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ब्लैक एंड व्हाइट की तुलना में यलो फंगस ज्यादा खतरनाक

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Published : May 25, 2021, 9:02 AM IST

यलो फंगस में सुस्ती, कम भूख लगना, वजन कम होना मुख्य लक्षण हैं. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है आप पीले फंगस के अधिक गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और संभवतः खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता जैसे लक्षण भी देख पाएंगे.

yellow fungus emerges in india
यलो फंगस ज्यादा खतरनाक

हैदराबाद: भारत में कोरोना महामारी का खौफ है. हर दिन मौतें हो रही हैं. देशवासी परेशान हैं कि इससे कैसे निजात पाई जाए, लेकिन इन सबके बीच ब्लैक, व्हाइट और पीले फंगस ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. जानकारी के मुताबिक पीला फंगस काफी खतरनाक बताया जा रहा है.

एक डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले यह फंगस उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मिला. रिपोर्ट के अनुसार इस फंगस को काले और सफेद की तुलना में अधिक खतरनाक माना जा रहा है. पीले फंगस का अनुभव करने वाले रोगी सुप्तावस्था में होते हैं. उनको भूख कम लगती है और वजन भी कम होता रहता है.

यलो फंगस के लक्षण

यलो फंगस में सुस्ती, कम भूख लगना, वजन कम होना मुख्य लक्षण हैं. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है आप पीले फंगस के अधिक गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और संभवतः खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता जैसे लक्षण भी देख पाएंगे.

पीला फंगस के कारण

पर्यावरणीय कारकों के आसपास भयानक गंदगी यलो फंगस का प्राथमिक चालक माना जाता है.

यलो फंगस का इलाज

एम्फोटेरिसिन बी इन्फ्यूजन एक विस्तृत रेंज एंटिफंगल दवा पीले फंगस के लिए सिर्फ सुलभ उपचार माना जाता है.

अतिरिक्त जानकारी

हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि सफेद फंगस का खतरा किसे ज्यादा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए और अगर उन्हें कोई लक्षण नजर आता है तो किसी विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें. मधुमेह, दुर्वलता और अन्य बीमारियों वाले व्यक्तियों को भी सावधानी बरतनी चाहिए और सफेद फंगस के संक्रमण के संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

यलो फंगस मुख्य रूप से भयानक गंदगी से होता है. अपने घर के चारों ओर सफाई रखना बहुत महत्वपूर्ण है. सूक्ष्मजीवों और परजीवी को रोकने के लिए घर से गंदगी को फौरन हटा देना चाहिए. घर की नमी भी खतरनाक है क्योंकि नमी की अधिकता से वायरस का खतरा बढ़ जाता है.

कोविड19 की वजह से Mucormycosis या 'डार्क फंगस' के मामलों में वृद्धि हुई है. कुछ राज्यों ने इसको महामारी घोषित किया है. वर्तमान में पूरे भारत में ब्लैक फंगस के 8,848 मामले सामने आए हैं. इनमें से अधिकांश लक्षण उन लोगों में पाए गए जिनको मधुमेह है और उन्होंने कोविड19 के उपचार में व्यापक रूप से स्टेरॉयड लिया था. इस मामले पर डॉ. बीपी त्यागी ने कहा किा गाजियाबाद के संजय नगर निवासी एक शख्स में तीन तरह के फंगस पाए गए. गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में ब्लैक व्हाइट फंगस के कुल 26 केस दर्ज किए गए हैं. हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट के आधार पर मरीजों में सफेद फंगस और एक मरीज में यलो फंगस की पुष्टि हुई है.

पढ़ें: जानें 25 मई काे ही क्याें मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस

यह महसूस करना आवश्यक है कि इस तरह के अधिकांश संक्रामक रोग गंदा पर्यावरण, गंदगी, घरों में सीलन या स्टेरॉयड के दुरुपयोग के कारण होते हैं. कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में यह खतरा ज्यादा रहता है.

हैदराबाद: भारत में कोरोना महामारी का खौफ है. हर दिन मौतें हो रही हैं. देशवासी परेशान हैं कि इससे कैसे निजात पाई जाए, लेकिन इन सबके बीच ब्लैक, व्हाइट और पीले फंगस ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. जानकारी के मुताबिक पीला फंगस काफी खतरनाक बताया जा रहा है.

एक डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले यह फंगस उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मिला. रिपोर्ट के अनुसार इस फंगस को काले और सफेद की तुलना में अधिक खतरनाक माना जा रहा है. पीले फंगस का अनुभव करने वाले रोगी सुप्तावस्था में होते हैं. उनको भूख कम लगती है और वजन भी कम होता रहता है.

यलो फंगस के लक्षण

यलो फंगस में सुस्ती, कम भूख लगना, वजन कम होना मुख्य लक्षण हैं. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है आप पीले फंगस के अधिक गंभीर लक्षण, जैसे मवाद का रिसाव करना और संभवतः खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता जैसे लक्षण भी देख पाएंगे.

पीला फंगस के कारण

पर्यावरणीय कारकों के आसपास भयानक गंदगी यलो फंगस का प्राथमिक चालक माना जाता है.

यलो फंगस का इलाज

एम्फोटेरिसिन बी इन्फ्यूजन एक विस्तृत रेंज एंटिफंगल दवा पीले फंगस के लिए सिर्फ सुलभ उपचार माना जाता है.

अतिरिक्त जानकारी

हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि सफेद फंगस का खतरा किसे ज्यादा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए और अगर उन्हें कोई लक्षण नजर आता है तो किसी विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें. मधुमेह, दुर्वलता और अन्य बीमारियों वाले व्यक्तियों को भी सावधानी बरतनी चाहिए और सफेद फंगस के संक्रमण के संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

यलो फंगस मुख्य रूप से भयानक गंदगी से होता है. अपने घर के चारों ओर सफाई रखना बहुत महत्वपूर्ण है. सूक्ष्मजीवों और परजीवी को रोकने के लिए घर से गंदगी को फौरन हटा देना चाहिए. घर की नमी भी खतरनाक है क्योंकि नमी की अधिकता से वायरस का खतरा बढ़ जाता है.

कोविड19 की वजह से Mucormycosis या 'डार्क फंगस' के मामलों में वृद्धि हुई है. कुछ राज्यों ने इसको महामारी घोषित किया है. वर्तमान में पूरे भारत में ब्लैक फंगस के 8,848 मामले सामने आए हैं. इनमें से अधिकांश लक्षण उन लोगों में पाए गए जिनको मधुमेह है और उन्होंने कोविड19 के उपचार में व्यापक रूप से स्टेरॉयड लिया था. इस मामले पर डॉ. बीपी त्यागी ने कहा किा गाजियाबाद के संजय नगर निवासी एक शख्स में तीन तरह के फंगस पाए गए. गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में ब्लैक व्हाइट फंगस के कुल 26 केस दर्ज किए गए हैं. हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट के आधार पर मरीजों में सफेद फंगस और एक मरीज में यलो फंगस की पुष्टि हुई है.

पढ़ें: जानें 25 मई काे ही क्याें मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस

यह महसूस करना आवश्यक है कि इस तरह के अधिकांश संक्रामक रोग गंदा पर्यावरण, गंदगी, घरों में सीलन या स्टेरॉयड के दुरुपयोग के कारण होते हैं. कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में यह खतरा ज्यादा रहता है.

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