नई दिल्ली : एयरो शो (Aero India Show) के जरिए भारत रक्षा निर्यात को किस तरह से मजबूत कर सकता है, उसके लिए यह बहुत बड़ा मौका है. भारत ने इसी नजरिए से इस शो की तैयारी भी की. इस शो के जरिए भारत ने वायु सेना में अपनी ताकत और तकनीक दोनों का प्रदर्शन किया है. यही वजह है कि भारत को इस शो के दौरान कई ऑर्डर भी मिले हैं.
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Aero India 2023 showcased the strides India is making in defence and aerospace. It has brought together people from various countries who are showcasing their innovations. pic.twitter.com/EFL35j9LwL
— Narendra Modi (@narendramodi) February 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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एयर शो के दौरान तेजस लड़ाकू विमान को लेकर सबसे अधिक चर्चा हो रही है. तेजस स्वदेशी विकसित लड़ाकू विमान है. इसे एचएएल ने तैयार किया है. यह वही एचएएल है, जिसको लेकर एक समय में विपक्ष ने खूब निशाना साधा था. मामला था राफेल का. कई देशों ने तेजस को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है. ये हैं - फिलीपींस, अर्जेंटीना, मलेशिया, ईजिप्ट और वोत्सवाना.
दो दिन पहले एचएएल के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी गई थी कि कंपनी ने अगले कुछ सालों में करीब 25 खरब रु. के निर्यात का लक्ष्य रखा है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शो के उद्घाटन समारोह में कहा था कि भारत अगले दो सालों में कम-के-कम पांच बिलियन डॉलर की रक्षा सामग्री का निर्यात करे, यह संकल्प लेकर आगे बढ़ना है.
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🔱Trishul in the sky
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तेजस की खासियत - तेजस एक हल्का लड़ाकू विमान है. इसका वजन 6500 किलोग्राम है. इसमें इजरायल का रडार ईएल/एम-2052 लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह एक साथ 10 निशाना साध सकता है. इसकी लैंडिंग बहुत ही स्मूथ और क्विक होती है. बहुत कम जगहों पर यह लैंड भी कर सकता है और कम जगह से टेक ऑफ भी कर सकता है. आप इसमें मिसाइल, लेजर गाइडेज बम और कलस्टर वेपन को फिट कर सकते हैं. इसका एडवांस्ड वर्जन 56 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है.
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#Tejas Mk2 will be ready for induction in service by 2028 and #AMCA Mk1 will be ready for induction in service by 2033. 1st flight of AMCA Mk1 by 2030. - #DRDO chairman Dr Samir V Kamat#AeroIndia2023 #IADN pic.twitter.com/5Ueo5ewrjl
— Indian Aerospace Defence News (IADN) (@NewsIADN) February 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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इस एयर शो में भाग लेने वाली कंपनियों में ये सब शामिल हैं - रोल्स रॉयस, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, एयरबस, लार्सन एंड टुब्रो, एचएएल, भेल, भारत डायनेमिक्स लि., बीईएमएल लि, दसॉल्ट, सफरान आदि.
एयर इंडिया की डील को लेकर भी खूब चर्चा है. एयरक्राफ्ट के क्षेत्र में यह अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. इसमें एयर इंडिया ने अमेरिकी कंपनी बोइंग और फ्रांस की एयरबस के साथ समझौता किया है. कुल 470 विमान का ऑर्डर है. 250 विमान एयरबस और 220 विमान बोइंग देगा. इस डील की ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा करते समय यह भी कहा कि इससे अमेरिका के 44 राज्यों में 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. एयरबस के A-350 एयरक्राफ्ट में ब्रिटिश कंपनी रोल्स रॉयस का एक्सडब्लूबी इंजन लगा हुआ है. इसिलए इस डील से ब्रिटेन को भी फायदा पहुंचेगा. एयर इंडया ने पहले भी रोल्स रॉयस को 68 ट्रेंट एक्स डब्लू बी 97 इंजन का आर्डर दिया है.
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I hadn't imagined a day would come when an American President would issue a statement that an order placed by an Indian company would lead to "one million American jobs over 44 states..."
— Harsha Bhogle (@bhogleharsha) February 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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रक्षा निर्यात को लेकर भारत पिछले कुछ सालों में लगातार प्रगति कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत अभी करीब-करीब 75 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात करता है. मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा निर्यात ज्यादा बढ़ा है. एक साल पहले यानी 2021-22 की बात करें, तो भारत ने करीब 1.5 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का आंकड़ा पार किया है. सरकार लगातार विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश कर उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. भारतीय कंपनियों को एफडीआई में छूट दी जा रही है. नियमों में बदलाव किया गया है. लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है.
पिछले साल सितंबर महीने में एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का टारजेट निर्धारित किया है. उनके अनुसार इसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल होगा.. उन्होंने यह भी कहा कि 70-80 प्रतिशत के योगदान के साथ इस लक्ष्य को हासिल करने में प्रमुख भूमिका भारत के रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की होगी.
हमारा रक्षा निर्यात 2020-21 में 8,434 करोड़ रु. था, जबकि इससे पहले 2019-20 में यह 9,115 करोड़ रु. था. इससे भी पहले 2015-16 में 2,059 करोड़ रुपये था. मुख्य रूप से हम दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के अन्य देशों को निर्यात करते हैं. कुछ निर्यात अमेरिका को भी होता है.
भारत ने रक्षा सामग्री के आयात को कम करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं. डिफेंस प्रोडक्शन डिपार्टमेंट ने उप-प्रणालियों/असेंबली/उप-असेंबली/घटकों की तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) अधिसूचित की है. पहली सूची में से 2,851 आइटम शामिल हैं. इनमें 2,500 वस्तुओं का पहले ही स्वदेशीकरण किया जा चुका है.
दूसरी सूची में 107 रणनीतिक महत्वपूर्ण लाइन प्रतिस्थापन इकाइयां/प्रमुख उप-विधानसभाएं शामिल हैं. तीसरी सूची में 101 सैन्य उपकरण शामिल हैं. यानी लाइट टैंक, हेलीकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहन का आयात नहीं होगा. दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं - उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में एक-एक स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए.
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