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भीमा कोरेगांव हिंसा: आरोपी रोना विल्सन के लैपटॉप में प्लांट कराए गए थे मेल

रोना विल्सन के कंप्यूटर में वो लेटर ड्राफ्ट नही हुए हैं? वे प्लांट किये गए थे. जाहिर है इस खुलासे से बचाव पक्ष के हाथ बड़ा 'तुरुप का पत्ता' लगा है. इसलिए अब  उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देकर मामला खारिज करने की मांग की है

bhima koregaon violence
मामले में हुआ नया खुलासा
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Published : Feb 11, 2021, 8:43 PM IST

मुंबई : भीमा कोरेगांव हिंसा और अर्बन नक्सल मामले में नया खुलासा सामने आया है. आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन (Rona Wilson) के लैपटॉप से बरामद साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्‍हें प्लांट करवाया गया था.

बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई के मुताबिक, पुणे कोर्ट के आदेश पर मिले हार्ड डिस्क के क्लोन को अमेरिका के अर्सनाल डिजिटल फोरेंसिक लैब भेजा गया था. जिसकी रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है. साइबर एक्सपर्ट भी मानते हैं कि ऐसा मुमकिन है.

आर्सेनल रिपोर्ट में एक अहम बात ये भी है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में Microsoft Word 2007 था, लेकिन कथित तौर पर उनके द्वारा लिखे गए कुछ दस्तावेज़ MS 2010 और MS 2013 तक के PDF फॉर्मेट में थे. मतलब साफ है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में वो लेटर ड्राफ्ट नही हुए हैं? वे प्लांट किये गए थे. जाहिर है इस खुलासे से बचाव पक्ष के हाथ बड़ा 'तुरुप का पत्ता' लगा है. इसलिए अब उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देकर मामला खारिज करने की मांग की है.

मुंबई : भीमा कोरेगांव हिंसा और अर्बन नक्सल मामले में नया खुलासा सामने आया है. आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन (Rona Wilson) के लैपटॉप से बरामद साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्‍हें प्लांट करवाया गया था.

बचाव पक्ष के वकील मिहिर देसाई के मुताबिक, पुणे कोर्ट के आदेश पर मिले हार्ड डिस्क के क्लोन को अमेरिका के अर्सनाल डिजिटल फोरेंसिक लैब भेजा गया था. जिसकी रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है. साइबर एक्सपर्ट भी मानते हैं कि ऐसा मुमकिन है.

आर्सेनल रिपोर्ट में एक अहम बात ये भी है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में Microsoft Word 2007 था, लेकिन कथित तौर पर उनके द्वारा लिखे गए कुछ दस्तावेज़ MS 2010 और MS 2013 तक के PDF फॉर्मेट में थे. मतलब साफ है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में वो लेटर ड्राफ्ट नही हुए हैं? वे प्लांट किये गए थे. जाहिर है इस खुलासे से बचाव पक्ष के हाथ बड़ा 'तुरुप का पत्ता' लगा है. इसलिए अब उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देकर मामला खारिज करने की मांग की है.

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