नई दिल्ली: भारत में अफगान दूतावास बंद करने को लेकर एक नया ट्विस्ट सामने आया है. विदेश मंत्रालय से ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान भारत में अपना दूतावास बंद नहीं करेगा. सोमवार से दूतावास फिर से अपना परिसंचालन शुरू करेगा. इससे पहले खबर आई थी कि भारत से सहयोग न मिलने पर अफगानिस्तान नई दिल्ली स्थित अपन दूतावास को बंद कर रहा है.
इस खबर की पुष्टि सुश्री जाकिया वारदाक (महावाणिज्यदूत, मुंबई) और इब्राहिमखिल (हैदराबाद वाणिज्यदूत) ने की है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में दूतावास बंद नहीं किया गया है, लेकिन हम मुंबई और हैदराबाद के वाणिज्य दूतावास में तैनात अफगान राजनयिकों के लगातार संपर्क में हैं. जब उनसे दूतावास की स्थिति और नए राजदूत पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी हमारे पास कोई पूर्णकालिक राजदूत नहीं है, लेकिन मुंबई या हैदराबाद वाणिज्य दूतावास से एक प्रभारी बनेगा. वहीं, पूर्व राजदूत फरीद मामुंडजे ने अपने पत्र में लिखा था कि सभी अफगान राजनयिक भारत छोड़ चुके हैं और केवल वे लोग जो तालिबान से जुड़े हैं वे अभी भी भारत में हैं.
भारत के साथ संबंधों को लेकर अफगानी दूतों ने बताया कि दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी पुराने हैं और ये रिश्ते दोस्ताना भी हैं. उन्होंने कहा कि दूतावास से मिलने वाली सारी सुविधाएं पहले की तरह ही जारी रहेंगी. वहीं, भारत ने अफगानियों को इस बात का भरोसा दिया है कि वे घबराए नहीं. करीब एक महीने पहले ऐसी अफवाहें फैलाई गई थीं कि दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई है क्योंकि कादिर शाह को नया राजदूत नियुक्त कर दिया गया है, लेकिन यह सच नहीं था.
जब उनसे पूछा गया कि क्या कादिर शाह दिल्ली में हैं या भारत में. इस पर उन्होंने कहा कि उनके बारे में जो कोई भी लेटर जारी किया गया था वह गलत और झूठ से भरा हुआ था. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली कभी भी तालिबान से संबद्ध किसी दूत की नियुक्ति नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि सभी अफगानी राजनयिक जो अभी भारत में हैं, वे सब अशरफ गनी के शासन से संबद्ध रखते हैंं. आखिरी बार जब हमारी कादिर शाह से बातचीत हुई थी, तब वह तुर्की में थे. हमें नहीं पता कि वह अब कहां हैं.
इससे इतर उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों से 18 स्टाफ सदस्यों को भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए हम इस मुद्दे को भी देख रहे हैं.
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