ETV Bharat / bharat

तिब्बत पर कब्जे के लिए चीन ने बनाई नई रणनीति, तिब्बती संस्कृति को खत्म करने की हो रही साजिश - china

चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है. वर्ष 2014 की जनगणना के मुताबिक तिब्बत की जनसंख्या 31 लाख 80 हजार के करीब है, जो कि तिब्बत की अपनी मूल भाषा का ज्ञान तो रखती है. मगर अब उनका ज्यादातर पठन-पाठन मंदारिन भाषा में ही हो रहा है.

तिब्बत
तिब्बत
author img

By

Published : Jun 13, 2021, 8:14 PM IST

धर्मशाला: तिब्बत पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए चीन ने अब एक नई रणनीति बनाई है. इस रणनीति के तहत अब चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है, यानी चीन की भाषा को तिब्बत के लोगों पर पूरी तरह से थोप कर वहां के लोगों को अपने रंग में रंग देना चाहता है ताकि आने वाले समय में वहां मौजूद कोई भी नस्ल न तो तिब्बत की आजादी की बात कर सके और ना ही इस राष्ट्र की.

मंदारिन भाषा में पठन-पाठन

वर्ष 2014 की जनगणना के मुताबिक तिब्बत की जनसंख्या 31 लाख 80 हजार के करीब है, जो कि तिब्बत की अपनी मूल भाषा का ज्ञान तो रखती है. मगर अब उनका ज्यादातर पठन-पाठन मंदारिन भाषा में ही हो रहा है. इतना ही नहीं यहां तमाम सरकारी आदेश भी अब धीरे-धीरे मंदारिन भाषा में ही सुचारू हो रहे हैं, यहां सार्वजनिक स्थलों पर, यातायात सुविधाओं पर जो साइन बोर्ड दिखते हैं वो भी मंदारिन भाषा में ही नजर आते हैं.

चीन कर रहा सोची समझी साजिश

जानकार बताते हैं कि चीन ये सब सोची-समझी साजिश के तहत ही कर रहा है, वो आने वाली नस्ल को भी मंदारिन भाषा के रंग में रंगना चाह रहा है ताकि भविष्य में तिब्बत की मूल आत्मा यानी यहां की भाषा का विलुप्तीकरण किया जा सके. निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि चीन ये सब कोई नया नहीं कर रहा.

'तिब्बत की संस्कृति को खत्म करने चाहता है चीन'

निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि बीते 62 सालों से वो इसी तरह से एक-एक कर तिब्बत और तिब्बत की मूल संस्कृति और सभ्यता के साथ छेड़छाड़ कर उसे नष्ट करने पर तुला हुआ है. इसका तिब्बत के अंदर और बाहर दुनिया में भी विरोध हो रहा है. बावजूद इसके चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा वो निरंतर कुछ न कुछ ऐसा कर रहा है जिससे तिब्बत को पूरी तरह से चीन का ही एक प्रांत बनाया जा सके.

'चीन का मंदारिन भाषा में शिक्षा का फैसला निंदनीय'

आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि इन दिनों चीन ने तिब्बत में पैदा होने वाली भावी पीढ़ी को अल्पसंख्यक जातियों के आधार पर बांट कर मंदारिन भाषा में ही शिक्षा देने का जो फैसला लिया है वो बेहद निंदनीय है, इसकी वो घोर निंदा करते हैं. उन्होंने बताया कि चीन तिब्बत में विकास की बात करता है, तो फिर वो तिब्बत के इन अल्पसंख्यकों के बीच बोली जाने वाली उपभाषा को तरजीह देते हुए उनके अंदर तिब्बती भाषा का ज्ञान क्यों नहीं विकसित होने देना चाहता. उन्हें मंदारिन भाषा का ज्ञान किस आधार पर देना चाह रहा है, उसे अपनी मंशा दुनिया के सामने स्पष्ट करनी चाहिए.

पढ़ें- पश्चिम बंगाल : मछली पकड़ने वाला जहाज डूबने से एक की मौत, तीन लापता

धर्मशाला: तिब्बत पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए चीन ने अब एक नई रणनीति बनाई है. इस रणनीति के तहत अब चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है, यानी चीन की भाषा को तिब्बत के लोगों पर पूरी तरह से थोप कर वहां के लोगों को अपने रंग में रंग देना चाहता है ताकि आने वाले समय में वहां मौजूद कोई भी नस्ल न तो तिब्बत की आजादी की बात कर सके और ना ही इस राष्ट्र की.

मंदारिन भाषा में पठन-पाठन

वर्ष 2014 की जनगणना के मुताबिक तिब्बत की जनसंख्या 31 लाख 80 हजार के करीब है, जो कि तिब्बत की अपनी मूल भाषा का ज्ञान तो रखती है. मगर अब उनका ज्यादातर पठन-पाठन मंदारिन भाषा में ही हो रहा है. इतना ही नहीं यहां तमाम सरकारी आदेश भी अब धीरे-धीरे मंदारिन भाषा में ही सुचारू हो रहे हैं, यहां सार्वजनिक स्थलों पर, यातायात सुविधाओं पर जो साइन बोर्ड दिखते हैं वो भी मंदारिन भाषा में ही नजर आते हैं.

चीन कर रहा सोची समझी साजिश

जानकार बताते हैं कि चीन ये सब सोची-समझी साजिश के तहत ही कर रहा है, वो आने वाली नस्ल को भी मंदारिन भाषा के रंग में रंगना चाह रहा है ताकि भविष्य में तिब्बत की मूल आत्मा यानी यहां की भाषा का विलुप्तीकरण किया जा सके. निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि चीन ये सब कोई नया नहीं कर रहा.

'तिब्बत की संस्कृति को खत्म करने चाहता है चीन'

निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि बीते 62 सालों से वो इसी तरह से एक-एक कर तिब्बत और तिब्बत की मूल संस्कृति और सभ्यता के साथ छेड़छाड़ कर उसे नष्ट करने पर तुला हुआ है. इसका तिब्बत के अंदर और बाहर दुनिया में भी विरोध हो रहा है. बावजूद इसके चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा वो निरंतर कुछ न कुछ ऐसा कर रहा है जिससे तिब्बत को पूरी तरह से चीन का ही एक प्रांत बनाया जा सके.

'चीन का मंदारिन भाषा में शिक्षा का फैसला निंदनीय'

आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि इन दिनों चीन ने तिब्बत में पैदा होने वाली भावी पीढ़ी को अल्पसंख्यक जातियों के आधार पर बांट कर मंदारिन भाषा में ही शिक्षा देने का जो फैसला लिया है वो बेहद निंदनीय है, इसकी वो घोर निंदा करते हैं. उन्होंने बताया कि चीन तिब्बत में विकास की बात करता है, तो फिर वो तिब्बत के इन अल्पसंख्यकों के बीच बोली जाने वाली उपभाषा को तरजीह देते हुए उनके अंदर तिब्बती भाषा का ज्ञान क्यों नहीं विकसित होने देना चाहता. उन्हें मंदारिन भाषा का ज्ञान किस आधार पर देना चाह रहा है, उसे अपनी मंशा दुनिया के सामने स्पष्ट करनी चाहिए.

पढ़ें- पश्चिम बंगाल : मछली पकड़ने वाला जहाज डूबने से एक की मौत, तीन लापता

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.