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अनुच्छेद 370 हटने के बाद बीते चार सालों में हुईं 958 मौतें, इनमें 683 आतंकवादी शामिल - चार सालों में हुईं 958 मौतें

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए हुए चार साल होने वाले हैं. इसे लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में होने वाली आतंकी गतिविधियों और हत्याओं को लेकर आंकड़े जारी किए हैं. पुलिस ने जानकारी दी कि बीते चार साल में जम्मू-कश्मीर में कुल 958 मौतें हुई हैं, जिनमें आतंकवादी, सुरक्षाबल और नागरिक भी शामिल हैं.

Deaths in Jammu and Kashmir in four years
जम्मू-कश्मीर में चार साल में हुईं मौतें
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Published : Aug 1, 2023, 7:43 PM IST

श्रीनगर: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर सुनवाई शुरू करेगा. इससे पहले अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने बीते चार सालों में जम्मू-कश्मीर को लेकर कई दावे और आश्वासन दिए हैं. इन बड़े दावों में से एक था कि क्षेत्र में उग्रवाद के कारण होने वाली हत्याएं ख़त्म हो जाएंगी. हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा ईटीवी भारत को आंकड़े दिए गए हैं.

इन आंकड़ों की मानें तो वादी में आतंकवाद में कमी आई है, जिसके चलते आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी गिरावट दर्ज की गई है. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, 5 अगस्त 2019 से 31 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में कुल 958 मौतें हुई हैं, जिनमें 683 आतंकवादी, 148 सुरक्षा बल के जवान और 127 सामान्य नागरिक शामिल हैं. सबसे अधिक 321 हत्याएं साल 2020 में दर्ज की गईं.

इस दौरान 232 आतंकवादी, 56 सुरक्षा बल के जवान और 33 नागरिक मारे गए थे. इस साल अब तक हत्याओं की सबसे कम संख्या 60 दर्ज की गई. इस साल अब तक आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में 38 आतंकवादी, 13 सुरक्षा बल के जवान और नौ नागरिक मारे गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 274 हत्याएं और 2022 253 हत्याएं लगभग एक जैसे ही रहे हैं.

जहां 2021 में 193 आतंकवादी, 45 सुरक्षा बल के जवान और 36 नागरिक मारे गए, वहीं 2022 में 193 आतंकवादी, 30 सुरक्षा बल के जवान और इतनी ही संख्या में नागरिक मारे गए थे. आंकड़ों का हवाला देते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने में वक्त लगेगा. आप देख सकते हैं कि कितने नागरिक हताहत हुए हैं. इस समय उग्रवादियों की संख्या काफी कम है.

उन्होंने आगे कहा कि यह सब इसलिए संभव हो सका, क्योंकि स्थानीय स्रोतों और सुरक्षा बलों के बीच सहयोग था. अधिकारी ने आगे कहा कि 2020, 2021 और 2022 में पुलिस को दिन-रात बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना पड़ा. नतीजा यह हुआ कि उग्रवाद का ग्राफ इतना नीचे आ गया कि आजकल पुलिस को ऐसे ऑपरेशन चलाने की जरूरत नहीं पड़ती. फिलहाल हमारा ध्यान उग्रवाद को खत्म करने के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर भी है.

इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भी अधिकारी के विचारों का समर्थन किया. उन्होंने यह स्वीकार करते हुए कहा कि दक्षिण कश्मीर में अभी भी विदेशी आतंकवादी सक्रिय हैं. घाटी में आतंकवाद कम जरूर हुआ है, लेकिन ख़त्म नहीं हुआ है. कुछ लोग कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनका जल्द ही पता लगा लिया जाएगा.

श्रीनगर: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर सुनवाई शुरू करेगा. इससे पहले अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने बीते चार सालों में जम्मू-कश्मीर को लेकर कई दावे और आश्वासन दिए हैं. इन बड़े दावों में से एक था कि क्षेत्र में उग्रवाद के कारण होने वाली हत्याएं ख़त्म हो जाएंगी. हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा ईटीवी भारत को आंकड़े दिए गए हैं.

इन आंकड़ों की मानें तो वादी में आतंकवाद में कमी आई है, जिसके चलते आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी गिरावट दर्ज की गई है. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, 5 अगस्त 2019 से 31 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर में कुल 958 मौतें हुई हैं, जिनमें 683 आतंकवादी, 148 सुरक्षा बल के जवान और 127 सामान्य नागरिक शामिल हैं. सबसे अधिक 321 हत्याएं साल 2020 में दर्ज की गईं.

इस दौरान 232 आतंकवादी, 56 सुरक्षा बल के जवान और 33 नागरिक मारे गए थे. इस साल अब तक हत्याओं की सबसे कम संख्या 60 दर्ज की गई. इस साल अब तक आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में 38 आतंकवादी, 13 सुरक्षा बल के जवान और नौ नागरिक मारे गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 274 हत्याएं और 2022 253 हत्याएं लगभग एक जैसे ही रहे हैं.

जहां 2021 में 193 आतंकवादी, 45 सुरक्षा बल के जवान और 36 नागरिक मारे गए, वहीं 2022 में 193 आतंकवादी, 30 सुरक्षा बल के जवान और इतनी ही संख्या में नागरिक मारे गए थे. आंकड़ों का हवाला देते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने में वक्त लगेगा. आप देख सकते हैं कि कितने नागरिक हताहत हुए हैं. इस समय उग्रवादियों की संख्या काफी कम है.

उन्होंने आगे कहा कि यह सब इसलिए संभव हो सका, क्योंकि स्थानीय स्रोतों और सुरक्षा बलों के बीच सहयोग था. अधिकारी ने आगे कहा कि 2020, 2021 और 2022 में पुलिस को दिन-रात बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना पड़ा. नतीजा यह हुआ कि उग्रवाद का ग्राफ इतना नीचे आ गया कि आजकल पुलिस को ऐसे ऑपरेशन चलाने की जरूरत नहीं पड़ती. फिलहाल हमारा ध्यान उग्रवाद को खत्म करने के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर भी है.

इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भी अधिकारी के विचारों का समर्थन किया. उन्होंने यह स्वीकार करते हुए कहा कि दक्षिण कश्मीर में अभी भी विदेशी आतंकवादी सक्रिय हैं. घाटी में आतंकवाद कम जरूर हुआ है, लेकिन ख़त्म नहीं हुआ है. कुछ लोग कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनका जल्द ही पता लगा लिया जाएगा.

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