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किसानों के साथ मध्यस्थता पर बोले तोमर, सरकार की ओर से पहल नहीं - नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कानूनों में किसानों की आपत्तियों को लेकर आज चर्चा होती रही, लेकिन आज कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा कि लंबी चर्चा के बाद भी किसानों की तरफ से कानून रद्द किए जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प पेश नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से 15 जनवरी को अगली वार्ता की तारीख तय की गई है.

agriculture minister Tomar
नरेंद्र सिंह तोमर
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Published : Jan 8, 2021, 6:01 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 8:22 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भरोसा जताया है कि 15 जनवरी की बैठक में समाधान जरूर निकलेगा. उन्होंने कहा कि कई विषय ऐसे हैं जो उनके ध्यान में आएंगे, कुछ बातें हमारे ध्यान में भी आएंगी. उन्होंने कहा कि अगली चर्चा में तमाम मुद्दों पर बात की जाएगी और निष्कर्ष निकलेगा.

सरकार जरूर विचार करेगी
राज्यों को कानून बनाने का अधिकार देने के सवाल पर तोमर ने कहा कि किसी भी किसान नेता ने बैठक में इस तरह का प्रस्ताव नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार यह कहा है कि वे वैकल्पिक प्रस्ताव देंगे तो सरकार जरूर विचार करेगी.

बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

कई लोग कानून के समर्थन में भी हैं
किसान नेताओं के बीच पैठ बनाने को लेकर सरकार की कोशिशों पर तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से किसी को सीधा एप्रोच नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन कृषि कानूनों पर है. पक्षकारों का मानना है कि कानूनों को रद्द किया जाए. कई लोग ऐसे हैं जो कानूनों के समर्थन में भी हैं.

जल्द समाधान पर जोर
तोमर ने कहा कि समर्थन कर रहे लोग मिलने का समय मांगते हैं तो हम उनसे भेंट करते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि बाबा लक्खा सिंह जी सिख समाज के धार्मिक संत हैं. उनके मन में यह दर्द था कि किसान आंदोलन पर हैं, सर्दी का मौसम है, ऐसे में इस मुद्दे का समाधान जल्दी होना चाहिए.

सरकार के कानूनी पक्ष बताए
लक्खा सिंह से भेंट के सवाल पर तोमर ने कहा कि उन्होंने मुलाकात करने संबंधी सूचना भेजी. उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान लक्खा सिंह जी ने किसानों का पक्ष रखा और मैंने सरकार के कानूनी पक्ष को उनके सामने रखा.

बकौल तोमर, 'यूनियन से चर्चा के दौरान जो उनकी कठिनाईयां हम लोगों के संज्ञान में आईं उन पर हम लोगों ने यूनियन को लिखित प्रस्ताव भी दिया जिसे यूनियन ने खारिज कर दिया.'

मध्यस्थता करने को नहीं कहा
तोमर ने कहा कि मैंने लक्खा सिंह से प्रार्थना की, कि वे यूनियन के नेताओं से कृषि कानूनों को रद्द करने के अतिरिक्त कोई विचार सीधा हमें दें या लक्खा सिंह जी को भी कोई प्रस्ताव दें तो हम विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता करने के लिए हमारी ओर से नहीं कहा गया.

सौहार्दपूर्ण वातावरण में बात
उन्होंने कहा कि लक्खा सिंह जी के मन में किसानों के प्रति जो दर्द था उसके कारण हमसे बात की. तोमर ने कहा कि विषय किसानों का भी है, धार्मिक संत का भी है. सरकार के मन में दोनों के प्रति सम्मान है. उनसे बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में बात हुई है.

समर्थकों को शामिक करने पर विचार
समर्थन दे रहे किसान संगठनों को भी बैठक में शामिल करने के सवाल पर तोमर ने कहा कि अभी ऐसा कोई विचार नहीं है, अभी आंदोलनकारी पक्ष से ही बात कर रहे हैं. उन्होंने संकेत दिए कि आने वाले कल में जरूरत पड़ने पर सरकार इस दिशा में विचार कर सकती ह, अभी ऐसा विचार नहीं है.

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भरोसा जताया है कि 15 जनवरी की बैठक में समाधान जरूर निकलेगा. उन्होंने कहा कि कई विषय ऐसे हैं जो उनके ध्यान में आएंगे, कुछ बातें हमारे ध्यान में भी आएंगी. उन्होंने कहा कि अगली चर्चा में तमाम मुद्दों पर बात की जाएगी और निष्कर्ष निकलेगा.

सरकार जरूर विचार करेगी
राज्यों को कानून बनाने का अधिकार देने के सवाल पर तोमर ने कहा कि किसी भी किसान नेता ने बैठक में इस तरह का प्रस्ताव नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार यह कहा है कि वे वैकल्पिक प्रस्ताव देंगे तो सरकार जरूर विचार करेगी.

बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

कई लोग कानून के समर्थन में भी हैं
किसान नेताओं के बीच पैठ बनाने को लेकर सरकार की कोशिशों पर तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से किसी को सीधा एप्रोच नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन कृषि कानूनों पर है. पक्षकारों का मानना है कि कानूनों को रद्द किया जाए. कई लोग ऐसे हैं जो कानूनों के समर्थन में भी हैं.

जल्द समाधान पर जोर
तोमर ने कहा कि समर्थन कर रहे लोग मिलने का समय मांगते हैं तो हम उनसे भेंट करते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि बाबा लक्खा सिंह जी सिख समाज के धार्मिक संत हैं. उनके मन में यह दर्द था कि किसान आंदोलन पर हैं, सर्दी का मौसम है, ऐसे में इस मुद्दे का समाधान जल्दी होना चाहिए.

सरकार के कानूनी पक्ष बताए
लक्खा सिंह से भेंट के सवाल पर तोमर ने कहा कि उन्होंने मुलाकात करने संबंधी सूचना भेजी. उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान लक्खा सिंह जी ने किसानों का पक्ष रखा और मैंने सरकार के कानूनी पक्ष को उनके सामने रखा.

बकौल तोमर, 'यूनियन से चर्चा के दौरान जो उनकी कठिनाईयां हम लोगों के संज्ञान में आईं उन पर हम लोगों ने यूनियन को लिखित प्रस्ताव भी दिया जिसे यूनियन ने खारिज कर दिया.'

मध्यस्थता करने को नहीं कहा
तोमर ने कहा कि मैंने लक्खा सिंह से प्रार्थना की, कि वे यूनियन के नेताओं से कृषि कानूनों को रद्द करने के अतिरिक्त कोई विचार सीधा हमें दें या लक्खा सिंह जी को भी कोई प्रस्ताव दें तो हम विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता करने के लिए हमारी ओर से नहीं कहा गया.

सौहार्दपूर्ण वातावरण में बात
उन्होंने कहा कि लक्खा सिंह जी के मन में किसानों के प्रति जो दर्द था उसके कारण हमसे बात की. तोमर ने कहा कि विषय किसानों का भी है, धार्मिक संत का भी है. सरकार के मन में दोनों के प्रति सम्मान है. उनसे बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में बात हुई है.

समर्थकों को शामिक करने पर विचार
समर्थन दे रहे किसान संगठनों को भी बैठक में शामिल करने के सवाल पर तोमर ने कहा कि अभी ऐसा कोई विचार नहीं है, अभी आंदोलनकारी पक्ष से ही बात कर रहे हैं. उन्होंने संकेत दिए कि आने वाले कल में जरूरत पड़ने पर सरकार इस दिशा में विचार कर सकती ह, अभी ऐसा विचार नहीं है.

Last Updated : Jan 9, 2021, 8:22 AM IST
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