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दो साल में 254 बैठकों में गहन चर्चा के बाद लागू की गई है अग्निपथ स्कीम - अग्निपथ के लिए हुईं 254 बैठकें

तमाम विरोध के बीच केंद्र सरकार ने सेना भर्ती की 'अग्निपथ' योजना लागू कर दी है. अग्निवीरों को कम समय में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाना है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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अग्निपथ स्कीम
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Published : Jun 23, 2022, 3:25 PM IST

नई दिल्ली : सेना, नौसेना और वायु सेना में गैर-अधिकारी रैंकों को शामिल करने के लिए मौलिक रूप से अलग 'अग्निपथ' भर्ती योजना (Agnipath recruitment scheme) किसी भी तरह से अचानक नहीं आई है. इसकी तैयारी पिछले दो वर्षों से चल रही थी. 1999 के कारगिल युद्ध के बाद पहली बार भारतीय सैन्य भर्ती नीति में बदलाव का पहला विचार उभरा. इसे कारगिल समिति, अरुण सिंह समिति और शेकतकर समिति (Shekatkar Committee) सहित कई समितियों और आयोगों में अभिव्यक्ति मिली.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 14 जून को तीनों सेना प्रमुखों की उपस्थिति में इसकी घोषणा की. इससे पहले 2 साल से अधिक समय तक इस पर गहन विचार-विमर्श और चर्चा हुई. इसको लेकर कुल 254 बैठकें हुईं, जिसमें 750 घंटे लगे. तीन सेनाओं में सबसे अधिक बैठकें हुईं जहां 150 बैठकों में लगभग 500 घंटे लगे. इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने 60 बैठकें बुलाईं जिनमें 150 घंटे लगे जबकि 'सरकार' ने 100 घंटे से अधिक समय तक चर्चा की. इसके लिए करीब 44 बैठकें आयोजित हुई हैं.

बैठकों के दौरान अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल के सैन्य भर्ती मॉडल का अध्ययन करने पर बड़ा जोर दिया गया. प्रशिक्षण मॉड्यूल का विवरण अभी भी प्रगति पर है. अग्निपथ' योजना के तहत पहले वर्ष में 50000 अग्निवीर भर्ती करने का प्रस्ताव है. इन्हें अन्य भर्ती प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम प्रशिक्षण अवधि से गुजरना होगा. सैन्य प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'विशेष बलों के प्रशिक्षण विवरण को गुप्त रखा जाता है, प्रशिक्षण मॉड्यूल के सटीक और बारीक विवरण पर अभी भी काम किया जा रहा है.'

आमतौर पर भारतीय सेना में एक सैनिक को बल में शामिल होने से पहले 9 महीने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. 'अग्निवीर' को केवल 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. नौसेना में एक जवान को 22 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता था जिसे अब घटाकर 18 सप्ताह कर दिया जाएगा. 2 सप्ताह के लिए जहाजों पर तैनात होने से पहले, ये 22 सप्ताह 'एब-इनिशियो' प्रशिक्षण हैं.

नेवी सूत्रों का कहना है कि 'प्रवेश और बुनियादी प्रशिक्षण के ठीक बाद पेशेवर प्रशिक्षण होता है. इस विशेष प्रशिक्षण की अवधि में कोई बदलाव नहीं होगा.' वहीं, वायुसेना के एक सूत्र ने कहा कि 'IAF में पहले के प्रशिक्षण 6 महीने से लेकर एक वर्ष तक होता था, जो एयरमैन की विशेष ट्रेड पर निर्भर करता था जैसे कि तकनीकी या गैर-तकनीकी. लेकिन इनमें से कई प्रशिक्षण मॉड्यूल गुप्त रहते हैं, उदाहरण के लिए एक लड़ाकू पायलट के प्रशिक्षण मॉड्यूल को वर्गीकृत किया जाता है.'

लेकिन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं के आधुनिकीकरण और तकनीक की समझ रखने वाली इस योजना को ध्यान में रखते हुए दिए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता अधिक समृद्ध, विविध और तकनीक की समझ रखने वाली होगी. जैसा कि भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा, 'प्रशिक्षण की समयबद्धता को कम करने के लिए प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा.'

वाइस एडमिरल ने कहा, 'हम टैबलेट और ई-रीडर देने के बारे में सोच रहे हैं ताकि जब वह कक्षाओं में न हों और उनके पास समय हो तो वे (जवान) पढ़ सकें.' उन्होंने कहा कि नवीनतम पद्धति सिमुलेटर का उपयोग का उपयोग किया जाएगा.

पढ़ें- Agnipath Scheme: NSA अजित डोभाल ने अग्निवीरों का किया समर्थन, कहा- सुधार समय की जरूरत

पढ़ें- रेजिमेंट व्यवस्था जारी रहेगी, पुराने सैनिकों को 'अग्निवीर' में भेजने की अफवाह फर्जी: रक्षा मंत्रालय

पढ़ें- तीनों सेनाओं की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस-अग्निपथ योजना फायदेमंद, सेवा शर्तों में कोई भेदभाव नहीं

पढ़ें: Agnipath Scheme: वायुसेना ने अग्निपथ योजना की दी जानकारी, 1 करोड़ का बीमा, कैंटीन सुविधा, 30 दिन छुट्टी की मिलेंगी सुविधाएं

नई दिल्ली : सेना, नौसेना और वायु सेना में गैर-अधिकारी रैंकों को शामिल करने के लिए मौलिक रूप से अलग 'अग्निपथ' भर्ती योजना (Agnipath recruitment scheme) किसी भी तरह से अचानक नहीं आई है. इसकी तैयारी पिछले दो वर्षों से चल रही थी. 1999 के कारगिल युद्ध के बाद पहली बार भारतीय सैन्य भर्ती नीति में बदलाव का पहला विचार उभरा. इसे कारगिल समिति, अरुण सिंह समिति और शेकतकर समिति (Shekatkar Committee) सहित कई समितियों और आयोगों में अभिव्यक्ति मिली.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 14 जून को तीनों सेना प्रमुखों की उपस्थिति में इसकी घोषणा की. इससे पहले 2 साल से अधिक समय तक इस पर गहन विचार-विमर्श और चर्चा हुई. इसको लेकर कुल 254 बैठकें हुईं, जिसमें 750 घंटे लगे. तीन सेनाओं में सबसे अधिक बैठकें हुईं जहां 150 बैठकों में लगभग 500 घंटे लगे. इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने 60 बैठकें बुलाईं जिनमें 150 घंटे लगे जबकि 'सरकार' ने 100 घंटे से अधिक समय तक चर्चा की. इसके लिए करीब 44 बैठकें आयोजित हुई हैं.

बैठकों के दौरान अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल के सैन्य भर्ती मॉडल का अध्ययन करने पर बड़ा जोर दिया गया. प्रशिक्षण मॉड्यूल का विवरण अभी भी प्रगति पर है. अग्निपथ' योजना के तहत पहले वर्ष में 50000 अग्निवीर भर्ती करने का प्रस्ताव है. इन्हें अन्य भर्ती प्रक्रिया की तुलना में बहुत कम प्रशिक्षण अवधि से गुजरना होगा. सैन्य प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'विशेष बलों के प्रशिक्षण विवरण को गुप्त रखा जाता है, प्रशिक्षण मॉड्यूल के सटीक और बारीक विवरण पर अभी भी काम किया जा रहा है.'

आमतौर पर भारतीय सेना में एक सैनिक को बल में शामिल होने से पहले 9 महीने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. 'अग्निवीर' को केवल 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. नौसेना में एक जवान को 22 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता था जिसे अब घटाकर 18 सप्ताह कर दिया जाएगा. 2 सप्ताह के लिए जहाजों पर तैनात होने से पहले, ये 22 सप्ताह 'एब-इनिशियो' प्रशिक्षण हैं.

नेवी सूत्रों का कहना है कि 'प्रवेश और बुनियादी प्रशिक्षण के ठीक बाद पेशेवर प्रशिक्षण होता है. इस विशेष प्रशिक्षण की अवधि में कोई बदलाव नहीं होगा.' वहीं, वायुसेना के एक सूत्र ने कहा कि 'IAF में पहले के प्रशिक्षण 6 महीने से लेकर एक वर्ष तक होता था, जो एयरमैन की विशेष ट्रेड पर निर्भर करता था जैसे कि तकनीकी या गैर-तकनीकी. लेकिन इनमें से कई प्रशिक्षण मॉड्यूल गुप्त रहते हैं, उदाहरण के लिए एक लड़ाकू पायलट के प्रशिक्षण मॉड्यूल को वर्गीकृत किया जाता है.'

लेकिन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं के आधुनिकीकरण और तकनीक की समझ रखने वाली इस योजना को ध्यान में रखते हुए दिए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता अधिक समृद्ध, विविध और तकनीक की समझ रखने वाली होगी. जैसा कि भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा, 'प्रशिक्षण की समयबद्धता को कम करने के लिए प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा.'

वाइस एडमिरल ने कहा, 'हम टैबलेट और ई-रीडर देने के बारे में सोच रहे हैं ताकि जब वह कक्षाओं में न हों और उनके पास समय हो तो वे (जवान) पढ़ सकें.' उन्होंने कहा कि नवीनतम पद्धति सिमुलेटर का उपयोग का उपयोग किया जाएगा.

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