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कर्नाटक में गुलदस्तों पर रोक के बाद बंद हो सकती है सलामी गारद की प्रथा

कर्नाटक में सरकारी कार्यक्रमों में गुलदस्ते, माला और स्मृति चिन्ह देने के चलन को खत्म कर दी गई है. जल्द ही जिला स्तर पर सलामी गारद की प्रथा को भी बंद करने का आदेश जारी किया जा सकता है.

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Published : Aug 12, 2021, 9:02 PM IST

मंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह जल्द ही एक आदेश जारी कर उन्हें और अन्य मंत्रियों को उनकी यात्राओं के दौरान जिलों और सार्वजनिक स्थानों पर सलामी गारद दिए जाने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे.

बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने कहा है कि हवाई अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सलामी गारद दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है. हर बार जब मैं जाता हूं तो जिला स्तर पर इसकी आवश्यकता नहीं है.

सीएम ने कहा कि मैं कल बेंगलुरू जाने के तुरंत बाद एक निर्देश जारी करूंगा. सरकारी सूत्रों के अनुसार बोम्मई ने मंगलुरु में अधिकारियों से कहा कि इस तरह के दिखावे वाले कार्यक्रम की कोई जरूरत नहीं है.

यह भी पढ़ें-परिवारवाद-जातिवाद से मुक्त होकर विकासवाद के पथ पर बढ़ता यूपी : दिनेश शर्मा

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को स्मृति चिन्ह, माला और शॉल भेंट किए जाने को अनावश्यक खर्च बताया और जोर दिया कि अधिकारी इसके बदले कन्नड़ किताबें दें.

(पीटीआई-भाषा)

मंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह जल्द ही एक आदेश जारी कर उन्हें और अन्य मंत्रियों को उनकी यात्राओं के दौरान जिलों और सार्वजनिक स्थानों पर सलामी गारद दिए जाने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे.

बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने कहा है कि हवाई अड्डों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सलामी गारद दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है. हर बार जब मैं जाता हूं तो जिला स्तर पर इसकी आवश्यकता नहीं है.

सीएम ने कहा कि मैं कल बेंगलुरू जाने के तुरंत बाद एक निर्देश जारी करूंगा. सरकारी सूत्रों के अनुसार बोम्मई ने मंगलुरु में अधिकारियों से कहा कि इस तरह के दिखावे वाले कार्यक्रम की कोई जरूरत नहीं है.

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मुख्यमंत्री ने मंगलवार को स्मृति चिन्ह, माला और शॉल भेंट किए जाने को अनावश्यक खर्च बताया और जोर दिया कि अधिकारी इसके बदले कन्नड़ किताबें दें.

(पीटीआई-भाषा)

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