शिमला: हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राज्य में कारोबार कर रहा अडानी समूह चर्चा में आ गया था. बीते साल दिसंबर में बीजेपी सरकार की विदाई हुई और हिमाचल में कांग्रेस सत्ता में आ गई. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 11 दिसंबर को सीएम पद की शपथ ली और 15 दिसंबर को अडानी समूह ने माल भाड़ा महंगा बताकर नुकसान का हवाला दिया और राज्य में अपने दोनों सीमेंट प्लांट बंद कर दिए. हिमाचल के बिलासपुर जिले के बरमाणा में एसीसी सीमेंट और सोलन जिले के दाड़लाघाट में अंबुजा सीमेंट प्लांट का मालिकाना हक अडानी समूह के पास है.
सु्क्खू सरकार बनाम अडानी समूह- पिछले करीब पचपन दिन से इन प्लांट्स में उत्पादन बंद है और तालाबंदी के कारण ट्रक ऑपरेटर परेशान हैं. नुकसान का हवाला देकर अडानी समूह ने दोनों प्लांट में उत्पादन बंद किया और ट्रक से सीमेंट की ढुलाई महंगा होना इसकी वजह बताया गया. अब इस मामले में ट्रक ऑपरेटर्स और सीमेंट कंपनियां आमने-सामने हैं, सरकार मध्यस्थ की भूमिका मे हैं लेकिन अडानी समूह के अचानक प्लांट बंद करने का फैसला उसे भी रास नहीं आ रहा. बीते डेढ महीने में सरकार ट्रक ऑपरेटर और अडानी समूह के बीच कई बार बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कोई हल नहीं निकला है.
हिमाचल के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान कह चुके हैं कि यदि कंपनी तय किए गए माल ढुलाई रेट लागू करती है तो विवाद खत्म हो जाएगा. सरकार ने साफ किया है कि ट्रक ऑपरेटर्स को नुकसान नहीं होने देंगे, इसिलये अगर अडानी समूह रेट नहीं मानेगा तो सरकार को मजबूरन कानूनी एक्शन लेना पड़ेगा. सरकार के पास अधिकार है कि वो कंपनी को दी गई जमीन की जांच कर सकती है. इसके लिए अफसरों को निर्देश दिए गए हैं. इसके साथी ही हिमाचल में धारा 118 के तहत नियमों का पालन किया गया है या नहीं, कंपनी अवैध रूप से खनन तो नहीं कर रही है, इसकी भी जांच की जाएगी. सरकार के इस रुख के बाद दाड़लाघाट प्लांट पर खनन अफसरों ने छापा मारकर लीज एरिया की जांच की
एक्शन मोड में हिमाचल सरकार- सीमेंट विवाद पर ना तो सुखविंदर सिंह सरकार झुकने को तैयार है और न ही अडानी समूह अपनी जिद छोड़ रहा है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार ने प्रदेश में कारोबार कर रहे अडानी समूह पर कार्रवाई शुरू कर दी है. पहले दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट में नियमों का हवाला देकर छापेमारी की गई और अब सोलन जिला के परवाणू में अडानी के गोदाम पर आबकारी व कराधान विभाग ने छापा मारा है. बताया जा रहा है कि टैक्स चोरी के मामले में विभाग ने कंपनी के रिकॉर्ड अपने कब्जे में लिए हैं. आखिरकार अडानी समूह और हिमाचल सरकार के रिश्तों में ये तल्खी क्यों आई है, इसे समझते हैं.
हिमाचल में सीमेंट और विवाद- हिमाचल में अडानी समूह ने दो सीमेंट प्लांट खरीदे थे. एसीसी और अंबुजा सीमेंट प्लांट अब अडानी के पास हैं. पूर्व की सरकारों के समय भी हिमाचल की धरती पर लगे सीमेंट प्लांट और यहीं की जनता को महंगा सीमेंट मिलने पर विवाद होता रहा है. सीमेंट कारखाने अपने हिसाब से रेट बढ़ा देते हैं. जनता का कहना है कि हिमाचल की धरती, हिमाचल का पर्यावरण और हिमाचल के ही संसाधन प्रयोग किए जाते हैं और यहीं के निवासियों को महंगा सीमेंट मिलता है. सीमेंट प्लांट प्रबंधन का तर्क रहता है कि पहाड़ी राज्य होने के कारण उन्हें मालभाड़ा यानी ढुलाई महंगी पड़ती है. सरकारें इस विवाद में कोई खास रोल प्ले नहीं कर पाती थी. रेट कंट्रोल करना सरकार के हाथ में नहीं है. संबंधित जिलों के डीसी के साथ सीमेंट प्लांट प्रबंधन वार्ता कर विवाद सुलझाते रहे हैं.
अडानी पर सरकार का रुख- साल 2022 में सुखविंदर सिंह सरकार सत्ता में आई और अडानी समूह में सीमेंट के दाम बढ़ा दिए. इस पर नई-नवेली सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह ने कड़ा संदेश दिया कि सीमेंट कारखानों की मनमानी सहन नहीं की जाएगी. उसके बाद अडानी समूह ने करीब पचपन दिन पहले अचानक से दोनों सीमेंट कारखानों की तालाबंदी कर दी. उसके बाद से विवाद जारी है. कांग्रेस सरकार कह रही है कि अडानी समूह की मनमानी सहन नहीं की जाएगी. विवाद का कारण माल ढुलाई की दरें हैं. अडानी समूह चाहता है कि सीमेंट ढुलाई का दाम कम किया जाए. पूर्व में ट्रक ऑपरेटर्स ने 10.15 रुपए माल ढुलाई का रेट तय करने पर हामी भरी लेकिन अडानी समूह इसे दस रुपए से कम करने के लिए कह रहा है. अडानी ग्रुप के रुख को देखते हुए सरकार ने समूह के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया. सरकार का मानना है कि यदि अभी सख्ती न की गई तो निकट भविष्य में सीमेंट कंपनी कभी भी मनमानी पर उतर सकती है.
सरकार क्या-क्या एक्शन ले सकती है- सरकार के पास अडानी समूह के साथ सख्ती के कई बिंदु मौजूद हैं. सीमेंट प्लांट के लिए दी गई जमीन की मंजूरी धारा-118 के तहत वापस ली जा सकती है. इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए तय उपाय न करने पर एक्शन लिया जा सकता है. साथ ही एसीसी और अंबुजा की माइनिंग लीज रद्द की जा सकती है. इसके अलावा उद्योग विभाग की तरफ से मिलने वाले अनुदान रोके जा सकते हैं. सीमेंट प्लांट बंद होने से रोजाना 2 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. 7 हजार के करीब ट्रक ऑपरेटर प्रभावित हो रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि अडानी माल ढुलाई के मामले में झुकने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार के पास आगामी समय में लीगल एक्शन का ऑप्शन अंतिम हथियार बचता है.
हिमाचल में अडानी- हिमाचल प्रदेश में अडानी के सिर्फ सीमेंट प्लांट ही नहीं हैं. अडानी के हिमाचल में और भी वेंचर हैं अडानी एग्रो फ्रेश के हिमाचल में दो कोल्ड स्टोर हैं. अडानी यहां सेब की खरीद करता है. अडानी को सेब खरीद से रोकने के लिए सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकती है. इसी बीच, सोलन जिला के परवाणु में अडानी विल्मर के गोदामों पर छापे मारकर टैक्स से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं.
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