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अफगानिस्तान के सिखों को इस्लाम अपनाना या देश छोड़ना होगा : रिपोर्ट - इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी

अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति (security scenario in Afghanistan) लगातार बिगड़ता जा रही है. सिख समुदाय जो अफगान सरकार के पतन से पहले से ही एक गंभीर स्थिति में था. उसको सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित होने या अफगानिस्तान से भाग जाने विकल्प दिया गया है.

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Published : Oct 22, 2021, 3:05 PM IST

Updated : Oct 22, 2021, 4:07 PM IST

नई दिल्ली : एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में सिख समुदाय, जो सरकार के पतन से पहले से ही एक गंभीर स्थिति में था. उसको सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित (converting to Sunni Islam) होने या अफगानिस्तान से भाग जाने के विकल्पों के बीच चयन करना होगा.

अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति (security scenario in Afghanistan ) लगातार बिगड़ता जा रही है. सिख समुदाय जो अफगान सरकार के पतन से पहले से ही एक गंभीर स्थिति में था. उसको सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित होने या अफगानिस्तान से भाग जाने विकल्प दिया गया है.

इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (International Forum For Rights and Security) ने कहा कि सिख समुदाय के लोग, जो अफगानिस्तान में हजारों की संख्या में मौजूद थे. उन्हें प्रणालीगत भेदभाव और अफगानिस्तान में कट्टर धार्मिक हिंसा (religious violence in Afghanistan) को चलते देश छोड़ के जाना पड़ा या फिर उनकी हत्या कर दी गई.

गौरतलब है कि राजधानी काबुल में बड़ी संख्या में सिख (Sikhs live in Kabul) रहते हैं जबकि कुछ गजनी और नंगरहार प्रांतों में रहते हैं.

5 अक्टूबर को 15 से 20 आतंकियों ने गुरुद्वारे (सिख मंदिर) में घुसकर गार्डों को बांध दिया। हमला काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में हुआ। अफगानिस्तान में सिख अक्सर देश में इस तरह के हमलों और हिंसा का अनुभव करते हैं.

बता दें कि हाल के दिनों में वहां सिखों समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. कथित तौर पर 'आतंकवादियों' ने पिछले साल जून में एक अफगान सिख नेता का अपहरण कर लिया गया था.

वहीं मार्च 2019 में काबुल में एक और सिख व्यक्ति का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. बाद में अफगानिस्तान की पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जबकि कंधार में एक अन्य अज्ञात बंदूकधारियों ने एक अन्य सिख व्यक्ति को गोली मार दी थी.

सिख सदियों से अफगानिस्तान में रह रहे हैं, लेकिन दशकों से अफगान सरकार भी सिखों को पर्याप्त आवास प्रदान करने या उनके घरों को बहाल करने में विफल रही है. IFFRAS ने कहा कि 26 मार्च 2020 को काबुल के एक गुरुद्वारे में तालिबान द्वारा हाल ही में सिखों के नरसंहार के बाद अधिकांश अफगान सिख भारत के लिए रवाना हुए.

पढ़ें - तालिबान के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मास्को में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात

इसके अलावा, मंच ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चूंकि सिख समुदाय के लोग इस्लाम के सुन्नी संप्रदाय की मुख्यधारा के अंतर्गत नहीं आते हैं, इसलिए उन्हें या तो जबरन सुन्नी मुसलमानों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है.

तालिबान की 'सरकार' कभी भी अफगान राज्य और समाज में विविधता को पनपने नहीं देगी. आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ इस्लामी संहिता के सबसे सख्त रूप के परिणामस्वरूप सिखों सहित अफगानिस्तान के सभी अल्पसंख्यक संप्रदायों का सफाया हो जाएगा.

नई दिल्ली : एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में सिख समुदाय, जो सरकार के पतन से पहले से ही एक गंभीर स्थिति में था. उसको सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित (converting to Sunni Islam) होने या अफगानिस्तान से भाग जाने के विकल्पों के बीच चयन करना होगा.

अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति (security scenario in Afghanistan ) लगातार बिगड़ता जा रही है. सिख समुदाय जो अफगान सरकार के पतन से पहले से ही एक गंभीर स्थिति में था. उसको सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित होने या अफगानिस्तान से भाग जाने विकल्प दिया गया है.

इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (International Forum For Rights and Security) ने कहा कि सिख समुदाय के लोग, जो अफगानिस्तान में हजारों की संख्या में मौजूद थे. उन्हें प्रणालीगत भेदभाव और अफगानिस्तान में कट्टर धार्मिक हिंसा (religious violence in Afghanistan) को चलते देश छोड़ के जाना पड़ा या फिर उनकी हत्या कर दी गई.

गौरतलब है कि राजधानी काबुल में बड़ी संख्या में सिख (Sikhs live in Kabul) रहते हैं जबकि कुछ गजनी और नंगरहार प्रांतों में रहते हैं.

5 अक्टूबर को 15 से 20 आतंकियों ने गुरुद्वारे (सिख मंदिर) में घुसकर गार्डों को बांध दिया। हमला काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में हुआ। अफगानिस्तान में सिख अक्सर देश में इस तरह के हमलों और हिंसा का अनुभव करते हैं.

बता दें कि हाल के दिनों में वहां सिखों समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. कथित तौर पर 'आतंकवादियों' ने पिछले साल जून में एक अफगान सिख नेता का अपहरण कर लिया गया था.

वहीं मार्च 2019 में काबुल में एक और सिख व्यक्ति का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. बाद में अफगानिस्तान की पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जबकि कंधार में एक अन्य अज्ञात बंदूकधारियों ने एक अन्य सिख व्यक्ति को गोली मार दी थी.

सिख सदियों से अफगानिस्तान में रह रहे हैं, लेकिन दशकों से अफगान सरकार भी सिखों को पर्याप्त आवास प्रदान करने या उनके घरों को बहाल करने में विफल रही है. IFFRAS ने कहा कि 26 मार्च 2020 को काबुल के एक गुरुद्वारे में तालिबान द्वारा हाल ही में सिखों के नरसंहार के बाद अधिकांश अफगान सिख भारत के लिए रवाना हुए.

पढ़ें - तालिबान के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मास्को में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात

इसके अलावा, मंच ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चूंकि सिख समुदाय के लोग इस्लाम के सुन्नी संप्रदाय की मुख्यधारा के अंतर्गत नहीं आते हैं, इसलिए उन्हें या तो जबरन सुन्नी मुसलमानों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है.

तालिबान की 'सरकार' कभी भी अफगान राज्य और समाज में विविधता को पनपने नहीं देगी. आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ इस्लामी संहिता के सबसे सख्त रूप के परिणामस्वरूप सिखों सहित अफगानिस्तान के सभी अल्पसंख्यक संप्रदायों का सफाया हो जाएगा.

Last Updated : Oct 22, 2021, 4:07 PM IST
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