कोरबा: अलग-अलग सरकारों के राज में एमडीओ अनुबंध करके निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है. ऐसा आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने इसे बड़ा घोटाला करार दिया. आलोक शुक्ला ने बताया कि " एमडीओ के रूप में जो राज्य या केंद्र सरकारों के सार्वजनिक उपक्रम हैं, कंपनियां हैं, उन्हें जिस कोल ब्लॉक का आवंटन हुआ है उन्होंने उस कोल ब्लॉक का निजी कंपनी के साथ एमडीओ अनुबंध कर लिया है. इसके तहत खनन और कोयला आपूर्ति का ठेका निजी कंपनी को ही दे दिया है. इन निजी कंपनी से बाजार दर से भी महंगी दरों पर कोयला खरीदा जा रहा है. इस प्रक्रिया में जो सबसे लाभान्वित कंपनी है, वह अडानी समूह की है."
एमडीओ अनुबंध एक तरह का बड़ा घोटाला : आलोक शुक्ला बताते हैं कि "छत्तीसगढ़ के भीतर लगभग 8 कोल ब्लॉक ऐसे हैं, जो अलग अलग राज्य सरकारों को आवंटित हैं. इन सभी ने अदानी समूह के साथ एमडीओ किया है. यदि हम हसदेव अरण्य क्षेत्र की बात करेंगे, तो यहां 4 कोल ब्लॉक अदानी समूह के पास है. इनमें से 3 कोल ब्लॉक राजस्थान सरकार की है, जबकि एक छत्तीसगढ़ सरकार की है. हम यह भी देखते हैं कि इस प्रक्रिया में चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार रही हो. दोनों के दोनों इस एमडीओ अनुबंध को आगे बढ़ा रहे हैं. तमाम अध्ययन और रिपोर्ट भी आ चुकी है कि यह अनुबंध हजारों करोड़ों रुपए का घोटाला है".
इन खदानों का हुआ है अनुबंध: कुछ दिन पहले एसईसीएल ने अपनी एक खदान का एमडीओ (माइनिंग डेवलपर्स कम ऑपरेटर्स) अनुबंध अडानी समूह के साथ किया है. हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी) और केते एक्सटेंशन खदानों का एमडीओ अनुबंध भी अडानी समूह के साथ हो चुका है. यह सभी खदानें राजस्थान सरकार को आवंटित हैं, जिससे अडानी समूह ने खनन के लिए एमडीओ किया है. इनमें से पीईकेबी में पहले फेस का उत्खनन पूरा हो चुका है. जबकि दूसरे चरण का उत्खनन रुका हुआ है. परसा और केते एक्सटेंशन का काम भी विरोध की वजह से फिलहाल शुरू ही नहीं हो पाया है. इन तीनों कोल ब्लॉकों का कुल क्षेत्रफल 3 हजार 900 हेक्टेयर है. जबकि पूरा हरदेव अरण्य क्षेत्र 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में फैला है.
गिधमुड़ी पतुरिया में हाथी रिजर्व की वजह से अटका काम : कोरबा और सरगुजा के सरहदी क्षेत्र से लगे गिधमुड़ी पतुरियाडांड कोल ब्लॉक का एमडीओ भी छत्तीसगढ़ सरकार ने 2019 में अडानी समूह के साथ फाइनल कर लिया था. लेकिन अब इसका कुछ भाग हाथी और मानव के बीच द्वंद को कम करने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना लेमरू हाथी रिजर्व में आ गया है. इस खदान में कुल 158 मिलियन कोयले का भंडार है, जिसे 30 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाना था. यहां से 5.6 एमटीपीए (मिलियन टन पर एनम) कोयले का उत्खनन प्रस्तावित था. ग्रामीणों के विरोध और लेमरू हाथी रिजर्व की वजह से फिलहाल यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है. उत्खनन शुरू नहीं हुआ है. अब इस कोल ब्लॉक को निरस्त किए जाने की भी चर्चा है.
एसईसीएल के भी एक खदान का एमडीओ अडानी से : रायगढ़ जिले में भी गारे पेलमा 2 और छत्तीसगढ़ सरकार की गारे पेलमा 3 खदान का एमडीओ अदानी समूह के साथ हो चुका है. गारे पेलमा 2 जो कि तमनार में है. यह महाराष्ट्र सरकार की है. जबकि गारे पेलमा 3 छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित कोयला खदान है. अब हाल ही में एसईसीएल ने भी अपनी एक खदान का एमडीओ अनुबंध अदानी समूह के साथ फाइनल कर लिया है. यह रायगढ़ जिले में स्थित पेलमा खदान है, जिसे 20 साल के लिए एमडीओ अनुबंध के तहत अडानी समूह को सौंपा गया है. यहां से हर साल 15 मिलियन टन कोयला का उत्खनन होगा, जो 2024 में शुरू होगा है. यह पहला अवसर है जब कोयला उत्खनन का काम करने वाली केंद्र सरकार की कंपनी एसईसीएल ने उत्खनन के लिए एमडीओ अनुबंध किसी निजी कंपनी के साथ किया है.
नई तकनीक से होगा फायदा : एसईसीएल द्वारा एमडीओ अनुबंध किए जाने के प्रश्न पर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीषचंद्र ने इसे आधुनिक बताया. चंद्र का कहना है कि "एमडीओ अनुबंध एक नई तरह की शुरुआत है. इससे आधुनिक तकनीक से उत्खनन होता है. अधिक कोयले का उत्पादन होगा, जिससे कंपनी का फायदा होगा".