नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब 115 शिक्षाविदों द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान में कहा गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के इस बर्बर हिंसा से पीड़ित होने के कारण उसे अपने लूटे हुए घरों के पुनर्निर्माण और पुनर्वास की जरुरत है.
हिंसा से अनाथ बच्चों को जीवन का अधिकार, पूर्ण सुरक्षा व संरक्षण के साथ तत्काल प्रभाव से चिकित्सा व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के आश्वासन की आवश्यकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस के साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस के राज्य प्रायोजित कार्यकर्ताओं ने एससी-एसटी समुदाय को निशाना बनाने और हत्या, लूटपाट, दुष्कर्म व उनकी जमीन कब्जाने का काम किया.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उस पर लगाए गए राजनीतिक हिंसा के आरोपों को खारिज किया और भाजपा पर सियासी मकसद से चुनाव बाद हिंसा के कुछ मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया.
शिक्षाविदों ने बयान में आरोप लगाया कि दो मई को प्रदेश विधानसभा के नतीजे आने के बाद 11000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए जिनमें से अधिकतर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के थे. हिंसा की 1627 घटनाओं में 40 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.
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सेंटर ऑफ सोशल डेवलपमेंट के तत्वावधान में लिखे पत्र में शिक्षाविदों ने दावा किया कि 5000 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचाया गया. 142 महिलाओं पर अमानवीय अत्याचार हुए जबकि एससी-एसटी समुदाय से आने वाले 26 लोगों की उपनगरीय इलाकों में मौत हुई.
बिहार से भी लिखी गई चिट्ठी
बंगाल की हिंसा को लेकर बिहार के 25 जाने-मानें शख्सियतों ने राज्यपाल फागू चौहान के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बंगाल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई है. पत्र में बिहार के जाने-माने चिकित्सक डॉ. आर एन सिंह, डॉक्टर नरेंद्र प्रसाद, डॉ. जितेंद्र सिंह भी शामिल हैं.
इसके अलावा डॉ. श्यामा शर्मा और डॉ. विमल जैन का भी नाम है. ये सभी पद्मश्री से सम्मानित हैं. इसके अलावा भेजे गए पत्र में जिन लोगों का नाम है, उसमें पूर्व जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद, कथक नित्यांगना और पूर्व IPS शोभना नारायणन, पूर्व थल सेनाध्यक्ष ले. जनरल अशोक चौधरी, डॉ. सहजानंद कुमार, बीआईए के पूर्व अध्यक्ष केपीएस केसरी और पूर्व DGP डीएन गौतम भी हैं.
बिहार के 25 बुद्धिजीवियों के नाम से जो पत्र भेजा गया है, उसमें 13 बातों का जिक्र है और बंगाल हिंसा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. बिहार बुद्धिजीवियों के नाम से जो पत्र भेजा गया है, उसमें आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद का भी नाम है. लेकिन डॉक्टर सहजानंद ने कहा कि मुझसे कोई सहमति नहीं ली गई है.
(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई-भाषा)