जयपुर. राजधानी जयपुर में बुधवार को मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र के एक नाले में करीब 15 सुअर मृत मिले हैं. इससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया और कई तरह की अफवाहें भी उड़ीं. कुछ लोगों ने सुअरों में भी लंपी वायरस की आशंका जताई. हालांकि पशु चिकित्सकों की माने तो फिलहाल सुअरों में लंपी के कोई केस नहीं आए हैं. लेकिन सुअरों की मौत को लेकर अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अंदेशा जताया जा (African swine fever suspected in Jaipur) रहा है. हालांकि ये भी जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.
मामले के संज्ञान में आने के बाद ग्रेटर नगर निगम की महापौर, उपमहापौर सहित निगम के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया. साथ ही मृत सुअरों को नाले से निकालने के आदेश जारी कर अफ्रीकन स्वाइन फीवर होने की स्थिति में पशु प्रबंधन शाखा को सजग रहने के निर्देश दिए हैं.
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देश के कई राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के चलते लगातार सुअरों की मौत हो रही है. ऐसे में कई राज्यों के प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया है. क्योंकि इस बीमारी की वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से ग्रसित सुअरों को मारने का अभियान भी चलाया जा रहा है. हरियाणा में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई सुअरों की मौत के बाद अन्य स्थानों पर भी तेजी से बीमारी फैल रही है.
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भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान की माने तो अगस्त 2019 में भारत में पहली बार नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश में वायरस फैला था. ये बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती, लेकिन मनुष्य के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान के सुअरों तक पहुंच जाती है. कोविड वायरस की तरह इस पर भी लिपिड लेयर होती है. जैसे कोविड में साबुन, सैनिटाइजर से ये लेयर हट जाती और वायरस मर जाता है. इसी तरह अफ्रीकन स्वाइन फीवर की लिपिड लेयर चूने के पानी से धुल जाती है. ऐसे में सुअर के बाड़े में आते-जाते समय चूने के पानी से जूते साफ करने, हाथ साबुन से धोने से ये वायरस मनुष्य के माध्यम से नहीं फैलेगा.