गिरिडीह: 27 वर्ष पहले हुए सरकारी राशि गबन मामले में लेखापाल सुभाष चौबे को तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी है. साथ ही 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. न्यायिक दंडाधिकारी सीमा कुमारी मिंज की अदालत ने शुक्रवार को यह सजा सुनायी है. अदालत ने सुभाष को भादवि की धारा 420, 409, 467 एवं 460 में दोषी ठहराया है. अदालत ने सुभाष को भादवि की धारा 420 में तीन साल सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपये जुर्माना किया है. इसके अलावा भादवि की धारा 409 में तीन साल सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपये जुर्माना, 467 में तीन साल सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपये जुर्माना तथा 460 में तीन साल सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर एक-एक माह अतिरिक्त कारावास की सजा भी भुगतना होगा. सुभाष की सभी सजा साथ साथ चलेगी.
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7 गवाहों की गवाही के बाद फैसला: यह मामला लघु वन पदार्थ परियोजना गिरिडीह प्रमंडल से संबंधित हैं. अदालत में अभियोजन पक्ष से सहायक लोक अभियोजक रविशंकर चौधरी एवं बचाव पक्ष से अधिवक्ता ए़ एन सिंह एवं मुरारी ने मुकदमें की पैरवी की. अभियोजन पक्ष से एपीपी द्वारा सूचत समेत सात गवाहों की गवाही करायी गयी. इसके साथ ही गबन से संबंधित चेक बुक, लेखा संबंधी कैश बुक एवं बैंक स्टेटमेंट का अदालत में प्रदर्शन कराया गया. इस मामले में अदालत में 15 अप्रैल 1997 को आरोप गठित किया गया था.
क्या है पूरा मामला: दरअसल ये पूरा मामला नगर थाना कांड संख्या 201/1995 से संबंधित हैय इस मामले की प्राथमिकी लघु वन पदार्थ परियोजना प्रमंडल गिरिडीह के तत्कालीन प्रमंडलीय प्रबंधक प्रेम रंजन सिन्हा के शिकायत पर दर्ज की गयी थी. ऑडिट में लेखापाल द्वारा की गयी गड़बड़ी का खुलासा हुआ था. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की गयी थी. लेखापाल सुभाष चौबे पर अपने कार्यकाल के दौरान 2 लाख 11 हजार रूपये गबन करने का आरोप लगाया गया था. चौबे पर आरोप था कि लघु वन पदार्थ परियोजना प्रमंडल गिरिडीह से संबंधित व्यय के लिए चौबे को अग्रिम चेक दिया गया था. चौबे ने चेक में अंकों व शब्दों में हेरफेर कर अधिक राशि की निकासी कर गबन कर लिया. चौबे ने 21 अक्तूबर 1991 से 02 मार्च 1993 के बीच यह गबन किया था. कुल छह चेकों में चौबे द्वारा हेराफेरी की गयी थी. इस मामले सहायक लोक अभियोजक रविशंकर चौधरी ने बताया कि अदालत ने अभियुक्त पर लगे आरोपों को बिना संदेह के सही पाया है और इसके बाद विभिन्न धाराओं में सजा सुनायी गयी है. अभियुक्त ने चेकों में अंकों व शब्दों में हेरफेर कर अधिक राशि की निकासी कर गबन कर लिया था.