भरतपुर : नाबालिग बच्चे के साथ यौन दुराचार के बहुचर्चित मामले में एक तरफ जहां आरोपी जज फरार है वहीं, दूसरी तरह उसके साथ कुकर्म में शामिल दो लिपिकों को निलंबित कर दिया गया है. इसी के साथ जिला प्रशासन ने पीड़ित पक्ष की मांग पर उनके घर पर सुरक्षा भी मुहैया करा दी गई है.
दोनों आरोपी लिपिक निलंबित
कुकर्म मामले में सोमवार को विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भरतपुर में लिपिक ग्रेड द्वितीय राहुल कटारा और अंशुल सोनी को निलंबित कर दिया गया है. निलंबन के बाद राहुल कटारा को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नदबई एवं अंशुल सोनी को न्यायिक सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट रूपवास में उपस्थित होने के आदेश जारी किए गए हैं. आरोपी जज विजिलेंस में स्पेशल जज है, जिसे मामला दर्ज होने के बाद निलंबित कर दिया गया है.
पीड़ित परिवार ने किया पलायन
सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पत्र भेजकर सुरक्षा की गुहार लगाने वाला पीड़ित परिवार दोपहर को भरतपुर से पलायन कर गया. बताया जा रहा है कि परिवार ने सुरक्षा के लिहाज से उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिले आगरा में किसी रिश्तेदार के यहां आसरा लिया है. सूचना यह भी है कि भरतपुर पुलिस की टीम पीड़ित परिवार को लेने के लिए उत्तर प्रदेश भी गई है.
घर पर आरएसी जवान तैनात
सीओ सिटी सतीश वर्मा ने बताया कि प्रशासन ने पीड़ित परिवार की मांग पर उनके घर आरएसी के 5 जवान सुरक्षा के लिए तैनात कर दिए हैं. वहीं समिति अध्यक्ष गंगाराम पाराशर ने बताया कि पीड़ित परिवार की मदद के लिए बालमित्र और काउंसलर भी नियुक्त कर दिए गए हैं. नाबालिग के साथ जज और दो लिपिकों की ओर से कुकर्म करने के मामले की जांच करने सोमवार दोपहर को जयपुर से जनरल रजिस्ट्रार विजिलेंस और उनकी टीम भरतपुर पहुंची. यहां पर टीम ने जिला न्यायाधीश, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक कर पूरे मामले के बारे में चर्चा की.
पीड़ित के नहीं हो पाए बयान
आज पीड़ित पक्ष के न्यायालय में धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए बाल कल्याण समिति और पुलिस प्रशासन दिनभर पीड़ित परिवार से संपर्क करने का प्रयास करते रहे. लेकिन पीड़ित परिवार के प्रस्तुत नहीं होने की वजह से बयान दर्ज नहीं हो पाए.
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष गंगाराम पाराशर एवं अन्य सदस्य सोमवार को पीड़ित परिवार के घर पर पहुंचे, लेकिन वहां परिवार नहीं मिला. इसके बाद परिवार से फोन पर संपर्क किया गया. परिवार ने बाल कल्याण समिति के कार्यालय में उपस्थित होने की बात कही, लेकिन वे वहां भी नहीं पहुंचे. बाद में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य पीड़ित के परिवार से मिलने दोपहर बाद फिर से घर पहुंचे. लेकिन फिर से उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. सिटी सीओ सतीश वर्मा न्यायालय में बयान दर्ज कराने के लिए दोपहर बाद पीड़ित परिवार के घर पर पहुंचे, लेकिन उनको भी घर पर परिवार नहीं मिला.
कब-क्या हुआ, पूरा घटनाक्रम
28 अक्टूबर को शाम 4 बजे जज जितेंद्र बच्चे को घर छोड़ने आया. उस दौरान पीड़ित की मां ने जज को बच्चे के साथ गलत हरकत करते देख लिया. मां के सामने बच्चे ने यौन दुराचार के सिलसिले की बात बताई. 29 अक्टूबर को पीड़ित की मां ने बच्चे को खेलने के लिए नहीं भेजा, जिस पर जज जितेंद्र गुलिया, अंशुल सोनी, राहुल कटारा, एसीबी सीओ पीएल यादव और पुलिस कर्मी पीड़ित बच्चे के घर आए और बच्चे को जज साहब के घर भेजने का दबाव डालने लगे. नहीं भेजने पर जेल में सड़वाने की धमकी दी. 29 अक्टूबर की रात को जज जितेंद्र का पीड़ित की मां के पास फोन पहुंचा और पीड़ित की मां को धमकाने की कोशिश की.
मामले पर राजनीति गर्म
इस मामले की गूंज राजनीतिक गलियारों में भी है. भाजपा एक बार फिर राजस्थान में अपराध को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर आक्षेप किया और कहा कि अब तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.