नई दिल्ली : भारत में पिछले चार साल से शरण लेकर रह रहे अब्दुल फतह कहते हैं कि वे उपचार के लिए भारत आए थे लेकिन उसके बाद यहीं रह गए. उनका मानना है कि अफगानिस्तान के लोग कभी भी तालीबान शासन को स्वीकार नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान में जीवन सामान्य नहीं रह गया है और लोगों पर चीजें थोपी जा रही है. वह अपनी मर्जी से नहीं जी सकते हैं. लोगों को तालीबान के हिसाब से जीना पड़ेगा जिन्हें मानवाधिकारों की कोई कद्र नहीं है.
अब्दुल फतह को अशरफ गनी शासन या वहां के सुरक्षा बल से कोई शिकायत नहीं लेकिन फतह मानते हैं कि अफगानिस्तान के खिलाफ कोई बड़ी डील या साजिश हुई है जिसमें कई ऐसे देश शामिल हो सकते हैं जो अफगानिस्तान को खत्म करना चाहते थे.
पाकिस्तान और ईरान जैसे देश कभी अफगानिस्तान में शांति नहीं देखना चाहते और इसी कारण ताकतवर सेना और पुलिस के बावजूद भी तालिबान से हार का सामना करना पड़ रहा है. फतह दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास पर परिस्थिति को देखने आए थे.
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उन्होंने बताया कि यहां के बाद वे अमरीकी दूतावास भी जाएंगे. उन्हें मदद की दरकार है लेकिन उन्हें उम्मीद कम है कि कोई मदद कर सके. भारत में रह रहे तमाम अफगानिस्तानी लोग इस समय ऐसी ही असमंजस की स्थिति का सामना कर रहे हैं और अपने भविष्य को अनिश्चितता के भंवर में देखते हैं.