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Attack on School Principal Case: AAP विधायक अब्दुल रहमान और पत्नी आसमा बेगम को कोर्ट ने एक साल के प्रोबेशन पर छोड़ा

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Published : Jun 7, 2023, 4:02 PM IST

सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या से मारपीट करने के मामले में AAP विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम राउज को एवेन्यू कोर्ट ने एक साल के प्रोबेशन पर छोड़ दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत आती है तो उस पर संज्ञान लिया जाएगा.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम को सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या से मारपीट के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक साल के प्रोबेशन पर छोड़ दिया. कोर्ट ने दोनों को 10-10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी. एसीएमएम हरजीत सिंह जसपाल ने रहमान और उनकी पत्नी को यह चेतावनी भी दी कि एक साल के अंदर अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत आती है तो कोर्ट उस पर संज्ञान लेगा.

कोर्ट ने रहमान को 13 हजार 579 रुपए बतौर मुकदमे का सरकारी खर्च भी कोषागार में जमा करने का निर्देश दिया. रहमान की ओर से उनके वकील तरुण नागर, हिलाल हैदर और बुतूल खान पेश हुए. बता दें, अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी को जीनत महल स्थित सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या पर हमला करने के मामले में 29 अप्रैल को कोर्ट ने दोषी ठहराया था. वहीं, पीड़ित पक्ष के वकील आबिद हुसैन ने कहा था कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने और उसका अध्ययन करने के बाद अपील करेंगे.

चार बार टला था फैसला: इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा मामले से संबंधित सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट न पेश करने और रिपोर्ट पेश होने के बाद कोर्ट द्वारा रिपोर्ट का अध्ययन करने के चलते चार बार फैसला टला था. 24 मई को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी थी. इससे पहले 19 मई, 24 मई, 27 मई और 30 मई को कोर्ट ने सजा सुनाने की तारीख तय की थी. यह मामला 2009 का है. इसमें आप विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा पर आरोप था कि उन्होंने जीनत महल स्थित स्कूल की प्रधानाचार्या रजिया सुल्तान को मारने के साथ जान से मारने की धमकी देते हुए अपशब्द कहे थे.

यह भी पढ़ें-गुजरात विश्वविद्यालय मानहानि मामले में केजरीवाल को 13 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का आदेश

इतना ही नहीं, उन्हें ड्यूटी करने से भी रोका गया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोनों ने एक समान मकसद से सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या के साथ हाथापाई की. उन्होंने सरकारी अधिकारी के कामकाज में न केवल बाधा डाली बल्कि उसे चोट भी पहुंचाई. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353, 506 और 34 के तहत दोनों को दोषी माना है. आसमा पर धारा 332 के तहत भी अपराध सिद्ध हुआ है. मामले में घटना के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. लेकिन चश्मदीद गवाहों में से एक ने भी बयान दर्ज नहीं कराया. इसमें कोई मेडिको लीगल केस यानी एमएलसी भी नहीं थी. घटना चार फरवरी 2009 को हुई थी.

यह भी पढ़ें-Atishi Visit to Britain: आतिशी को ब्रिटेन जाने की मिली अनुमति, हाई कोर्ट में विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम को सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या से मारपीट के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक साल के प्रोबेशन पर छोड़ दिया. कोर्ट ने दोनों को 10-10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी. एसीएमएम हरजीत सिंह जसपाल ने रहमान और उनकी पत्नी को यह चेतावनी भी दी कि एक साल के अंदर अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत आती है तो कोर्ट उस पर संज्ञान लेगा.

कोर्ट ने रहमान को 13 हजार 579 रुपए बतौर मुकदमे का सरकारी खर्च भी कोषागार में जमा करने का निर्देश दिया. रहमान की ओर से उनके वकील तरुण नागर, हिलाल हैदर और बुतूल खान पेश हुए. बता दें, अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी को जीनत महल स्थित सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या पर हमला करने के मामले में 29 अप्रैल को कोर्ट ने दोषी ठहराया था. वहीं, पीड़ित पक्ष के वकील आबिद हुसैन ने कहा था कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने और उसका अध्ययन करने के बाद अपील करेंगे.

चार बार टला था फैसला: इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा मामले से संबंधित सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट न पेश करने और रिपोर्ट पेश होने के बाद कोर्ट द्वारा रिपोर्ट का अध्ययन करने के चलते चार बार फैसला टला था. 24 मई को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी थी. इससे पहले 19 मई, 24 मई, 27 मई और 30 मई को कोर्ट ने सजा सुनाने की तारीख तय की थी. यह मामला 2009 का है. इसमें आप विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा पर आरोप था कि उन्होंने जीनत महल स्थित स्कूल की प्रधानाचार्या रजिया सुल्तान को मारने के साथ जान से मारने की धमकी देते हुए अपशब्द कहे थे.

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इतना ही नहीं, उन्हें ड्यूटी करने से भी रोका गया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोनों ने एक समान मकसद से सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या के साथ हाथापाई की. उन्होंने सरकारी अधिकारी के कामकाज में न केवल बाधा डाली बल्कि उसे चोट भी पहुंचाई. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353, 506 और 34 के तहत दोनों को दोषी माना है. आसमा पर धारा 332 के तहत भी अपराध सिद्ध हुआ है. मामले में घटना के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. लेकिन चश्मदीद गवाहों में से एक ने भी बयान दर्ज नहीं कराया. इसमें कोई मेडिको लीगल केस यानी एमएलसी भी नहीं थी. घटना चार फरवरी 2009 को हुई थी.

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