मुंबई: शहर के कुछ इलाकों में किशोरियों में गर्भपात के मामले बढ़े हैं. मनोचिकित्सकों ने इस पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इन घटनाओं में बढ़ोतरी का एक कारण माता-पिता द्वारा अपने बच्चों से संवाद की कमी है. मुंबई के बायकुला, भायखला क्षेत्रों में नाबालिगों में गर्भपात के मामले काफी अधिक सामने आए हैं. सूचना के अधिकारी तहत पाया गया कि कम उम्र की लड़कियों में गर्भपात की दर बढ़ी है. मुंबई के बायकुला इलाके में सबसे ज्यादा मामले पाए गए. इन जगहों में 348 गर्भपात के मामलों में लड़कियों की उम्र 15 से 19 वर्ष के बीच पाई गई.
जबकि भायखला क्षेत्र में दुष्कर्म की घटनाओं के कारण गर्भपात की संख्या अधिक है. भायखला में 37 गर्भपात हो चुके हैं. चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि मुंबई में नाबालिग बच्चियों के गर्भपात की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक एक वर्ष की अवधि के दौरान मुंबई में नाबालिग लड़कियों के गर्भपात की संख्या में वृद्धि हुई है.
इसलिए, माता-पिता के लिए अपनी बेटियों को जागरूक होना और समझना बहुत जरूरी हो गया है, मनोचिकित्सक डॉ. निशिकांत विभूते ने ईटीवी भारत से बात करते हुए सलाह दी. इस पर मनोचिकित्सक डॉ. शुभांगी पारकर ने अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि गर्भपात के 348 केस में 17 मामलों में लड़कियों की उम्र 15 साल से कम पाई गई. इसलिए, गर्भपात को संवेदनशील तरीके से देखने और इसके बारे में जन जागरूकता पर जोर देने की जरूरत है. किशोरियों में गर्भपात बढ़ने के कई कारण हैं. इनमें यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, बाल विवाह और नाबालिग लड़कियों में यौन अशिक्षा प्रमुख कारण हैं. मनोचिकित्सक डॉ. निशिकांत विभूते ने बताया कि कम उम्र में गर्भपात की संख्या बढ़ रही है. यह मुख्य रूप से मुंबई में देखा जाता है. यह खबर वाकई चिंताजनक और दुखद है.
इसलिए सावधानी बरतना, सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है ताकि ऐसा गर्भपात न हो. डॉ. निशिकांत विभूते ने आगे कहा कि संवादहीनता की कमी भी इसकी एक वजह है. माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद करने का समय नहीं मिलता है या उनके पास समय होने पर भी वे उनसे बात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते हैं या उनसे बात नहीं कर पाते हैं. उनके बीच एक गैप है. मार्गदर्शन की कमी यानी बच्चों की समस्याओं को समझना, उम्र से संबंधित हार्मोन में बदलाव और शरीर में बदलाव के साथ-साथ सोच में बदलाव बहुत जरूरी है और उसी के अनुसार बच्चों का मार्गदर्शन करें.