नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने सेना में भर्ती के लिए 14 जून को अग्निपथ स्कीम का एलान किया था. इसके बाद से ही देश के कई राज्यों में विरोध हो रहा है. विरोध को देखते हुए सरकार और तीनों सेनाओं की तरफ से इसको लेकर रुख साफ किया गया है. वहीं, अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने कहा है कि अग्निपथ स्कीम देश के लिए जरूरी है. उन्होंने इस संबंध में एक एजेंसी को साक्षात्कार दिया है.
अग्निवीरों की ट्रेनिंग कितने दिनों की होगी. और आपको कैसे लगता है कि इन अग्निवीरों को इतने कम समय में रडार से लेकर पनडुब्बी तक का प्रशिक्षण दिया जा सकता है.
आपको याद रखना चाहिए कि भारत की आबादी दुनिया की सबसे युवा आबादी है. यानी यहां पर सबसे अधिक युवा रहते हैं. जिन अग्निवीरों की बहाली होगी, चार साल बाद उनमें से 25 फीसदी को आगे जारी रखा जाएगा. लेकिन यह समझना कि हमारी पूरी सेना सिर्फ अग्निवीरों से बनी होगी, यह धारणा गलत है. हमारी सेना में कई लेयर हैं. हमारी सेना बेस्ट या कहिए तो क्रीम लेयर वालों से बनी होगी.
चार साल बाद अग्निवीर रिटायर हो जाएंगे, इसके बाद इनका भविष्य क्या होगा.
अच्छा, आप सोचिए. चार साल बाद यानी 23 साल का नौजवान, जिसने चार बहुमूल्य साल सेना में गुजारे हैं. उनकी योग्यता और वे जिन्होंने सेना में नौकरी नहीं की है, दोनों की तुलना कीजिए. जॉब मार्केट में किसका वैल्यू ज्यादा होगा. इन युवाओं के पासे 11 लाख रुपये की पूंजी होगी. अनुभव होगा. वह पढ़ाई कर सकता है. बिजनेस कर सकता है. यह तो पहले होता था कि रिटायर हुए, उसके बाद अपने गांव लौट गए. पेंशन से जिंदगी चलती थी. कुछ खेती हो जाती थी. अब हालात बदल गए हैं. पेंशन से अब आप गुजारा नहीं कर सकते हैं. कुछ न कुछ काम करना होगा, वैसे भी मान लीजिए. पुरानी व्यवस्था ही है. 34-35 साल में आप रिटायर हो जाएंगे. उसके बाद आप नौकरी खोजने जाएंगे, तो जाहिर है, लोग युवाओं को प्राथमिकता देते हैं. आपको क्यों प्राथमिकता देंगे. 23 साल का युवा अपना भविष्य बेहतर संवार सकता है. निजी क्षेत्रों की बात कीजिए, वे भी ऐसे ही युवाओं को मौका देंगे, न कि 35 साल वालों को. समय बदल रहा है, ट्रेंड बदल रहा है. आपको उसके अनुरूप चलना होगा.
लोग कह रहे हैं कि चार साल तक वर्दी पहनने वालों का पहले की तरह सम्मान समाज में नहीं होगा.
यह तो और कुछ नहीं बल्कि भ्रम है. ये जो अग्निवीर लौटेंगे, उनके पास हुनर होगा. कौशल होगा. अनुशासन होगा. वे समजा का बदलाव भी करेंगे.
तो फिर विरोध क्यों हो रहा है.
देखिए, विरोध ठीक है. हर विरोध गलत मंशा से नहीं होता है. शायद उन्हें लगता है कि इतने बड़े बदलाव से कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए. लेकिन उन्हें समझना चाहिए, कि बदलाव अच्छे के लिए हो रहा है. हां, विरोध करने वालों का एक वर्ग है, जो देश के लिए नहीं सोचता है, उसे देशहित का भी ख्याल नहीं है.
क्या आप भी मानते हैं कि ये अग्निवीर चार साल बाद देश के लिए खतरा होंगे.
मैं तो 50 सालों से सेवा दे रहा हूं. मैं आपको बता सकता हूं कि समाज में शांति तभी रहती है, जब देश का नागरिक कानून का पालन करता है. सेना का अनुशासन जिसके पास होगा, वे ऐसा करेंगे, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा.
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कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु, जिसके बारे में उन्होंने कहा ----
डोभाल ने कहा, जो हम कल कर रहे थे अगर वही भविष्य में भी करते रहे, तो हम सुरक्षित रहेंगे, ये जरूरी नहीं है. यदि हमें कल की तैयारी करनी है, तो हमें परिवर्तित होना पड़ेगा. यह आवश्यक इसलिए था क्योंकि भारत में, भारत के चारों तरफ माहौल बदल रहा है. डोभाल ने आगे कहा कि पिछले 8 सालों में स्ट्रक्चरल सुधार बहुत सारे हुए हैं. 25 साल से CDS का मुद्दा पड़ा हुआ था. राजनीतिक इच्छाशक्ति न होने के कारण इसको अमल में नहीं लाया जा सका था. आज हमारे डिफेंस एजेंसी की अपनी स्पेस की स्वतंत्र एजेंसी है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि आज भारत में बनी AK-203 के साथ नई असॉल्ट राइफल को सेना में शामिल किया जा रहा है. यह दुनिया की सबसे अच्छी असॉल्ट राइफल है. सैन्य उपकरणों में बहुत प्रगति की जा रही है.
अजित डोभाल ने कहा कि सेना में भर्ती होने के लिए लोग जज्बे की वजह से जाते हैं. वे पैसे के लिए सेना में नहीं जाते हैं. उनमें देशभक्ति की भावना होती है. उनके अंदर राष्ट्र के प्रति समर्पण होता है. उनके यौवन की शक्ति होती है. इसलिए वे अपने आप को उसमें इन्वेस्ट करते हैं. अगर ये भावना आपके पास नहीं है, तो आप सेना के लिए नहीं बने हैं.
एनएसए डोभाल ने कहा कि ये सच है कि सेना में भर्ती होने के लिए आपके पास फिटनेस होनी चाहिए. यह जरूरी है. लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी बात यह है कि आपकी मानसिकता कैसी है. इसलिए कोई भी युवा जो अग्निवीर बनना चाहता है, उनके लिए हमारा संदेश साफ है, आपको अपने आप और समाज पर भरोसा होना चाहिए. आप हमेशा सकारात्मक सोचिए. देश पर विश्वास होना चाहिए.
डोभाल ने कहा कि हम सबको स्वामी विवेकानंद की वो बातें याद करनी चाहिए. वे कहते थे पुराने धर्म में ईश्वर को नहीं मानने वाले को नास्तिक कहा जाता था. लेकिन नया धर्म कहता है कि नास्तिक वह है, जिसे अपने ऊपर विश्वास नहीं है. अगर आपको अपने ऊपर भरोसा है, तो आप सबसे अधिक फिट हैं. आप मेंटली फिट हैं, फिजिकली फिट हैं, आपकी ट्रेनिंग सही होगी. आपके लिए तो पूरी दुनिया पड़ी है. पर, आप यदि हमेशा निगेटिव सोचेंगे, तो आपकी सारी चीजें सही होते हुए भी, अंधकार में दिखेंगी.