सहस्राब्दि की महामारी करार दिए जा रहे घातक कोविड -19 ने दुनिया के देशों को गंभीर चुनौती दी है. इसने अधिकांश देशों के स्वास्थ्य और विकास से जुड़े लक्ष्यों को उल्टा-पुल्टा कर दिया है. देखते-देखते पूरी दुनिया में फैलने के बाद महामारी से लगभग 18 लाख लोगों को मौत हो गई.
तत्काल अनुमति देने के लिए आवेदन
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों में मौत का सिलसिला जारी है. इतने बड़े स्तर पर तबाही के बाद टीके तैयार करने के लिए युद्धस्तर पर अनुसंधान कार्य चलाया गया. कुछ देशों की ओर से दो या तीन टीका बनाने वालों को कोविड -19 के टीकों को हरी झंडी दी गई है. भारत बायोटेक (कोवैक्सीन) और सीरम इंस्टीट्यूट (कोविशील्ड) ने भी अपने स्तर से विकसित किए गए टीकों की तत्काल अनुमति देने के लिए आवेदन दिया है. इस प्रगति के बाद केंद्र सरकार ने कोविड -19 के वैश्विक टीकाकरण के लिए अग्रिम तैयारी के भाग के रूप में एक ड्राई रन का आयोजन किया.
तैयारियों का पता लगाने में मदद
केंद्र के ड्राई-रन का मकसद देश के चार क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए चार राज्यों में से प्रत्येक में दो जिलों के लाभार्थियों को डमी वैक्सीन देना है. यह आधिकारिक तंत्र की तैयारियों का पता लगाने में मदद करेगा और अभियान में काम आने वाले डिजिटल आईटी साइट की खामियों को दूर करेगा.
86 हजार कोल्ड स्टोरेज मशीनों में वैक्सीन
यह सही में एक महायज्ञ होने जा रहा है जिसके तहत करीब 29 हजार कोल्ड चेन केंद्रों में स्थापित 86 हजार कोल्ड स्टोरेज मशीनों में वैक्सीन को एकत्र करके रखा जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाएंगे कि वैक्सीन सही समय उन स्थानों पर पहुंचे जहां इसकी जरूरत हो. समन्वित प्रयास में प्रत्येक लाभार्थी को एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाएगा कि उसकी बारी कब आएगी और उसे कहां टीका लगाया जाएगा.
अभूतपूर्व अभियान
प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं का पता लगाना और उनका विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना तनाव से भरे क्षणों से भरा होगा. इन सबको देखते हुए केंद्र की ओर से 23 मंत्रालयों के समन्वय में टीकाकरण के लिए पृष्ठभूमि की तैयारी एक अभूतपूर्व अभियान है.
टीकाकरण में कड़ी चुनौती
भारत के पास सामूहिक टीकाकरण अभियान चलाने का कई दशकों का अनुभव है. टीकाकरण के क्षेत्र में प्राप्त विशाल अनुभव के बावजूद देश कोविड-19 टीकाकरण में कड़ी चुनौती का सामना करने जा रहा है.
50 हजार कर्मियों को प्रशिक्षण
प्राथमिकता वाले टीकाकरण के लिए सरकार ने दो करोड़ फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं की पहचान की है. यह अनुमान है कि 50 या उससे कम उम्र के अन्य 28 करोड़ लोग लंबे समय से अस्वस्थता से पीड़ित हैं. देश के 681 जिलों में लगभग 50 हजार कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है, जहां प्रस्तावित टीकों को मंजूरी मिलते ही टीकाकरण किया जाएगा.
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वैश्विक टीकाकरण केंद्र पहले से ही उपलब्ध
हालांकि 82 लाख वैश्विक टीकाकरण केंद्र पहले से ही उपलब्ध हैं, केवल एहतियात के तौर पर कोविड टीकाकरण के लिए बेहतर सुविधाओं वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो (पीएचसी) या केंद्रों को चुना गया है. सामान्य समय में किसी टीके की सुरक्षा और वह किस हद तक प्रभावी है इसका पता लगाने में वर्षों लग जाते हैं. हालांकि, बायोटेक संस्थानों ने टीके विकसित करने के लिए तय समय के साथ दौड़ लगाई.
प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं विकसित
परीक्षण के तीसरे चरण में हजारों लोगों पर टीकों का परीक्षण किया गया है. जब कोई टीका करोड़ों लोगों को लगाया जाता है तो कुछ में प्रतिकूल प्रतिक्रिया से इनकार नहीं किया जा सकता है. अमेरिकी एजेंसी एफडीए का कहना है कि ऐसी प्रतिक्रियाएं पूरी तरह से वैक्सीन के कारण नहीं हो सकती हैं. बेहतर किस्म की चिकित्सा सहायता तुरंत उन लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिन्होंने प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं विकसित की हैं. अतिसंवेदनशील व्यक्तियों का लंबे समय तक अवलोकन करके मिली सीख के आधार पर टीका में सुधार किया जाना चाहिए.
युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए
जीवन के लिए असली संघर्ष को इंतजार है चिकित्सा और स्वास्थ्य क्षेत्र के योद्धाओं का और उन्हें क्रम में रखने का. खासकर जब देश भर में वैक्सीन की दोहरी खुराक दी जानी है. कोरोना योद्धाओं को युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए, प्रौद्योगिकी की सहायता से लैस होना चाहिए. एक मजबूत संकल्प के साथ महामारी को समाप्त करना चाहिए.