गुवाहाटी : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के पारित होने के एक साल बाद उत्तर पूर्वी राज्यों में शुक्रवार को एक बार फिर विवादास्पद अधिनियम के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए. इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यहां सीएए विरोधी आंदोलन को गति मिल सकती है.
सीएए के विरोध में नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स (NESO) के बैनर तले विभिन्न छात्र संगठनों ने शुक्रवार को 'ब्लैक डे' के रुप में मनाया. इस दौरान उन्होंने सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का विरोध किया और क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में विरोध रैली निकाली.
शुक्रवार को असम की राजधानी गुवाहाटी में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर विवादास्पद अधिनियम के विरोध में नारेबाजी की. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की, जिसमें एक नाबालिग युवक सैम स्टैफोर्ड सहित पांच नागरिकों की मौत हो गई.
सैम के अलावा राज्य के विभिन्न हिस्सों में पुलिस की गोलीबारी के कारण 19 वर्षीय दीपांजल दास, अब्दुल मोमिन, ईश्वर नायक और अजीजुल हक को भी अपनी जान गंवानी पड़ी.
उल्लेखनीय है कि देशभर में अब तक सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान 25 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों ने भी पिछले साल 10 दिसंबर को इस अधिनियम के विरोध में एक पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया था. हालांकि इस वर्ष फरवरी तक CAA के खिलाफ आंदोलन जारी रहा, लेकिन कोविड 19 के प्रसार और सरकार द्वारा लगाए गए सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के कारण आंदोलन बंद हो गया था.
शुक्रवार को NESO ने इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया और जब तक CAA को वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन करने का संकल्प लिया. पिछले साल केंद्र सरकार ने CAA को पूर्वोत्तर के लोगों की इच्छाओं के खिलाफ इसे पारित किया था.
आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि जब तक सीएए को वापस नहीं लिया जाता तब तक हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि संगठन ने यहां अपने कार्यालय पर काले झंडे लहराए और सीएए के विरोध में 'नार्थ ईस्ट स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन. के तत्वावधान में पूर्वोत्तर के सात राज्यों में काले झंडे प्रदर्शित किए गए.
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उन्होंने कहा कि आज क्षेत्र के सभी सात राज्यों ने एक काला दिवस मनाया और केंद्र सरकार को कड़ा संदेश दिया है कि पूर्वोत्तर के लोग सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे. लॉकडाउन और अन्य मुद्दों के कारण आंदोलन ने कुछ समय के लिए अपनी गति खो दी थी. जैसा कि लॉकडाउन वापस लिया गया है, अब क्षेत्र के सात राज्य सीएए के खिलाफ एक बार फिर से आंदोलन शुरू करेंगे.
वहीं, आसू के अध्यक्ष दीपांक कुमार नाथ और महासचिव शंकर ज्योति बरुआ की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया, 'सरकार को यह असम विरोधी कानून वापस लेना होगा. इसकी वजह से पांच असमी नागरिकों की जान चली गई, जिनमें निर्दोष छात्र भी शामिल थे. दिवंगत लोगों के परिजन और आसू न्याय की मांग करते रहेंगे.'