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Aditya L1 orbit Earth: बेंगलुरु के नेहरू तारामंडल के निदेशक बोले- आदित्य-एल1, 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा - Aditya L1 orbit Earth

आदित्य एल1 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से शुरू हो गई. आदित्य एल1 को सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन करने और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के इन-सीटू अवलोकन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है.

Aditya L1 will orbit the Earth several times before exiting the influence of gravity
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से बाहर निकलने से पहले आदित्य एल1 पृथ्वी की कई बार परिक्रमा करेगा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 8:20 AM IST

Updated : Sep 2, 2023, 9:32 AM IST

जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के निदेशक

बेंगलुरु: आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान अलग- अलग कक्षाओं में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और उसके बाद धीरे-धीरे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से दूर होता जाएगा. जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के निदेशक प्रमोद जी गलागली ने कहा कि यह लगभग चार महीने तक यात्रा करेगा और यहां से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में एल1 बिंदु पर पहुंचेगा. आदित्य-एल1, 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा.

आज इसरो निर्मित आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. सूर्य का अध्ययन करने वाले भारत के पहले मिशन के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रमोद जी गलागली ने बताया कि एल1 बिंदु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव संतुलित हो जाएगा. इसे L1 बिंदु को केंद्र मानकर सूर्य की परिक्रमा करने की योजना है.

ये अच्छी स्थिति में उपग्रह सौर किरणों और उसके कणों के बारे में डेटा एकत्र करेगा. यह सूर्य के कोर से निकलने वाली चमक और L1 स्थान पर इसके प्रभाव के बारे में अध्ययन करेगा. इन आंकड़ों और बाद के अध्ययनों से हम अपने निकटतम तारे को उनके द्वारा बताए गए पहले की तुलना में बेहतर और अधिक व्यापक रूप से समझ पाएंगे.

इस अंतरिक्ष यान के माध्यम से सात पेलोड एल1 बिंदु पर पहुंचेंगे और सूर्य का व्यापक अध्ययन करेंगे. पेलोड एएसपीईएक्स भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद में विकसित किया गया है जो सौर हवा और ऊर्जावान कणों और उनके गतिज ऊर्जा स्पेक्ट्रम का अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा कि एक अन्य पेलोड पापा को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम में विकसित और असेंबल किया गया है.

ये भी पढ़ें- Aditya L1 Study of solar : चांद के बाद अब सूरज की बारी, ISRO की है पूरी तैयारी

सोलेक्स ( SoLexes) और उच्च शक्ति वाले L1 ऑर्बिटल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) सौर ज्वालाओं के गतिज ऊर्जा स्पेक्ट्रम का अध्ययन करेंगे. उन्होंने बताया कि ये दोनों पेलोड बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किए गए. प्रमोद गलागली ने बताया कि सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप सूर्य और उसके क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा और पराबैंगनी किरणों के माध्यम से सौर चमक के उतार-चढ़ाव को भी मापेगा. इसे इसरो के सहयोग से IUCAA में विकसित किया गया है और चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए मैग्नेटोमीटर को L1 स्थान पर रखा जाएगा, यह पेलोड इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला बेंगलुरु में तैयार किया गया है.

जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के निदेशक

बेंगलुरु: आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान अलग- अलग कक्षाओं में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और उसके बाद धीरे-धीरे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से दूर होता जाएगा. जवाहरलाल नेहरू तारामंडल के निदेशक प्रमोद जी गलागली ने कहा कि यह लगभग चार महीने तक यात्रा करेगा और यहां से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में एल1 बिंदु पर पहुंचेगा. आदित्य-एल1, 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा.

आज इसरो निर्मित आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. सूर्य का अध्ययन करने वाले भारत के पहले मिशन के बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रमोद जी गलागली ने बताया कि एल1 बिंदु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव संतुलित हो जाएगा. इसे L1 बिंदु को केंद्र मानकर सूर्य की परिक्रमा करने की योजना है.

ये अच्छी स्थिति में उपग्रह सौर किरणों और उसके कणों के बारे में डेटा एकत्र करेगा. यह सूर्य के कोर से निकलने वाली चमक और L1 स्थान पर इसके प्रभाव के बारे में अध्ययन करेगा. इन आंकड़ों और बाद के अध्ययनों से हम अपने निकटतम तारे को उनके द्वारा बताए गए पहले की तुलना में बेहतर और अधिक व्यापक रूप से समझ पाएंगे.

इस अंतरिक्ष यान के माध्यम से सात पेलोड एल1 बिंदु पर पहुंचेंगे और सूर्य का व्यापक अध्ययन करेंगे. पेलोड एएसपीईएक्स भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद में विकसित किया गया है जो सौर हवा और ऊर्जावान कणों और उनके गतिज ऊर्जा स्पेक्ट्रम का अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा कि एक अन्य पेलोड पापा को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम में विकसित और असेंबल किया गया है.

ये भी पढ़ें- Aditya L1 Study of solar : चांद के बाद अब सूरज की बारी, ISRO की है पूरी तैयारी

सोलेक्स ( SoLexes) और उच्च शक्ति वाले L1 ऑर्बिटल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) सौर ज्वालाओं के गतिज ऊर्जा स्पेक्ट्रम का अध्ययन करेंगे. उन्होंने बताया कि ये दोनों पेलोड बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किए गए. प्रमोद गलागली ने बताया कि सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप सूर्य और उसके क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा और पराबैंगनी किरणों के माध्यम से सौर चमक के उतार-चढ़ाव को भी मापेगा. इसे इसरो के सहयोग से IUCAA में विकसित किया गया है और चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए मैग्नेटोमीटर को L1 स्थान पर रखा जाएगा, यह पेलोड इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला बेंगलुरु में तैयार किया गया है.

Last Updated : Sep 2, 2023, 9:32 AM IST
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