नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बीती रात छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर बवाल हो गया. दो छात्र संगठन आपस में भिड़ गए. अब जेएनयू से एक नया वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि जेएनयूएसयू के ऑफिस की दीवारों पर लिखा है कि 'पिग्स और कम्युनिस्ट का आना बंद है'. साथ ही जगह जगह जय शिवाजी के नाम लिखे गए हैं.
वीडियो में पूछा गया है कि क्या जेएनयूएसयू के ऑफिस में यह सब किया जाना ठीक है? एबीवीपी के छात्रों का कहना है रविवार को शिवाजी महाराज की जयंती पर हमारे कार्यकर्ताओं के साथ वामपंथी छात्र संगठनों ने मारपीट की. इसी पर लेफ्ट छात्र संघटन द्वारा एक वीडियो जारी किया गया है. जेएनयूएसयू की ओर से मांग की गई है कि जेएनयू में एबीवीपी द्वारा जो हिंसा की जा रही है, उसे तुरंत रोका जाए. जेएनयू एडमिन उन लोगों की पहचान करें और उनके खिलाफ सख्त एक्शन ले. जेएनयू प्रशासन को इस घटना के मामले में अपनी चुप्पी तोड़े और हमारे सवालों के जवाब दे.
एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही लाखों लोगों के हत्यारे विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं, लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया. यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया. वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है और वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता. जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई, ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए.
जेएनयूएसयू ने एबीवीपी पर लगाया आरोपः जेएनयूएसयू ने कहा कि रविवार रात अलोकतांत्रिक ताकतों के एक और हमले का सामना करना पड़ा. एबीवीपी के गुंडों ने यूनियन कार्यालय में हंड्रेड फ्लावर्स ग्रुप द्वारा आयोजित फिल्म स्क्रीनिंग पर हमला कर अपना असली चेहरा दिखा दिया था. परिसर पर कब्जा कर कार्यक्रम में बाधा पहुंचाते हुए आयोजकों के साथ गाली-गलौज व मारपीट की.
मारपीट में कई छात्र-छात्राएं भी घायल हो गए. इस घटना से पहले ही इन बदमाशों ने यूनियन कार्यालय में तोड़फोड़ की थी. अप्रत्याशित रूप से, सुरक्षा गार्ड और दिल्ली पुलिस के जवान केवल तमाशबीन बने रहे और स्थिति से निपटने के लिए कुछ नहीं किया. गलत सूचना और झूठे आख्यान फैलाना और हिंसा भड़काना एक कला है, जिसमें ये संगठन अच्छे हैं. विरोध और आलोचनात्मक आवाजों को चुप कराने के एकमात्र इरादे से, उन्होंने डर का माहौल बनाने के लिए छात्रों को डराने-धमकाने का सहारा लिया है.
इस तरह के हमले, वामपंथी और अन्य प्रगतिशील संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में व्यवधान, परिसर में आम घटनाएं बन गई हैं. हाल के सभी घटनाक्रम में अपराधियों के खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया जाना चिंता का विषय है. चाहे वह रामनवमी के दिन की हिंसा हो या बीबीसी डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग पर पथराव, सभी असहिष्णुता के बढ़ने और दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा लोकतांत्रिक आवाज़ों का गला घोंटने के प्रयासों का संकेत देते हैं.
JNU ने जारी किया नोटिसः सोमवार को जेएनयू की ओर से डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो. सुधीर पी. सिंह ने नोटिस जारी किया है. नोटिस में सिंह ने कहा है कि जेएनयू परिसर के सभी छात्रावासों, छात्र गतिविधि केंद्र (टेफ्लास), खेल के मैदान सहित इंटर हॉल आदि में किसी भी प्रकार की गतिविधियों के लिए अनुमति लेनी होगी. कार्यक्रम के लिए छात्रों को डीन ऑफ स्टूडेंट्स की अनुमति आवश्यक होगी. बगैर अनुमति के आयोजित किसी भी कार्यक्रम पर विवि के नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
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