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तालिबान की वापसी से अफगान छात्र भयभीत, भारत से मदद की गुहार

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद भारत में रह रहे अफगान नागरिक अपने भविष्य और अफगानिस्तान में परिवार की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं. अपने देश के हालत के प्रति भयभीत और निराश छात्रों को कुछ नहीं समझ में रहा है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे या नहीं.

अफगान छात्र
अफगान छात्र
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Published : Aug 18, 2021, 3:23 AM IST

Updated : Aug 18, 2021, 7:05 AM IST

अहमदाबाद : अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रमों को लेकर घर से दूर पढ़ रहे अफगान युवाओं की चिंता बढ़ गई है. अफगानिस्तान के कई छात्र गुजरात के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने से वडोदरा और सूरत में पढ़ने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए इन छात्रों ने अपनी चिंता व्यक्त की.

वडोदरा में अफगानिस्तान के 11 छात्र पढ़ रहे हैं. इन छात्रों के परिवार जहां अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, वहीं छात्रों ने तालिबान की बर्बरता पर सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा, हम भारत और अमेरिका सहित अन्य देशों से मदद की उम्मीद करते हैं.

अफगान छात्रों की प्रतिक्रिया

एमएसडब्ल्यू, विज्ञान सहित विभिन्न संकायों में पढ़ने वाले अफगान छात्रों ने कहा, हम भारत में बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय के निदेशक धनेश पटेल ने कहा, हमारे पास अफगानिस्तान से कुल 11 छात्र हैं. फिलहाल चार छात्र वडोदरा में हैं. जबकि सात छात्र काम के सिलसिले में अफगानिस्तान गए हैं. हम उनके साथ लगातार संपर्क में हैं, हम उनके परिवारों के भी संपर्क में हैं. उनकी अच्छी तरह से निगरानी की जा रही है.

छात्रों ने कहा कि हम भारत में बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं और खुश हैं कि विश्वविद्यालय द्वारा सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, हालांकि सभी भविष्य के बारे में चिंतित हैं.

अफगान छात्र से बातचीत

सूरत में पीएचडी कर रहे छात्र का दर्द
सूरत में पीएचडी करने के लिए आए अफगान नागरिक जुमा रसूली बेहद चिंताजनक स्थिति से गुजर रहे हैं. रसूली की पत्नी और दो बेटियां फिलहाल अफगानिस्तान में हैं. जुमा ने पत्नी और दो बेटियों के सूरत आने का टिकट भी बुक कराया था, लेकिन तालिबान के कारण अफगानिस्तान में हालात अचानक असामान्य हो गए.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, एक मिनट भी बिताना बहुत मुश्किल है, क्योंकि पत्नी और दो बेटियां काबुल में फंसी हुई हैं. जुमा ने कहा, 'तीनों, मेरी पत्नी और दो बच्चे काबुल में घर में अकेले हैं. घर के बाहर से फायरिंग की आवाज आती है, मुझे उनकी बहुत चिंता है.'

जुमा रसूली पत्नी और बच्चों से वीडियो कॉल के जरिए बात करते हैं. उन्होंने भारत सरकार से मौजूदा स्थिति को देखते हुए शरण देने का आग्रह किया है.

37 वर्षीय जुमा रसूली मूल रूप से अफगानिस्तान के काबुल के रहने वाले हैं. वह पिछले सात साल से भारत में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और वर्तमान में अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं. उनकी पत्नी और दोनों बेटियां भी सूरत में थी, लेकिन वे तीन महीने पहले काबुल चले गए थे.

यह भी पढ़ें- यूएन प्रमुख से मिले जयशंकर, अफगानिस्तान के हालात पर की चर्चा

ईटीवी भारत से बात करते हुए रसूली ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि उनके देश में अचानक ऐसी दयनीय स्थिति पैदा हो गई. देश पूरी तरह तालिबान के कब्जे में चला गया है. देश को इतनी विकट स्थिति में छोड़कर, राष्ट्रपति भाग गए.

रसूली ने कहा कि उन्होंने 21 साल पहले देश में तालिबान को ऐसी ही स्थिति में देखा था. वे बहुत क्रूर हैं. उन्हें महिलाओं और बच्चों के लिए भी कोई दया नहीं है.

अहमदाबाद : अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रमों को लेकर घर से दूर पढ़ रहे अफगान युवाओं की चिंता बढ़ गई है. अफगानिस्तान के कई छात्र गुजरात के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने से वडोदरा और सूरत में पढ़ने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए इन छात्रों ने अपनी चिंता व्यक्त की.

वडोदरा में अफगानिस्तान के 11 छात्र पढ़ रहे हैं. इन छात्रों के परिवार जहां अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, वहीं छात्रों ने तालिबान की बर्बरता पर सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा, हम भारत और अमेरिका सहित अन्य देशों से मदद की उम्मीद करते हैं.

अफगान छात्रों की प्रतिक्रिया

एमएसडब्ल्यू, विज्ञान सहित विभिन्न संकायों में पढ़ने वाले अफगान छात्रों ने कहा, हम भारत में बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय के निदेशक धनेश पटेल ने कहा, हमारे पास अफगानिस्तान से कुल 11 छात्र हैं. फिलहाल चार छात्र वडोदरा में हैं. जबकि सात छात्र काम के सिलसिले में अफगानिस्तान गए हैं. हम उनके साथ लगातार संपर्क में हैं, हम उनके परिवारों के भी संपर्क में हैं. उनकी अच्छी तरह से निगरानी की जा रही है.

छात्रों ने कहा कि हम भारत में बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं और खुश हैं कि विश्वविद्यालय द्वारा सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, हालांकि सभी भविष्य के बारे में चिंतित हैं.

अफगान छात्र से बातचीत

सूरत में पीएचडी कर रहे छात्र का दर्द
सूरत में पीएचडी करने के लिए आए अफगान नागरिक जुमा रसूली बेहद चिंताजनक स्थिति से गुजर रहे हैं. रसूली की पत्नी और दो बेटियां फिलहाल अफगानिस्तान में हैं. जुमा ने पत्नी और दो बेटियों के सूरत आने का टिकट भी बुक कराया था, लेकिन तालिबान के कारण अफगानिस्तान में हालात अचानक असामान्य हो गए.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा, एक मिनट भी बिताना बहुत मुश्किल है, क्योंकि पत्नी और दो बेटियां काबुल में फंसी हुई हैं. जुमा ने कहा, 'तीनों, मेरी पत्नी और दो बच्चे काबुल में घर में अकेले हैं. घर के बाहर से फायरिंग की आवाज आती है, मुझे उनकी बहुत चिंता है.'

जुमा रसूली पत्नी और बच्चों से वीडियो कॉल के जरिए बात करते हैं. उन्होंने भारत सरकार से मौजूदा स्थिति को देखते हुए शरण देने का आग्रह किया है.

37 वर्षीय जुमा रसूली मूल रूप से अफगानिस्तान के काबुल के रहने वाले हैं. वह पिछले सात साल से भारत में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और वर्तमान में अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं. उनकी पत्नी और दोनों बेटियां भी सूरत में थी, लेकिन वे तीन महीने पहले काबुल चले गए थे.

यह भी पढ़ें- यूएन प्रमुख से मिले जयशंकर, अफगानिस्तान के हालात पर की चर्चा

ईटीवी भारत से बात करते हुए रसूली ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि उनके देश में अचानक ऐसी दयनीय स्थिति पैदा हो गई. देश पूरी तरह तालिबान के कब्जे में चला गया है. देश को इतनी विकट स्थिति में छोड़कर, राष्ट्रपति भाग गए.

रसूली ने कहा कि उन्होंने 21 साल पहले देश में तालिबान को ऐसी ही स्थिति में देखा था. वे बहुत क्रूर हैं. उन्हें महिलाओं और बच्चों के लिए भी कोई दया नहीं है.

Last Updated : Aug 18, 2021, 7:05 AM IST
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