कोलकाता: बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट (बीजीबीएस) के मंच से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ताजपुर बंदरगाह के टेंडर में भाग लेने का स्पष्ट संकेत दिया. सवाल उठाया गया कि क्या ताजपुर बंदरगाह के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बिजनेसमैन गौतम अडाणी को दिया गया आशय पत्र आखिरकार रद्द किया जा रहा है.
अंततः बीजीबीएस के उद्घाटन दिवस की शाम को इसका उत्तर दिया गया. पता चला है कि राज्य सरकार ने ताजपुर बंदरगाह के लिए अडाणी को दिया गया 'आशय पत्र' रद्द कर दिया है. इसकी जगह नए सिरे से ग्लोबल टेंडर जारी करने की तैयारी की जा रही है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ताजपुर पोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी अडाणी को नहीं दी जा रही है. बताया जा रहा है कि अडाणी को आशय पत्र देने के बाद बंदरगाह के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई थी.
हाल ही में केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर पत्र लिखा है और केंद्र ने बंदरगाह बनाने की अनुमति दे दी है. हालाँकि, वहाँ लिखा है कि यदि कोई (प्रतिकूल) स्थिति नहीं है तो राज्य बंदरगाह का निर्माण कर सकता है. इस संबंध में राज्य सरकार का मानना है कि ताजपुर बंदरगाह बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य को दी गयी अनुमति सशर्त है. राज्य को लगता है कि 'प्रतिकूल स्थिति' शब्द भविष्य में समस्या पैदा कर सकता है. उस स्थिति से राज्य सरकार ताजपुर बंदरगाह पर अडाणी के साथ किए गए समझौते से पीछे हट रही है.
दोबारा ग्लोबल टेंडर जारी किया जाएगा. कोई भी इच्छुक संस्था टेंडर प्रक्रिया में भाग ले सकती है. संयोग से करण अदन को बीजीबीएस के पहले दिन अडाणी समूह के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित होना था, लेकिन मंगलवार को वास्तव में अडाणी समूह से कोई भी उपस्थित नहीं था. अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस समिट में अडाणी ग्रुप का कोई प्रतिनिधि क्यों नहीं आया, जबकि शुरुआत में सुनने में आया था कि हीरानंदानी ग्रुप के प्रमुख निरंजन हीरानंदानी मौजूद रह सकते हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि वह क्यों नहीं आए. हालाँकि, घटनाओं के क्रम ने ताजपुर बंदरगाह विकास से अडाणी के बाहर निकलने की पुष्टि की.