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मूर्ति विवाद से चर्चाओं में आचार्य बालकृष्ण, 17500 फीट ऊंची दो चोटियों का किया नामकरण

Acharya Bal Kishan and NIMS gave names to two mountains पतंजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS)की टीम ने अपनी हिमालयी यात्रा के दौरान दो नए पर्वतों को ॐ कैलाश शिखर और नंदी शिखर नाम दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 10:09 PM IST

Updated : Sep 8, 2023, 10:45 PM IST

देहरादून(उत्तराखंड): मूर्ति विवाद के बीच आचार्य बालकृष्ण ने 17500 फीट ऊंची दो चोटियों को नाम दिया है. इन चोटियों का नाम ॐ कैलाश शिखर और नंदी शिखर रखा गया है. इस बात की जानकारी आचार्य बालकृष्ण ने दी ही. बता दें कुछ दिनों पहले पतंजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS)की टीम हर्षिल के हॉर्न इलाके में गई थी. जहां से उत्तरकाशी लौटने के बाद आचार्य बालकृष्ण ने दो अनाम चोटियों को नाम दिया है.

Acharya Bal Kishan and NIMS gave names to two mountains
आचार्य बाल किशन और NIMS ने दो पहाड़ों को नाम दिए

अलौकिक है जगह: उत्तराखंड के हर भाग में भगवान का वास है. कहते हैं भगवान शिव को भी हिमालय इसलिए पसंद आया, क्योंकि यहां का वातावरण ना केवल शांत है, बल्कि यहां एक दिव्य शक्ति का भी वास है. जिससे पहाड़ों में अलग ही अनुभूति महसूस होती है. हिमालय की उन चोटियों तक पहुंचना किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है, जहां लोग मीलों पैदल और खड़ी चढ़ाई चढ़कर बर्फ की सफ़ेद चादर से ढके पहाड़ों में पहुंचते हैं. आचार्य बालकृष्ण और उनके साथी ऐसे ही पर्वतों पर जड़ी-बूटी के संरक्षण और उनकी खोज के लिए गए थे, लेकिन वो ऐसी जगह पहुंच गए जिसका कोई नाम नहीं था.

Acharya Bal Kishan and NIMS gave names to two mountains
मूर्ति विवाद से चर्चाओं में आचार्य बालकृष्ण

शिखरों को ॐ कैलाश और नंदी दिया नाम : आचार्य बालकृष्ण ने बताया नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS) के प्रिंसिपल कर्नल भदौरिया और पतंजलि की टीम के साथ हमने यह तय किया कि 2 टीमें अलग-अलग ॐ पर्वत और नंदी पर्वत का आरोहण करेंगी. उन्होंने कहा हमें उन अनाम अनारोहित शिखरों के नाम ॐ कैलाश शिखर व नंदी शिखर रखकर गर्व की अनुभूति हो रही है.

आचार्य बालकृष्ण की अलौकिक और यादगार रही यात्रा: 6 दिनों की पर्वत यात्रा के बाद वापस लौटे आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये उनके और उनके साथ गए लोगों के जीवन के लिए अलौकिक और यादगार यात्रा रही है. इस यात्रा के बाद हर्षिल के दो नए पर्वतों को न केवल नाम मिला है, बल्कि उनकी कोशिश रहेगी कि लोग इस ट्रैक को भी अधिक से अधिक जानें. यह हमारे उत्तराखंड की संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगा.

ये भी पढ़ें: हर्षिल के प्रतिबंधित इलाके में बिना परमिशन मूर्ति के साथ पहुंचे बालकृष्ण, अधिकारियों में मचा हड़कंप

यात्रा के साथ जुड़ा है विवाद: आचार्य बालकृष्ण और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की इस यात्रा में प्रतिबंधित क्षेत्र में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति का विवाद जुड़ गया है. कहा जा रहा है कि बिना अनुमति के ये टीम लगभग एक क्विंटल की मूर्ति को उस क्षेत्र में स्थापित करने के लिए ले गए थे, जहां इस तरह की कोई गतिविधि नहीं हो सकती है. डीएफओ डीपी बलूनी ने इस बात की पुष्टि की है कि आचार्य बालकृष्ण और उनके साथी एक मूर्ति को हर्षिल के हॉर्न इलाके में ले गए हैं, लेकिन बाद में उन्हें मना कर दिया गया था. अब कहा जा रहा है कि सभी लोग उत्तरकाशी वापस तो आ गए, लेकिन मूर्ति कोई भी अपने साथ नहीं लाया है. डीएफओ उनियाल की मानें तो अगर ऐसा होगा तो टीम उस मूर्ति को नीचे लेकर आएगी, क्योंकि इस तरह का कोई भी काम गंगोत्री नेशनल पार्क के इस इलाके में नहीं हो सकता है.

ये भी पढ़ें: सरकार और पतंजलि ऐसे करेंगे उत्तराखंड का विकास, देखिए वीडियो

देहरादून(उत्तराखंड): मूर्ति विवाद के बीच आचार्य बालकृष्ण ने 17500 फीट ऊंची दो चोटियों को नाम दिया है. इन चोटियों का नाम ॐ कैलाश शिखर और नंदी शिखर रखा गया है. इस बात की जानकारी आचार्य बालकृष्ण ने दी ही. बता दें कुछ दिनों पहले पतंजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS)की टीम हर्षिल के हॉर्न इलाके में गई थी. जहां से उत्तरकाशी लौटने के बाद आचार्य बालकृष्ण ने दो अनाम चोटियों को नाम दिया है.

Acharya Bal Kishan and NIMS gave names to two mountains
आचार्य बाल किशन और NIMS ने दो पहाड़ों को नाम दिए

अलौकिक है जगह: उत्तराखंड के हर भाग में भगवान का वास है. कहते हैं भगवान शिव को भी हिमालय इसलिए पसंद आया, क्योंकि यहां का वातावरण ना केवल शांत है, बल्कि यहां एक दिव्य शक्ति का भी वास है. जिससे पहाड़ों में अलग ही अनुभूति महसूस होती है. हिमालय की उन चोटियों तक पहुंचना किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है, जहां लोग मीलों पैदल और खड़ी चढ़ाई चढ़कर बर्फ की सफ़ेद चादर से ढके पहाड़ों में पहुंचते हैं. आचार्य बालकृष्ण और उनके साथी ऐसे ही पर्वतों पर जड़ी-बूटी के संरक्षण और उनकी खोज के लिए गए थे, लेकिन वो ऐसी जगह पहुंच गए जिसका कोई नाम नहीं था.

Acharya Bal Kishan and NIMS gave names to two mountains
मूर्ति विवाद से चर्चाओं में आचार्य बालकृष्ण

शिखरों को ॐ कैलाश और नंदी दिया नाम : आचार्य बालकृष्ण ने बताया नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS) के प्रिंसिपल कर्नल भदौरिया और पतंजलि की टीम के साथ हमने यह तय किया कि 2 टीमें अलग-अलग ॐ पर्वत और नंदी पर्वत का आरोहण करेंगी. उन्होंने कहा हमें उन अनाम अनारोहित शिखरों के नाम ॐ कैलाश शिखर व नंदी शिखर रखकर गर्व की अनुभूति हो रही है.

आचार्य बालकृष्ण की अलौकिक और यादगार रही यात्रा: 6 दिनों की पर्वत यात्रा के बाद वापस लौटे आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये उनके और उनके साथ गए लोगों के जीवन के लिए अलौकिक और यादगार यात्रा रही है. इस यात्रा के बाद हर्षिल के दो नए पर्वतों को न केवल नाम मिला है, बल्कि उनकी कोशिश रहेगी कि लोग इस ट्रैक को भी अधिक से अधिक जानें. यह हमारे उत्तराखंड की संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगा.

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यात्रा के साथ जुड़ा है विवाद: आचार्य बालकृष्ण और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की इस यात्रा में प्रतिबंधित क्षेत्र में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति का विवाद जुड़ गया है. कहा जा रहा है कि बिना अनुमति के ये टीम लगभग एक क्विंटल की मूर्ति को उस क्षेत्र में स्थापित करने के लिए ले गए थे, जहां इस तरह की कोई गतिविधि नहीं हो सकती है. डीएफओ डीपी बलूनी ने इस बात की पुष्टि की है कि आचार्य बालकृष्ण और उनके साथी एक मूर्ति को हर्षिल के हॉर्न इलाके में ले गए हैं, लेकिन बाद में उन्हें मना कर दिया गया था. अब कहा जा रहा है कि सभी लोग उत्तरकाशी वापस तो आ गए, लेकिन मूर्ति कोई भी अपने साथ नहीं लाया है. डीएफओ उनियाल की मानें तो अगर ऐसा होगा तो टीम उस मूर्ति को नीचे लेकर आएगी, क्योंकि इस तरह का कोई भी काम गंगोत्री नेशनल पार्क के इस इलाके में नहीं हो सकता है.

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Last Updated : Sep 8, 2023, 10:45 PM IST
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