नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि उसकी ट्राइबल वेलफेयर इकाई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 'अपमान' के विरोध में 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन करेगी, जिन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए केंद्र द्वारा आमंत्रित नहीं किया गया है (Adivasi Congress to protest).
अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस प्रमुख शिवाजी राव मोघे ने कहा, 'द्रौपदी मुर्मू के रूप में एक आदिवासी महिला का भारत का राष्ट्रपति बनना हम सभी के लिए गर्व की बात है. संसद का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष करते हैं. आदर्श रूप से, राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए लेकिन हमारे प्रधानमंत्री 28 मई को इसका उद्घाटन कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि 'यह न केवल देश भर के आदिवासियों के लिए बल्कि महिलाओं के लिए भी अपमान है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और भारतीय लोकतंत्र का अपमान है. हम इस अन्याय के खिलाफ कल देश भर में गांवों और प्रखंडों में विरोध प्रदर्शन करेंगे.'
मोघे के अनुसार, राष्ट्रपति न केवल सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है, बल्कि उसे संसद सत्र बुलाने और सत्रावसान करने का भी अधिकार होता है.
उन्होंने कहा कि 'पीएम इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण क्यों नहीं दे रहे हैं, जबकि 20 पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के उनके फैसले का विरोध किया है. इससे पता चलता है कि वे आदिवासियों का अपमान करना चाहते हैं. बीजेपी में आदिवासियों और दलितों के खिलाफ ऐसी मानसिकता कैसे विकसित हो गई.'
आदिवासी नेता के अनुसार, 'आदिवासियों ने युगों से जंगलों की रक्षा की है और इसे ध्यान में रखते हुए, पिछली मनमोहन सिंह सरकार ने 2006 में आदिवासियों की रक्षा के लिए एक कानून बनाया था.'
मोघे ने कहा कि 'लेकिन भाजपा आदिवासियों का सम्मान नहीं करती है और समुदाय को 'वनवासी' के रूप में संदर्भित करती है, जिसे अपमानजनक शब्द माना जाता है. हरिजन शब्द को दलितों के लिए अपमानजनक माना जाता था और एक कानून के माध्यम से इसे आम उपयोग से हटा दिया गया था. वनवासी शब्द के साथ ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता, जो हमें आहत करता है.'
उन्होंने कहा कि 'सही शब्द आदिवासी है. आदिवासियों के अखिल भारतीय संगठनों द्वारा सरकार को कई बार कहा गया है कि समुदाय के संदर्भ को वनवासी से आदिवासी में बदल दिया जाना चाहिए लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.'
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा आदिवासियों की जमीन छीन रही है. उन्होंने कहा कि 'यहां तक कि भाजपा की राज्य सरकारें भी आदिवासी समुदाय की उपेक्षा करती हैं. भाजपा आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण पर ग्राम सभा के नियंत्रण को कमजोर कर रही है और निजी ठेकेदारों को वन भूमि दे रही है. पेसा (PESA) भी भाजपा शासित राज्यों द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है.'
मोघे ने कहा कि उन्होंने अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस की राज्य इकाइयों को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने कहा कि 'हम इसे अपने तरीके से करेंगे. यह शांतिपूर्ण होगा. हम छोटे मार्च निकाल सकते हैं, पोस्टर प्रदर्शित कर सकते हैं या लोगों से मिल सकते हैं. हम कोई कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं करेंगे.'
पिछले दिनों, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए एक साथ आकर कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है जब भाजपा ने संसद से आत्मा निकाल ली है.
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