देहरादून: राजधानी देहरादून में तीन दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे संस्करण का आज दूसरा दिन है. इस लिटरेचर फेस्टिवल में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के अलावा बॉलीवुड अभिनेता तुषार कपूर, डीएलएफ संस्थापक सम्रान्त विरमानी, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, फिल्म निर्देशक वरुण गुप्ता, जीएम हयात हरकरन सिंह और बिग बैंग के सुदीप मुखर्जी समेत तमाम जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं. इस लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ हयात रीजेंसी होटल में किया गया है.
लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन कला क्षेत्र से जुड़े अनीशा खंडूजा, अमराई, मोथिका सुब्रमण्यम, आलोक लाल और मानस लाल द्वारा कलाकृतियों और फोटोग्राफी की प्रदर्शनी की गई. कार्यक्रम की शुरुआत बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता और फिल्म निर्माता तुषार कपूर द्वारा लिखी अपनी नवीनतम पुस्तक 'Bachelor Dad' के एक दिलचस्प सत्र के साथ हुई. इस पुस्तक के वार्तालाप सत्र में उनके साथ जानी-मानी प्रकाशक मिली अश्वर्या मौजूद रहीं.
इस दौरान दौरान तुषार कपूर ने कहा कि 'मैंने कभी लेखक बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन जिस अंदाज से मैं अपने बेटे की परवरिश कर रहा हूं, उसे देखकर मेरे करीबी मित्रों ने मुझे किताब लिखने के लिए प्रोत्साहित किया. ऐसे में साल 2019 के अंत में मैंने आखिरकार निर्णय लिया कि मैं एक किताब लिखने का प्रयास करूंगा और इसके लिए मुझे समय निकलना होगा. ऐसे ही यह कार्य हुआ. अब आज मेरी लिखी किताब मेरे लिए मेरे दूसरे बच्चे के समान है.'
कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में तुषार कपूर ने कहा कि सिंगल पैरेंट के रूप में उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में यह किसी भी माता-पिता के लिए उतना ही कठिन होगा लेकिन वास्तविक विषय एक अच्छा माता-पिता होने में है. ऐसे में मेरी यह यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण रही है. आखिरकार एक पिता बनकर मुझे काफी सुकून मिला है. सिंगल पैरेंट बनने का निर्णय लेने और अपने माता-पिता के साथ अपना निर्णय साझा करने के बारे में बात करते हुए तुषार ने कहा कि एक सिंगल पैरेंट बनने से पहले मैं बहुत अधिक चिंतित था. ऐसे में यह निर्णय लेने से पहले मैंने बहुत विचार-विमर्श भी किया. अंत में मैंने अपने दिल की बात पर हामी भरी. जब मेरी आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी हुई और सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू हुई तो उसके बाद मैंने अपने परिवार के साथ गहराई से चर्चा की.
मेरी मां इस निर्णय को लेकर काफी हैरान हुईं. हालांकि बाद में उन्होंने मेरे इस फैसले का दिल से समर्थन किया. मां ने कहा कि वह और मेरे पिता केवल एक दादा-दादी बनने जा रहे हैं, लेकिन असली कठिनाइयों का सामना उसे (तुषार कपूर) ही करना होगा. क्योंकि यह निर्णय मेरी जिंदगी मैं एक बड़ा बदलाव लाकर एक नया अध्याय लिखने वाला है.
पढ़ें- ड्यूटी ज्वाइन नहीं करूंगी, पहले सरकारी सिस्टम सुधारो : डॉ. निधि उनियाल
लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी पुस्तक पर चर्चा के दौरान कुछ अन्य किस्से साझा करते हुए तुषार कपूर ने कहा कि परिवार से इस निर्णय में सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद मैं काफी एक्साइडेट था. उसके बाद मैं अपने अजन्मे बच्चे के लिए खरीदारी को निकल गया. तैयारी यहां तक की रही कि अपने बच्चे के लिए मैंने यूनिसेक्स कपड़े भी खरीदे क्योंकि मेरे बच्चे का लिंग अज्ञात था. अंततः 1 जून 2016 को मेरे जीवन की सबसे यादगार रातों में से एक थी क्योंकि मैं एक अजन्मे बच्चे का आखिरकार पिता बन गया था.