नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में सोमवार को तीन दिवसीय सत्र का आगाज हुआ, जिसकी शुरुआत हंगामे के साथ हुई. बीजेपी विधायक जहां एक ओर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर सदन पहुंचे तो वहीं आप विधायकों ने विदेश में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का मामला उठाया. विपक्ष की ओर से रखे गए मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने जैसे ही स्वीकृति दी, आप विधायक एलजी की ओर से सरकार के काम में दखल देने के विरोध में नारेबाजी करने लगे. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के विधायक उपराज्यपाल से शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने की मांग को लेकर सदन से बाहर निकल गए.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के सभी विधायक उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ पैदल मार्च करते हुए रवाना हुए. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर लेकर आया हूं. सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को बोला था कि एलजी को कोई भी स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने दो बार लिखा. क्योंकि पता था कि एक बार में नहीं मानेंगे. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एलजी स्वतंत्र रूप से कोई फैसला नहीं ले सकते हैं.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री और विधायकों को एलजी हाउस सिर्फ इसलिए जाना पड़ रहा है, कि शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा सके. ये कोई बड़ी मांग नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि एलजी साहब को गलती का अहसास होगा. एलजी साहब ने दिल्ली में योगा क्लास रोक दी. इससे उन्हें क्या फायदा हुआ. दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक के पेमेंट रुकवा दिए. दिल्ली जल बोर्ड के फंड रुकवा दिए. कोई पेमेंट नहीं होने दिए. बस मार्शल की तीन महीने से पेमेंट नहीं होने दी. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कोई वैल्यू नहीं है. एलजी साहब ये सारे काम कैसे रुकवा सकते हैं. मेरी एलजी से अपील है कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट को मानें.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि दिल्ली के शिक्षक ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाएं, तो एलजी को रोकने का पावर नहीं है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट और संविधान को मानना चाहिए.
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