अधूरा है. अब कहा जा रहा है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को एक साल आगे बढ़ा सकती है और इस बजट में कुछ खास योजना ला सकती है ताकि इस लक्ष्य को बढ़ाई गई समय सीमा के भीतर हासिल किया जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.