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अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवाद का स्रोत नहीं बनना चाहिए: भारत, फ्रांस - आतंकवादी गतिविधियों

विदेश मंत्रालय ने बयान में के अनुसार, पेरिस में आतंकवाद से मुकाबला करने के विषय पर भारत-फ्रांस संयुक्त कार्य समूह की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों सहित आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की. साथ ही इस बुराई के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता का संकल्प व्यक्त किया.

भारत, फ्रांस
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Published : Nov 17, 2021, 2:33 PM IST

नई दिल्ली : भारत और फ्रांस ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है कि अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवाद का स्रोत नहीं बनना चाहिए और साथ ही उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन समेत सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया. विदेश मंत्रालय के बयान में यह जानकारी दी गई है.

बयान के अनुसार, पेरिस में आतंकवाद से मुकाबला करने के विषय पर भारत-फ्रांस संयुक्त कार्य समूह की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों सहित आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की. साथ ही इस बुराई के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता का संकल्प व्यक्त किया.

दोनों देशों ने 'आतंक के लिए कोई धन नहीं' विषय पर भारत की ओर से आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण की तैयारियों के मद्देनजर सक्रिय समन्वय की इच्छा जतायी.

बैठक में, उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक उपकरण के रूप में आतंकवादियों और ऐसे समूहों का बहिष्कार करने और आतंकी समूहों एवं व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंध की प्रक्रिया एवं प्राथमिकताओं के बारे में सूचना साझा करने के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया. बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने अपने-अपने क्षेत्रों एवं क्षेत्रीय परिवेश में उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे के संबंध में अपना आकलन साझा किया.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार कि दोनों देशों ने इस बात को रेखांकित किया कि यह सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 2593 प्रस्ताव के अनुरूप अफगानिस्तान की जमीन क्षेत्रीय या वैश्विक (स्तर पर) आतंकवाद एवं कट्टरवाद का स्रोत नहीं बने तथा इसे फिर से किसी देश पर हमला करने या धमकाने अथवा आतंकवादियों को पनाह देने, भर्ती एवं प्रशिक्षित करने या आतंकवादी हमले की योजना और वित्त पोषण के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सके.

बयान के अनुसार, भारत और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूहों एवं व्यक्तियों से उत्पन्न खतरों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया तथा अलकायदा और आईएसआईएस के साथ लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन सहित सभी आतंकवादी नेटवर्को के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की जरूरत बताई. दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वालों को सुनियोजित तरीके और तेजी से न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए.

यह बैठक ऐसे समय मे हुई है जब 13 वर्ष पहले 2008 में नवंबर में ही मुम्बई में आतंकवादी हमला हुआ था तथा 2015 में नवंबर माह में ही पेरिस में हमला हुआ था.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में भारत और फ्रांस ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की एक स्वर में निंदा की. दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके क्षेत्र का आतंकवादी हमले की योजना बनाने या आतंकवादी हमले के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाए.

दोनों देशों ने इस बात को भी रेखांकित किया कि सभी देशों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंकवादी हमला करने, आतंकवादियों को प्रशिक्षण या पनाह देने के लिये नहीं किया जाए. दोनों देशों ने आतंकवाद से मुकाबला के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग तथा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) के बारे में भी चर्चा की.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत और फ्रांस ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है कि अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवाद का स्रोत नहीं बनना चाहिए और साथ ही उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन समेत सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया. विदेश मंत्रालय के बयान में यह जानकारी दी गई है.

बयान के अनुसार, पेरिस में आतंकवाद से मुकाबला करने के विषय पर भारत-फ्रांस संयुक्त कार्य समूह की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों सहित आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की. साथ ही इस बुराई के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता का संकल्प व्यक्त किया.

दोनों देशों ने 'आतंक के लिए कोई धन नहीं' विषय पर भारत की ओर से आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण की तैयारियों के मद्देनजर सक्रिय समन्वय की इच्छा जतायी.

बैठक में, उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक उपकरण के रूप में आतंकवादियों और ऐसे समूहों का बहिष्कार करने और आतंकी समूहों एवं व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंध की प्रक्रिया एवं प्राथमिकताओं के बारे में सूचना साझा करने के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया. बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने अपने-अपने क्षेत्रों एवं क्षेत्रीय परिवेश में उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे के संबंध में अपना आकलन साझा किया.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार कि दोनों देशों ने इस बात को रेखांकित किया कि यह सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 2593 प्रस्ताव के अनुरूप अफगानिस्तान की जमीन क्षेत्रीय या वैश्विक (स्तर पर) आतंकवाद एवं कट्टरवाद का स्रोत नहीं बने तथा इसे फिर से किसी देश पर हमला करने या धमकाने अथवा आतंकवादियों को पनाह देने, भर्ती एवं प्रशिक्षित करने या आतंकवादी हमले की योजना और वित्त पोषण के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सके.

बयान के अनुसार, भारत और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूहों एवं व्यक्तियों से उत्पन्न खतरों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया तथा अलकायदा और आईएसआईएस के साथ लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन सहित सभी आतंकवादी नेटवर्को के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की जरूरत बताई. दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वालों को सुनियोजित तरीके और तेजी से न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए.

यह बैठक ऐसे समय मे हुई है जब 13 वर्ष पहले 2008 में नवंबर में ही मुम्बई में आतंकवादी हमला हुआ था तथा 2015 में नवंबर माह में ही पेरिस में हमला हुआ था.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में भारत और फ्रांस ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की एक स्वर में निंदा की. दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके क्षेत्र का आतंकवादी हमले की योजना बनाने या आतंकवादी हमले के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाए.

दोनों देशों ने इस बात को भी रेखांकित किया कि सभी देशों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नियंत्रण वाले क्षेत्र का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंकवादी हमला करने, आतंकवादियों को प्रशिक्षण या पनाह देने के लिये नहीं किया जाए. दोनों देशों ने आतंकवाद से मुकाबला के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग तथा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) के बारे में भी चर्चा की.

(पीटीआई-भाषा)

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